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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023

13 बार देखा गया 13
पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं , जब वह आती हैं, धूम-धड़ाके से आती हैं , उनके आते ही पूरा घर जैसे जाग जाता है। उनकी आवाज तेज होने के साथ-साथ ,वह हंसी मजाक वाली महिला भी हैं। अपनी चुहल बाजियों से , रोते को भी हंसा दें, उनका स्वभाव ही ऐसा है , चलते- फिरते किसी से भी बात करने लग जाती हैं , हंसी मजाक के चलते उस शादी वाले घर में उन्होंने रोेनक ला दी हैं , यहां आकर तो ऐसी हो जाती है , फूफा जी को ही भूल जाती हैं , हम कभी हंसी में कह देते -कि बुआ जी !फूफा जी को ,आप दूर-दूर रखती हैं ,कभी -कभी उनकी ख़ैर -खबर भी ले लिया करो।  

 तब हंसकर कह देतीं - अब तक उन्हें मैं, झेल र



ही थी ,अब तुम झेलो - यहां पर आकर वह तुम्हारी जिम्मेदारी बन जाते हैं , ऐसा नहीं कि, उन दोनों में प्यार नहीं है , बुआ हम पर भी कुछ जिम्मेदारियां डालना चाहती हैं या फिर वह देखना चाहती हैं- कि हम फूफा जी के साथ, कैसा व्यवहार करते हैं ?
तनु दीदी भी तो आ गई हैं , उनका तो वही रोना-धोना, मम्मी! मेरी सास ने यह कहा ,मम्मी! मेरी सास ने वह कहा।

 मम्मी भी उनकी बात सुनती हैं ,प्यार से समझा देती हैं और उन्हें भी काम बता दिया ,जा! तू। अपनी भाभी के लिए , सुंदर सा जड़ाऊ लहंगा लेकर आना ,अपने साथ दामाद जी को भी ले जाना। इस तरफ , हर किसी के हिस्से में , थोड़ा थोड़ा काम आ जाता है। हर कोई अपनी जिम्मेदारियां पूर्ण कर रहा है।

 दूल्हे के मामा भी आ गए हैं , उनके भी अलग ही नखरे हैं,नाराज होते हुए बोले - हमें अब बता रहे हो ,जब सब काम हो गया ,' भात ', लेना ना होता तो शायद ,यह भी ना बताते, गुस्से से तमतमाए मामा जी ! 

मम्मी उन्हें समझा रही हैं , भैया !तुम तो जानते ही हो ,सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही आन पड़ी है। सोचा ,तुम तो अपने ही हो ,आते ही सब संभाल लोगे बुरा नहीं मानोगे , आखिर भांजा तो तुम्हारा ही है। बस मम्मी की यह गोली देते ही, मामा खुश...... जब सब एक साथ मिलकर चलते हैं ,तो यह रिश्ते कितने अच्छे लगते हैं? थोड़ा मनमुटाव थोड़ी चुहल बाजी, कितना लगता है ? सब कुछ...... 

हल्दी की रस्म के लिए सभी महिलाएं आती हैं ,बहन आरती का थाल लेकर आ गई , सबने हल्दी की रस्म पूर्ण की , उसके पश्चात तनु दीदी ने अपने भाई का आरता किया। कुछ आस पड़ोस की महिलाएं भी आई हुई थीं , ढोलक की ताल पर बन्ने गाए जा रहे थे -

एक लड़की ने गाना उठाया -'' बन से बन्नडी फेरो पर झगड़ी ,तू क्यों नहीं लाया रे...... सोने की तगड़ी।'' 

तब भाभियाँ ,दुल्हे मियां से मजाक करती हैं - देवर जी !जितनी मौज मस्ती करनी है , कर ली , अब तो हमारी देवरानी की चलेगी, उसकी ही सुनना पड़ेगी , अब बता भी दो ! मुंह दिखाई में ,उसके लिए क्या लिया है ? सोने की तगड़ी है या और कुछ....... कहकर वह सारी खिलखिला कर हंस पड़ीं। 

लेफ्टिनेंट साहब !कुछ जवाब भी देंगे या यूं ही चुपचाप ,सुनते रहेंगे ,छोटी भाभी ने उसकी आँख में ,बड़ा सा काजल लगाते हुए हंसकर पूछा। कुछ बता रहे हैं या फिर इसी आंख में काजल रहने दूँ , कहकर फिर से हंसने लगीं। 

अब मैं क्या कहूं ?आप तो मालकिन हैं, वह तो अभी नई आएगी, कुछ जानती भी नहीं होगी , जो आप करोगी वही होगा ,लेफ्टिनेंट रोहित ने भाभियों को आश्वस्त किया। 

ओहो जी !अभी से उसकी तरफदारी , इसी हंसी मजाक के चलते, आखिर बारात, नंदिनी के द्वार पर आ ही गई। 

नंदिनी ,ससुराल से आया ,अपना जड़ाऊ लहंगा पहने मेकअप किए, बारात के इंतजार में ही तो बैठी थी। सरिता ,अपने बेटे के लिए बहुत सुंदर बहु ढूंढ कर लाई है ,'चांद का टुकड़ा है', देखने वालों ने कहा। 

मेरा बेटा भी तो किसी से कम नहीं, उसी से जोड़ी मिला कर लाई हूं , सरिता जी, इठलाते हुए बोलीं। तारों की छांव में नंदिनी अपनी ससुराल आ गई। सब ने उसका स्वागत किया, हर कोई उसको' पलकों पर बैठा लेना चाहता है।' रोहित की तो जैसे उससे नजर ही नहीं हट रही थी , ऐसी ससुराल पाकर नंदिनी भी, भाव विभोर हो उठी। अभी रोहित की ,पंद्रह दिनों की छुट्टियां और बची थीं। घरवालों ने नंदिनी और रोहित की, बाहर घूमने की टिकट करा दी , दोनों दुनिया से बेखबर कभी पहाड़ो में, कभी नदियों में, और कभी विदेशों में घूम रहे थे। वह उन पंद्रह दिनों को , जैसे स्वर्णिम बना देना चाहते थे , यही यादें तो होंगी जो जीवन भर उन्हें स्मरण रहेंगी , नंदिनी तो बेहद प्रसन्न थी , इतनी अच्छी ससुराल, इतना प्यार करने वाला पति , वो तो जैसे ,अपने भाग्य को सराह रही थी। पंद्रह दिन कैसे बीत गए ?उन्हें पता ही नहीं चला। रोहित के जाने का समय आ गया , अब तो रोहित के बिछड़ने मात्र से ही , नंदिनी काँप जाती , जब रोहित जा रहा था ,तब वह ''जार जार रो रही थी।'' 

नंदिनी को, समझाते हुए रोहित बोला -पगली ! तुम क्यों रो रही हो ?मैं शीघ्र ही तुम्हें , अपने पास बुला लूंगा। 

रोहित के जाते ही घर, सुनसान सा हो गया, जिस घर में एक माह पहले बहुत रोेनक हो रही थी आज वही घर सुनसान पड़ा है। बहू अपने कमरे में उदास है , धीरे-धीरे सभी रिश्तेदार भी चले गए , सरिता जी भी अपने प्रतिदिन के कार्य करके थक कर सो जाती या फिर अन्य कार्यों में उलझ जातीं। उन्होंने सोचा -शायद, बहू का मन रोहित के बिना नहीं लग रहा इसीलिए उससे बोलीं -जाओ !कुछ दिन के लिए अपने घर घूम आओ !

नंदनी भी खुशी-खुशी तैयार होकर, अपने मायके चली गई।

 एक दिन रोहित का फोन आया, मम्मी -नंदनी कैसी है ?

बेटा ! वो ठीक है ,तू उसकी चिंता मत कर ,कुछ दिनों के लिए अपने घर गई है , तू चाहे तो उसके घर पर ही उसे फोन कर लेना , तू बता, तू कैसा है ?

मम्मी ! मैं ठीक हूं , अब फोन रखता हूं, और नंदिनी को फोन करता हूं , कहकर वह फोन रख देता है। 

हेलो ! नंदिनी ने फोन उठाया।

कैसी हो ? तुम तो मुझे भूल ही गईं , रोहित ने मजाक किया। 

हां हां, तुम्हें तो बड़ा याद था , जब से गए हो ,तब से एक भी फोन किया है ,उलाहना देते हुए बोली।  

मैं नहीं कर पाया ,तुम तो कर लेतीं, आखिर 'लेफ्टिनेंट रोहित' की पत्नी हो, तुम्हें क्या कोई मना कर देता ?

अच्छा, यह मक्खन बाजी छोड़ो !और यह बताओ ! मुझे कब लेने आ रहे हो ?

अब की छुट्टियों में, हम दोनों साथ ही आएंगे।

तब तक क्या मैं, इंतजार करती रहूँ ? मुंह बनाते हुए , नंदिनी ने पूछा। 

न- न तब तक हम, फोन पर ही गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड खेलते रहेंगे , कभी तुमने मुझे फोन किया, कभी मैंने तुम्हें फोन किया। दूर रहते हुए भी हम पास रहेंगे। इसका भी अपना अलग मजा है , परेशान ना हो, हर पल को जियो ! अब मुझे देखो! सुबह से शाम काम में दिन कब निकल जाता है? पता ही नहीं चलता, शाम को तुम्हारी याद आती है तो तुम्हारी फोटो देख लेता हूं। ''दिल में छुपा रखी है ,तस्वीर-ए -यार की,

                                                                             जब भी याद आती है नजरें , झुका कर देख लेता हूं।''

बस-बस ,शायर साहब ,कहीं मुझे अपने आप पर गुरुर ना हो जाए , चलिए ,फोन रखती हूं , आगे भी इसी तरह,फोन करते रहिएगा। 

हां हां क्यों नहीं? हम तो, अपनी रानी साहिबा के गुलाम हैं ,कह कर हंसने लगा।

आज अचानक अखबार में कुछ ऐसी खबर पढ़ी , रोहित की पापा के, चेहरे पर चिंता के बादल छा गए , क्या हुआ ? जी , सरिता ने अपने पति से पूछा। 




कुछ नहीं, कहकर बाहर को निकल गए। चिंता होना तो स्वाभाविक था, अभी बेटे का नया-नया विवाह हुआ है ,बहु, उसकी प्रतीक्षा में है और युद्ध छिड़ गया। न जाने क्यों यह युद्ध होते हैं ?क्यों ये लोग चैन से ना ही रहते हैं ,ना रहने देते हैं। युद्ध का परिणाम कुछ भी हो सकता है। शाम तक सरिता जी को और नंदिनी को भी युद्ध के बारे में पता चल गया था। सभी के चेहरों पर चिंता छाई थी। उन्होंने अपने बेटे को फोन करना चाहा ,कई बार तो फोन लगा ही नहीं, एक बार लगा भी तो...... वह भी बहुत जल्दबाजी में, रोहित ने कहा -यहाँ सब ठीक है, आप चिंता ना करें , तब मां से बोला - मम्मी! यदि मैं रहा तो सम्मान के साथ आऊंगा और यदि मैं नहीं रहा तो नंदनी से को मेरा एक संदेश दे देना,'' वह मेरा इंतजार ना करें, और मेरी जगह किसी और को दे दे। '' शायद , मरने से पहले,यही उसका ''आखिरी कॉल ''था। 

रोहित आया , सम्मान के साथ , किंतु चार लोगों के कंधों पर,वो 'वीरगति ''को प्राप्त हो गया था ,नंदिनी उसकी उसी ''आखिरी कॉल ''को स्मरण कर रही थी -अबकि छुट्टियों में ,हम दोनों साथ आएंगे , ये सब सोचते ही उसकी आंखें भर आई थीं। 
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सुंदर लिखा है आपने बहन 😊 कृपया मेरी कहानी बहू की विदाई के हर भाग पर अपना लाइक 👍 और व्यू दे दें 😊🙏

10 अगस्त 2023

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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

2 अगस्त 2023
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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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अबके बरस

16 अगस्त 2023
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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

18 अगस्त 2023
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सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

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एक राज़

20 अगस्त 2023
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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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सुम्मी!

25 अगस्त 2023
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जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

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दादीजी!

30 अगस्त 2023
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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

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तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
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बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

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सांझा चूल्हा

11 सितम्बर 2023
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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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स्वार्थी

19 सितम्बर 2023
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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

30 अक्टूबर 2023
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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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