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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023

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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये वो नहीं हो सकती किन्तु मेरा मन तो मान ही नहीं रहा ,कह रहा है -ये वही आँखें हैं ,जिनकी तलाश में मैं ,बरसों से इस रेगिस्तान की रेत को निहारता रहता हूँ।मेरा मन आज भी ,उस रेगिस्तान में कहीं भटक रहा है ,जैसे उस रेत में कहीं खो गया है ?उस तूफान में ,खो ही तो गया था। पूरा चेहरा नहीं देख पाया ,क्योंकि उसने अपना चेहरा पल्लू से ढका हुआ था इसीलिए उसे ठीक से नहीं देख पाया। किन्तु आँखें तो वही हैं। वो मुझे ,अपनी ओर इस तरह देखते हुए ,वापस चली गयी।



 
मैं समझ नहीं पा रहा था ,कि क्या किया जाये ?एक दिल कह रहा था -ये वही है ,किन्तु तभी मेरे मस्तिष्क ने समझाया ,नहीं ,ये वो कैसे हो सकती है ?वो तो मर चुकी है ,अब इस दुनिया में नहीं रही। पांच वर्ष पहले जब आया था। तभी तो मुझे वो मिली थी ,इसी तरह चाय लेकर आई थी ,मैं राजस्थान की सैर के लिए आया था। उसकी वो कजरारी आँखें मुझे आज भी याद हैं ,उसकी चम्पई रंगत मेरे दिल में असर कर गयी थी ,उसकी पतली कमर ,सुडौल शरीर ,उस पर उसकी कजरारी आँखे ,अपनी ओर स्वतः ही खींच लेतीं ,मैं उसकी ओर खींचता चला गया। उसकी बिंदास हंसी ,उसकी बातें ,ऐसा लगता ,उसे सामने बैठाकर,उसे देखता रहूं और उसकी बातें सुनता रहूँ , उसकी आँखों में खो जाऊँ, किन्तु ऐसा नहीं हो सकता था ,मन की भावना मन में ही रही , नई जगह है ! पता नहीं, ये लोग कैसे हैं ?

एक दिन मैंने उससे कहा -मुझे वो इलाका अथवा यहाँ के गांव देखने हैं ,जहाँ रेत ही रेत होता है ,मैंने सुना है ,वहाँ रेत के टीले भी होते हैं। 

रेत का क्या देखना ? वहाँ रेत और मौत के सिवा कुछ नहीं ,आप लोगों के लिए तो ये रोमांचक करने वाली जगह है किन्तु हम लोगों के लिए ,वहां मौत के सिवा कुछ नजर नहीं आता ,वो भ्र्म पैदा करता है । 

 हम ये ज़िंदगी भी तो भ्रम में ही जीते हैं ,फिर भी जीते हैं ,मैंने उस पर किसी दार्शनिक की तरह जबाब मारा।जिंदगी में कुछ अलग न हो ,कुछ रोमांच न हो तो, जीने से क्या लाभ ?एक ज़िंदगी मिली है ,उसे भी ठीक से नहीं जिया तो क्या जिया ?

मैंने उस पर ,रौब मारने के लिए दो -चार भारी भरकम ,वाक्य सुना डाले, उसे समझ आये या नहीं किन्तु अपनी बात कहकर मैं अवश्य ही उसके सामने अपने को ज्ञानी समझ रहा था। 

अगले दिन मेरी एक दोस्त आ भी गयी और हम जोधपुर से ,''ओसियां गांव ''के लिए निकल गए ,जब हम वहाँ पहुंचे ,तब उन लोगों ने हमे इंतजार करने के लिए कहा क्योंकि वहाँ तूफान आने का अंदेशा था , घोषणा हुई थी ,किन्तु मेरा मन नहीं माना ,मेरे उतावलेपन के कारण , हम लोग अकेले ही ,वहाँ से आगे निकल गए , मैंने सोचा था -ये तूफान क्या कर लेगा ? रेत ही तो है ,प्रत्यक्ष देखने में अलग ही मजा आएगा। रेत तो यूँ ही फिसलता है ,मेरा अलग ही सिद्धांत था ,चम्पा ,मैं और मेरी एक दोस्त ,जो चम्पा को उसके घरवालों से कहकर अपने साथ लाई थी। उसके घर से भी ,एक आदमी था ,इस तरह हम चार लोग आगे बढ़ गए। मैं देखना चाहता था ,कैसे रेत पर पैरों के निशान बनते चले जाते हैं ?कैसे रेत के टीले बनते हैं ? क्या हम फंस भी गए तो निकल भी सकते हैं या नहीं। 

अभी शरुआत थी, मैंने अपनी दोस्त से कहा -इन्हीं पैरों के निशानों से ही ,वापस आ जायेंगे ,अक्सर फिल्मों में देखा है ,आज मैं प्रत्यक्ष ये सब देख रहा था ,मेरा मन पुलकित हो रहा था ,हम आगे -आगे बढ़ते जा रहे थे। मैंने पहले ही योजना बना ली थी ,यदि तूफान आया भी तो आपस में ,हाथ पकड़कर साथ रहेंगे और वापस लौट जायेंगे। मैं अपने को होशियार समझ रहा था किन्तु यहाँ के हालातों से कतई भी वाकिफ़ नहीं था। जब हालात बिगड़े ,कुछ समझ नहीं आया ,हम भागे ,तूफान तेज था ,धूल आँखों में भर रही थी ,कुछ भी दिखलाई नहीं पड़ रहा था ,मैं अपनी दोस्त का हाथ पकड़कर, भागने का प्रयास कर रहा था। चम्पा भी ,अपने साथ आये ,आदमी के साथ थी ,कुछ भी दिखलाई नहीं पड़ रहा था ,हमने अपने चश्में पहने हुए थे ,मुँह और कानों पर अपने साथ लाया कपड़ा लपेट लिया ,मैंने एक किताब में पढ़ा था ,इसीलिए सावधानी भी बरती थी ,हमारे पैरों के निशान भी मिट गए थे बस हम विपरीत दिशा में भाग रहे थे। हमें दूर से वो गांव के करीब होने का एहसास हो रहा था ,वो दोनों यानि चम्पा और उसके साथ आया आदमी नहीं दिख रहे थे। थोड़ी दूर में ही हम थकने लगे थे ,कोई दिवार दिख तो रही थी किन्तु वहाँ तक जाने का साहस था ,धीरे -धीरे हम अपने होश खोते चले गए। जब मेरी आँखें खुलीं ,हम उस गांव के लोगों के बीच थे ,मैंने होश में आते ही चम्पा अपनी दोस्त और उस आदमी के विषय में पूछा। वे दोनों तो ठीक थे ,किन्तु चम्पा नहीं मिली। इससे मैं बुरी तरह आहत हुआ ,मैं उसे खोजने जाना चाहता था किन्तु उन लोगों ने जाने नहीं दिया। मेरे मन में अपराधबोध की भावना घर कर गयी। अंदर ही अंदर मैं बहुत दुखी था ,इसमें मेरा भी दोष नहीं था ,ये कहकर उसके घरवालों ने मुझे माफ कर दिया। किन्तु चम्पा की हंसी ,उसकी बातें ,मुझे रह रहकर स्मरण होती रहीं। मुझे लगता ,मैंने एक हँसती -खेलती ज़िंदगी ,अपनी ज़िद की भेंट चढ़ा दी।

अपने घर जाकर भी मैं ,मन से यहीं रह गया ,हर वर्ष इधर आता ,उसके घरवालों को कुछ पैसे देकर अपने मन का बोझ उतारता। उस स्थान पर बैठकर ,मैं सोचता ,क्या ही चमत्कार हो ,वो उसी तरह ,हंसती -खिलखिलाती वापस आती दिखलाई दे। हर वर्ष उसका इंतजार करता और निराश हो ,वापस आ जाता किन्तु आज लगा जैसे मेरा स्वप्न पूर्ण हुआ ,किन्तु उसने घूंघट लिया हुआ था। मेरे मन में ,संघर्ष चल रहा था , क्या ये वही है ?ये मुझे चम्पा जैसी ही लग रही है ,किससे पूछा जाये ये कौन है ? मैं उसी स्थान पर गया ,जहाँ उस वर्ष टिका था और उनसे पूछा ,चम्पा कहाँ है ?

 उन्होंने मुझे घूरा ,ये क्या कह रहे हो ?वो तो चार बरस पहले..... 

अच्छा ,उस आदमी को बुलाइये !जो उस दिन हम लोगों के संग गया था ,तुम लोगों के साथ कौन गया था ?हमारे में से कोई नहीं था ,न ही हमने चम्पा के संग किसी को भेजा था ,चम्पा को भी हमने तुम्हारी वो दोस्त थी इसीलिए भेजा था। सुबोध सोचने लगा -किन्तु चम्पा तो उसे जानती थी ,हमने भी उस समय ,ये ध्यान ही नहीं दिया। ये क्या माजरा है ?यदि वो इंसान नजर आ जाये ,तब सब बात साफ हो जाये। चम्पा के न रहने पर ,मैं इतना दुखी था ,कुछ भी सोचने समझने की शक्ति नहीं रही। आख़िर ये माजरा क्या है ?अपनी दोस्त को फोन करके बताया ,वो भी मुझे ,मेरा वहम बता रही थी किन्तु मेरा मन नहीं मान रहा था ,वो चीख -चीखकर कह रहा था ,ये और कोई नहीं चम्पा ही है ,मैं उन आँखों को कभी भूल नहीं सकता। टहलते हुए ,मुझे शाम हो गयी ,मैं वापस उस कमरे में जाने के लिए ,जैसे ही घुसा ,चम्पा मेरा बिस्तर ठीक कर रही थी। 

एकाएक मेरे मुँह से निकला ,कौन हो ?तुम !

मेरी आवाज सुनकर उसने झट से ,अपना चेहरा ढ़क लिया , अब छुपने से कोई लाभ नहीं ,मैं जान गया हूँ तुम चंपा ही हो ,कहकर मैं भावुक हो उठा और उसको पकड़ ,उसका घूंघट उठाया ,मैं सही था ,तुम चम्पा ही हो। तुम तो रेत के तूफान में फंस गयीं थीं फिर यहाँ कैसे ?मैं पांच बरसों से अपने को माफ नहीं कर पाया ,तुम तो जिन्दा हो, ये सब क्या नाटक है ?मैंने झुंझलाकर पूछा। और वो लड़का कौन था ?जो हमारे साथ था। वो चुप रही ,मुझे जबाब चाहिए ,बताती क्यों नहीं ?ये सब क्या नाटक है ?मैं हर साल तुम्हारी स्मृतियों को स्मरण कर दुखी होता हूँ ,तुम्हें मैं मन ही न चाहने लगा था किन्तु तुमने तो पता नहीं कौन सा नाटक रच डाला ? बोलो !बोलती क्यों नहीं ?

मेरे हाथों से अपना हाथ छुड़ाकर वो ,अलग खड़ी हो गयी ,और बोली -बाबू सा वो मेरा प्रेमी था ,जब तुमने हमें बतलाया था, कि घूमने जाना है ,तब हम दोनों ने ,योजना बनाई ,हम भी जानते थे ,तुफाँन आने वाला है ,उससे बचना कैसे है ?ये भी हमने सोच लिया था। मेरे बापू सा और भाई सा , उससे मेरा विवाह नहीं होने देते ,तब मैंने और उसने यही योजना बनाई ,हम वहीँ एक जगह पर जाकर ,पहले ही बच गए थे। तूफान में ,आप लोग फंसे थे ,हम जानते थे ,कि कोशिश करेंगे ,आप लोगों को बचा लेंगे ,जब तूफान थमा ,हमने दोनों को ढूंढा और उन लोगों के हवाले कर दिया। आप लोग चले गये और हम भी ,अलग शहर में विवाह करके रहने लगे। उस भोले ,मासूम चेहरे को देखकर मैं हैरान था ,ये ऐसा खतरनाक मंसूबा भी बना सकते हैं। मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था। जो प्यार जो सम्मान मेरी नजरों में उसके लिए था ,वो स्थान जैसे एकदम से रिक्त हो गया। 

रात्रि ,न जाने मैंने किस तरह से काटी ?सुबह ही मैं वापस जाने के लिए तैयार हो गया ,चलते समय सोचा उससे एक बार पूछ लूँ ,तुम्हारा पति कहाँ है ?

उसे तो गए ,दो बरस हो गए ,अब वो इस दुनिया में नहीं है ,इसीलिए तो यहाँ उसके इस घर को किराये पर देकर खर्चा चलाती हूँ। 

मैं एक बार को हैरान सा उसी जगह बैठ गया ज़िंदगी भीं न जाने क्या -क्या खेल दिखाती रहती है ?मैं उस रेगिस्तान में फिर से कहीं खो गया। 
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने बहन 😊 मेरी कहानी कचोटती तन्हाइयां पर भी लाइक कर दें 🙏

31 अक्टूबर 2023

Laxmi Tyagi

Laxmi Tyagi

9 नवम्बर 2023

धन्यवाद आपका, मैने आपकी कहानी पढ़ी है👌👌

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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

2 अगस्त 2023
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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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अबके बरस

16 अगस्त 2023
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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

18 अगस्त 2023
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सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

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एक राज़

20 अगस्त 2023
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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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सुम्मी!

25 अगस्त 2023
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जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

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दादीजी!

30 अगस्त 2023
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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

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तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
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बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

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सांझा चूल्हा

11 सितम्बर 2023
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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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स्वार्थी

19 सितम्बर 2023
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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

30 अक्टूबर 2023
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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

31 दिसम्बर 2023
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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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