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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024

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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट -पीटकर अधमरा कर दे, कितने दुखों से इस पाला है ? इसकी हर इच्छा पूर्ण की ,इसे पढ़ने भेजा और आज इसने यह दिन दिखला दिया। तुझे क्या जरूरत थी ? उसके पास जाने की,ज्यादा ही जवानी फूट रही है। हमसे कहती, हम तेरा ब्याह करा देते, इस तरह हमारी ''नाक तो न कटती। '' तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई , तुझे क्या ?पूरे गांव में, रतिराम का लौंडा ही मिला था। क्रोध में ,पार्वती न जाने क्या-क्या बोले जा रही थी ?



 डोली रोते हुए ,अपने कमरे में चली गई। अपने पति की तरफ देख कर, पार्वती बोली -मेरे पिता ने मेरा नाम पार्वती रखा है, और औलाद ऐसी निकली है। यह सब तुम्हारे लाड -प्यार का ही नतीजा है। जब मैं इस पर नजर रखती थी, इसे डांटती थी , तब मुझसे कहते थे -क्यों इसके पीछे पड़ी रहती हो ? कल को ब्याह करके अपने घर चली जाएगी , कुछ दिन तो इसे आराम से रहने दो! अब रह ली आराम से, कटवा दी नाक ,अब किससे क्या-क्या कहेंगे ? किसको सफाई देते फिरेंगे ? अब क्या होगा? इसका, पूरे गांव में थू -थू हो रही है। मैं भी तो कहूं ,इसमें कैसे फुर्ती आ रही है ? दौड़-दौड़ कर खेतों पर जाती थी। मैं तो सोच रही थी -मेरी लड़की समझदार हो गई है,अपनी माँ के कामों में हाथ बँटा रही है। किंतु मुझे क्या पता था? यह उस नाशपीटे के चक्कर में, जाती है। न जाने कब से, इसका उससे चक्कर चल रहा है ?मुझे तो कहते हुए भी शर्म आ रही है। 

तुम थोड़ा शांत भी रहोगी, मुझे सोचने दो ! क्या करना है ? कल को, इसी बात पर पंचायत हो सकती है , कुछ लोग कह रहे थे -यदि इस बात को ऐसे ही जाने दिया ,इसे अभी सजा नहीं दी गई तो, इस तरह गांव की अन्य लड़कियों पर , इसका भी बुरा असर होगा और सभी अपने ही गांव की बहू- बेटियों पर सब नजर रखेंगे।गांव की चलना बदल जाएगी, सब ऐसे ही ब्याह कर लेंगे। न ही रिश्तों का, कोई लिहाज़ रहेगा ,न ही बड़ों की शर्म !अपनी जगह उनकी बात भी सही है। 

 शहरों में भी तो, आजकल यही हो रहा है। हमारे गांव के कुछ रीति -रिवाज़ ,कुछ नियम हैं। कितने नाजो से इसे पाला था ? हमें क्या मालूम था ?ये इस तरह यह सिर नीचा करवा देगी। उन्हें अपनी बेटी के बचपन के दिन याद आ रहे थे -जब वह दौड़कर उनकी गोद में चढ़ जाती थी और वह उसके लिए कुछ न कुछ खाने की चीज लाते थे। चारों बच्चों में, सबसे ज्यादा प्रेम उसी से है। तीनों भाइयों की लाडली है। अपने को बेबस महसूस कर रहे थे ,सोच रहे थे ,पंचायत में न जाने क्या निर्णय हो ? कुछ समझ नहीं आ रहा था। 

डोली रोते हुए सोच रही थी -जब उसकी पहली मुलाकात तरुण से हुई थी। तरुण पढ़ने में होशियार है , अपने प्रधान जी का बेटा है, बड़ी पढ़ाई के लिए बाहर गया है किंतु उस दिन वह, भी अपने स्कूल से आ रही थी, अभी वह बाहरवीं क्लास में ही तो है। एक दिन उसके सामने अचानक से तरुण आ गया, तरुण को देखा तो देखती ही रह गई ,यह तो शहर जाकर कितना बदल गया ? काफी स्मार्ट हो गया है। तरुण ने डोली को अपनी तरफ देखते हुए, पूछा -क्या कुछ कहना चाहती हो ?

नहीं, कुछ नहीं, अपने व्यवहार पर स्वयं ही शर्मा गई। 

क्या, तुम बड़े कॉलेज में पढ़ते हो ?

हां, यदि तुम्हें भी आगे पढ़ना होगा तो कॉलेज ही जाना होगा, यहां तो 12वीं तक का ही स्कूल है। धीरे-धीरे दोनों में बातें होने लगी, पढ़ाई की बातें करते-करते, वह एक दूसरे के प्रति आकर्षण महसूस करने लगे। डोली ब्राह्मण परिवार से है, तरुण चौधरी के परिवार से है। दोनों ही अपनी -अपनी अहमियत रखते हैं। किंतु बिरादरी तो अलग है हीं । न जाने धीरे-धीरे बातें करते-करते, एक दूसरे को समझते, कब एक दूसरे के करीब आ गए ?उन्हें पता ही नहीं चला। कभी पड़ोसी की छत पर मिलते , कभी गली - मोहल्ले में कहीं दिख जाते , तो खेतों पर चले जाते। गांव की लड़की है, गांव का ही लड़का है,दोनों पढ़ाई की बातें करते होंगे किसी ने इस और ध्यान ही नहीं दिया, किंतु जब एक दिन, गांव के ही किसी व्यक्ति ने ट्यूबवेल के कमरे में जाकर, उसका दरवाजा खोला, तो दंग रह गया। गांव के प्रधान जी का बेटा, और गांव के ब्राह्मण कुल की बेटी, दोनों कमरे में अकेले थे। यह सब देखकर वह आश्चर्यचकित रह गया। उसने दोनों को डांटा, और आवाज लगाकर आस - पड़ोस के लोगों को भी बुला लिया। तरुण तो भागना चाहता था किंतु उसे भागने नहीं दिया। जब सजा मिलनी है तो दोनों को ही मिलेगी। धीरे-धीरे लोग इकट्ठा होने लगे और यह बात संपूर्ण गांव में फैल गई।

 शर्म के मारे सत्येंद्र जी की तो नजर ही नहीं उठ रही थी। मन ही मन सोच रहे थे, यह इसने क्या कर डाला? पूरी उम्र इज्जत कमाई, और इसे '' मिट्टी में मिलाते '' तनिक भी देर नहीं लगी।

बस इतना ही कह पाए -क्या हमारे प्यार में कोई कमी रह गई थी ,बेटा ! डोली को वास्तव में ही, बहुत दुख हो रहा है उसने अपने पापा का सर नीचा कर दिया , किंतु वह तरुण से भी तो प्यार करती है, तरुण ने भी उसे वायदा किया है, कि वह उसी से विवाह करेगा। 

जिस बात का डर था ,वही हुआ। कुछ देर बाद ही, पंचायत से बुलावा आ गया।मुद्दा था, चौधरी का लड़का और ब्राह्मण कुल की बेटी ! का अनैतिक संबंध। चौधरी साहब दबंग आदमी थे, पैसे वाले भी थे, उन्हें क्या डरना ?रईसों के बेटों के तो यही काम होते हैं। इज्जत तो बेटी वाले की गई , मूंछों पर ताव देकर, आकर कुर्सी पर बैठ गए। 

पंचायत में सुनवाई हुई, और निर्णय लिया गया, कि गलती तो दोनों ही बच्चों की है, दोनों ही पढ़े लिखे हैं, और जानबूझकर की गई ,गलती को क्षमा नहीं किया जा सकता।

पंचायत ने अपना निर्णय सुनाया-चौधरी साहब का बेटा, अब वापस गांव में नहीं घुस सकता,इसने अपने गांव की लड़की संग ही अवैध संबंध बनाये हैं , उसे गांव से निकाला दे दिया गया, और सत्येंद्र जी की बेटी को, उसके परिवार की अच्छाई को ध्यान में रखते हुए ,उसे समझाया गया, और सत्येंद्र जी को आदेश दिया गया शीघ्र से शीघ्र, कोई भी लड़का मिले कोई बड़ा बूढ़ा हो उससे इसका विवाह करा दें और इसे भी गांव निकाला दिया जाता है ,विवाह के पश्चात यह इस गांव में फिर कभी क़दम नहीं रखेगी।  

पंचायत निर्णय तो तरुण को कोड़े ,लगाने का भी दे सकती थी किन्तु चौधरी साहब का पैसा और उनका रुतबा देखकर ,सजा को बदल दिया गया। चौधरी साहब को पंचायत का यह निर्णय भी पसंद नहीं आया था, वह भी परेशान हो उठे, कि क्या मेरा बेटा कभी गांव में नहीं आ पाएगा ? उधर सत्येंद्र जी भी परेशान थे, इतने शीघ्र, कैसे मैं अपनी बेटी का विवाह कर सकता हूं जबकि सारे गांव में और आसपास की गांवों में भी यह चर्चा का विषय बन गया है। कौन , इस वक्त इसका हाथ थामेगा किंतु पंचायत का निर्णय था, न मानने पर और भी कुछ सजा मिल सकती थी।पंचायत ने ये कैसा निर्णय सुनाया ?पार्वती नाखुश होते हुए बोली। 

 उससे तो कम ही है , जो कुछ बरसों पहले, ऐसे ही एक लड़का -लड़की को, पेड़ पर लटकाकर, उन्हें इतना मारा गया था, कि दोनों वहीं तड़प -तड़प कर मर गए थे। उस हिसाब से देखा जाए तो इनकी यह सजा, ज्यादा कठोर नहीं है । पंचायत बर्खास्त हो गई ,दोनों परिवारों में ही परेशानी और चिंता बढ़ गई। 

तरुण को तुरंत ही, गांव की बेटी पर गलत नजर रखने पर और उससे गलत संबंध बनाने पर, उसके गले में जुतों की माला डालकर और उसका मुंह काला करके गांव से निकाल दिया गया। यह चौधरी साहब के लिए बहुत ही अपमानजनक, निर्णय था। सत्येंद्र जी भी, अपनी बेटी के लिए, कोई लड़का ढूंढ रहे थे , उसके लिए रिश्ते तो आ रहे थे कोई दोहाजू था कोई विधुर था तो कोई अधेड़ उम्र था। ऐसे ही रिश्ते उसके लिए आ रहे थे। 



डोली रात- दिन रोती रहती थी , उसे क्या पता था? इन कुछ ही दिनों के साथ के कारण, उसकी दुनिया इतनी बदल जाएगी एक दिन अपने पापा से बोली - पापा !इससे अच्छा तो है ,आप मुझे मार दीजिए, मैं सारी उम्र, इसी आत्मग्लानी में, मरती रहूंगी। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई किंतु इतनी बड़ी गलती भी नहीं है कि मेरी संपूर्ण जिंदगी का ही सर्वनाश हो जाए। पुराने समय में भी, राजकुमारी के स्वयंवर हुआ करते थे उसमें किसी भी धर्म जाति का, या किसी भी राज्य का राजकुमार आकर, उस आयोजन का हिस्सा बन जाते थे। उन राजकुमारी को अपने वर को चुनने का अधिकार था। क्या हमें इतना भी अधिकार नहीं है ? वह भी मुझे प्यार करता है , मैं भी उससे प्यार करती थी। क्या हमारी शादी नहीं हो सकती ?

यह बात पार्वती ने सुन ली और उसने बेटी के मुंह पर थप्पड़ लगाया और बोली-अभी भी तेरे सर से उसका भूत नहीं उतरा। 

मैंने इसमें कौन सा गलत कह दिया ? उससे प्यार करती थी, उससे ही, विवाह करवा दीजिए। 

सत्येंद्र जी को यह बात, पसंद आई और बोले -यदि उसने विवाह करने से इनकार कर दिया तब तू क्या करेगी ?

तब आप जो भी और जैसा भी कहेंगे, मैं उसी से विवाह कर लूंगी। 

एक रात्रि गांव वालों से छुपते -छुपाते सत्येंद्र जी चौधरी साहब के घर गए, और उनसे बातें की, उनसे कहा-एक निर्णय हमारे बच्चों के विषय में ,पंचायत ने सुनाया ,एक निर्णय अपने बच्चों का भविष्य देखते हुए ,हमें स्वयं करना होगा। आपका बेटा,अब इस गांव में नहीं आ सकता किंतु मेरी बेटी तो उसके पास जा सकती है दोनों एक दूसरे से प्रेम करते हैं ,क्यों न दोनों का ही घर बसा दिया जाए ? मुझे तो अपनी बेटी का विवाह करना ही है, तब मैंने सोचा, क्यों न उसी से विवाह करवा दिया जाए, जिससे वह प्रेम करती है। यदि आप चाहे तो इस अनैतिक रिश्ते को, नैतिक बना सकते हैं। मेरी बेटी भी पढ़ी -लिखी है, दोनों साथ रहेंगे एक दूसरे का सहयोग रहेगा। हम क्यों उनके जीवन से खेलना चाहते हैं ? आप चाहें तो इस रिश्ते को एक सही दिशा मिल सकती है, कह कर सत्येंद्र जी अपने घर आ गए।

 चौधरी साहब ने भी बहुत सोचा-और सतेंद्र जी के घर संदेशा पहुंचा दिया, अपनी बेटी को लेकर शहर में पहुंचे। गांव वालों से गुप्त तरीके से, यह सब कार्य हो रहा था। शहर में जाकर, दोनों का मंदिर में विवाह करा दिया गया और दोनों को भविष्य में ,सुखी जीवन का आशीर्वाद दिया।

 तब चौधरी साहब बोले - आपने ठीक ही निर्णय लिया था ,माना कि दोनों से ही बचपने में गलती हुई है। हमें , उनकी गलतियों को नजरअंदाज कर, आगे सही राह दिखानी है, और हमें आगे गलती का मौका नहीं देना है। इन दोनों बच्चों के भविष्य से खेलने का हमें कोई हक नहीं है। 

दोनों पिताओं की समझदारी के कारण, आज डोली और तरुण एक सुखी और वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे हैं । 
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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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अबके बरस

16 अगस्त 2023
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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

18 अगस्त 2023
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सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

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एक राज़

20 अगस्त 2023
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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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सुम्मी!

25 अगस्त 2023
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जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

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दादीजी!

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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

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तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
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बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

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11 सितम्बर 2023
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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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स्वार्थी

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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

30 अक्टूबर 2023
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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

31 दिसम्बर 2023
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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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