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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024

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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में भूत- प्रेत ,पिशाच ही नहीं होते। जहां भूत- प्रेत, पिशाच हों वही रात ''भयानक रात'' नहीं होती। किसी के लिए वह चांदनी रात है। किसी के लिए प्रेम का संदेश देती है। किसी के लिए आराम की रात है। हमारे हवलदार प्रताप सिंह जी के लिए वह रात अत्यंत'' भयानक रात'' बन गई , वही रात नहीं, उससे जुड़ी आगे आने वाली कई रातें भी उनके लिए भयानक हो गईं।



प्रताप सिंह जी अपने नाम की तरह ही, प्रतापी थे। बहादुर व्यक्ति थे, जोश उनके अंदर कूट-कूट कर भरा हुआ था, देश के लिए और अपने लोगों के लिए कुछ कर जाना चाहते थे। किंतु परिस्थितियाँ ऐसी रहीं , वह पुलिस में भर्ती तो हो गए किंतु हवलदार ही बनकर रह गए। घर के इकलौते बेटे थे। आगे बढ़ने का प्रयास करते, और किसी न किसी कारण से पीछे रह जाते। अब अपने आगे बढ़ने की उम्मीद उन्होंने छोड़ ही दी थी, किंतु कुछ दिनों से उनके मन में जोश और उत्साह फिर से उमड़ गया था क्योंकि उनका बेटा, अब दसवीं की पढ़ाई कर रहा था। मन ही मन वह उसे पुलिस के बड़े पद पर देखना चाहते थे , इसलिए उसको पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते और स्वयं उसको, अपनी तरफ से, अपने बेटे सुबोध को पहले ही प्रशिक्षण देना आरंभ कर दिया। इतना तो वह जान ही गए थे कि पुलिस में भर्ती के लिए ,उनके बेटे को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है , इसीलिए वह पहले ही ,हर तरह से मजबूत कर देना चाहते थे। सारा दिन पढ़ने का कार्य था ,वे चाहते थे कि अच्छे से अच्छे अंको से वह आगे बढ़े। 

प्रातः काल ही उसे उठाकर, घूमाने के लिए ले जाते थे, उनके लिए यह उनके प्रशिक्षण का प्रमुख कार्य था। हर मां-बाप की दृष्टि में यही होता है कि अपने बच्चों को, पूरी तरह से, प्रशिक्षित कर देना चाहते हैं जो कमियां उनमें रह गईं या जिन कमियों के कारण ,वह आगे न बढ़ सके। उन कमियों को समझते हुए, यही उम्मीद लगाते हैं कि हम तो आगे न बढ़ सके किंतु हमारा बच्चा, आगे बढ़े। उन्हें इस बात की बहुत ही प्रसन्नता होगी कि उनका ही बेटा, उनसे बड़ा अफसर बनेगा। किसी चीज की भी कमी नहीं छोड़ देना चाहते थे। 

सुबोध ! जी पापा जी !

जी, पापा जी कर रहे हो ,अब तक तो तुम्हें दौड़ लगाने चले जाना चाहिए था। अभी तक पड़े सो रहे हो। 

 रात्रि में थोड़ी, देर से सोया था परीक्षाएं भी तो आने वाली हैं इसीलिए आंख ही नहीं खुली। इकलौता बेटा होने के साथ -साथ आज्ञाकारी भी था ,जो कहते मान लेता। 

यह बात तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताई ?यदि तुम्हारी परीक्षाएं हैं , तो अपने को परेशान मत करो !मन लगाकर पढ़ो और अच्छे से परीक्षाओं की तैयारी करो ! प्रशिक्षण फिर से आरंभ करेंगे। 

 अब आंख ही खुल गई हैं , तो चला जाता हूं। 

ठीक है, किंतु आज के पश्चात परीक्षाओं के पश्चात, चले जाना। सुनो !अपनी पत्नी से बोले-इसका जरा विशेष ख्याल रखना , किसी चीज की कमी न होने देना, इसका खाना समय पर होना चाहिए, मैं इसके लिए , बादाम, चवनप्राश इत्यादि चीजें लाकर रख दूंगा। प्रताप सिंह जी को उम्मीद थी, कि बेटा अच्छे अंकों से पास होगा उसके पश्चात वह प्रशिक्षण देंगे और जब पहले से ही ,बच्चा अनुभवी होगा तो किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रह जाएगी। मैं भी गर्व से कह सकता हूं ,कि यह ऑफिसर मेरा बेटा है। कितने अरमान सजोए थे ? बस कुछ दिनों की ही तो बात है। कम से कम एक महीना समझ लो, उसके पश्चात, इसका प्रशिक्षण फिर से आरंभ कर दूंगा। चलो !इस बहाने मेरी भी परेड हो जाएगी सोच कर ही मुस्कुरा दिए। 

एक माह पश्चात बेटे की परीक्षाएं भी हो गयीं , और फिर से प्रताप सिंह जी ने उसका प्रशिक्षण आरंभ कर दिया। इस तरह बेटे के बारहवीं की परीक्षाएं भी आ गयीं और चली भी गयीं।अब तो बस मंजिल के क़रीब ही हैं। अब सर्दियां भी शुरू हो गई हैं , किंतु जिनके सामने मंजिल होती है और उनके जीवन का कुछ उद्देश्य होता है ,उनके लिए क्या सर्दी और क्या गर्मी ! प्रसन्न होते हुए स्वयं भी 5:00 बजे उठ जाते और बेटे को भी उठाते। चलो! मैं भी तुम्हारे पीछे-पीछे आ रहा हूं और दोनों बाप -बेटा घूमने निकल जाते , उस दिन कुछ ज्यादा ही धुंध थी, घना कोहरा छाया था। इतनी ठंड में, अब प्रताप सिंह जी से भी नहीं उठा जाता, किंतु बेटे के कारण स्वयं भी, उठते हैं, यदि वह स्वयं ही अलसी करेंगे तो बेटा ,पहले से ही नहीं जा पाएगा। 

पापा आज तो बहुत ही धुंध है। 

हां है तो, किंतु नियम तो नियम होता है। जब हमें टहलना ही है। क्या आज दौड़ने का मन नहीं है ?तो थोड़ा सा टहल लेते हैं और फिर उसके बाद घर वापस चलते हैं, इतना घना कोहरा था कि 10 कदम की दूरी पर क्या हो रहा है ?वह भी नहीं पता चल पा रहा था। अचानक, बेटे को न जाने क्या सूझी ? और वह दौड़ लगाने लगा। पापा आप मेरे पीछे आइये ! मैं जा रहा हूं। कहते हुए , वहआगे निकल गया। 

अरे !रुक तो जरा, मैं भी आ रहा हूं, पता नहीं इसे क्या सूझी ? चलो अच्छा है लगाने दो दौड़ ! इस उम्र में नहीं दौड़ेगा तो कब दौड़ेगा ?मन ही मन सोचा।



सुबोध कहीं भी दिख नहीं रहा था, उन्होंने आवाज लगाई किंतु उनकी आवाज भी शायद, उस तक नहीं पहुंच पा रही थी, कुछ ज्यादा आगे निकल गया है, क्या ? सोचते हुए आगे बढ़े, तभी वह किसी चीज से टकराये नीचे झुककर देखा तो आश्चर्यचकित रह गए , यह क्या हुआ ? उन्होंने उस इंसान को सीधा किया ,यह तो सुबोध है ! उनके हाथ- पैरों की जैसे जान ही निकल गई, वह शायद वहीं चक्कर खाकर गिर जाएंगे किंतु अपने बच्चे के लिए उन्हें मजबूत होना था। थोड़ी भी देरी उनके बेटे के लिए, गलत साबित हो सकता था उन्होंने चिल्लाना आरंभ कर दिया। तभी एक ऑटो वाला उन्हें जाता दिखा , उन्होंने उसे आवाज लगाई और फौरन उसे ऑटो में बिठाकर अस्पताल की ओर चल दिए। बेटे को अस्पताल में भर्ती किया।

 इसे बहुत गहरी चोट आई है ,डॉक्टर ने बताया -शाम तक यदि इसे हो आ गया तो ठीक है ,प्रताप सिंह जी ने फोन पर ही अपनी पत्नी को सभी परिस्थितियों से अवगत कराया। वो भी घर को बंद करके वहीं आ गयीं ,दोनों पति -पत्नी ने दिनभर कुछ नहीं खाया। लगभग शाम को चार बजे बच्चे को होश आया ,दोनों अपने बच्चे को देखने गए। प्रताप सिंह जी पुलिस के आदमी थे। जानना चाहते थे कि आख़िर हुआ क्या था ?

तब उनके बेटे ने टूटे शब्दों में बताया- कि कोई ट्रक उसे टक्कर मारकर गया था। अब अपने आप पर ही प्रतापसिंह जी पछतावा कर रहे थे कि क्यों मैंने इसे सोने नहीं दिया ,इतनी ठंड में मुझे इसे दौड़ाने की क्या आवश्यकता थी ?अपने सपनों के चलते मैंने इसे भी आराम से रहने नहीं दिया। तब उनकी पत्नी उनसे बोली -अब वह ठीक है ,आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है ,अब कुछ खा लीजिये। डॉक्टर के आश्वासन पर दोनों पति -पत्नी खाना खाने चले गए किन्तु जब वो वापस आये ,उनका सुबोध इस दुनिया को छोड़कर जा चुका था। वो रात्रि उन दोनों पति -पत्नी के लिए सबसे ''भयानक रात ''बन गयी ऐसी न जाने कितनी रातें उन्होंने रोते ,करवट बदलते सिसकियों में गुजारी। 

यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है , इसमें नाम के परिवर्तन के अलावा, उसकी मौत में भी परिवर्तन किया गया है क्योंकि वास्तविकता में उसकी मौत दुर्घटना स्थल पर ही हो गई थी।  
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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

2 अगस्त 2023
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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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अबके बरस

16 अगस्त 2023
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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

18 अगस्त 2023
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सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

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एक राज़

20 अगस्त 2023
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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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सुम्मी!

25 अगस्त 2023
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जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

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दादीजी!

30 अगस्त 2023
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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

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तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
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बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

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सांझा चूल्हा

11 सितम्बर 2023
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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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स्वार्थी

19 सितम्बर 2023
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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

30 अक्टूबर 2023
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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

31 दिसम्बर 2023
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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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