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समझौता

3 फरवरी 2024

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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थी, कि उनके बीच रिश्ता क्या है ? कहीं ऐसा ना हो, कि किसी गलतफहमी में, कुछ का कुछ हो जाए। अपनी उस गलतफहमी को दूर कर लेना चाहती थी किंतु यह गलतफहमी नहीं थी। सच ही था। उसका भ्र्म टूट गया। आज नितिन अपनी किसी दोस्त के साथ ,उसी मॉल में घूम रहा था जिसमें कल्पना सामान खरीदने के लिए आई थी। दिल में तो आया कि उनके सामने जाकर खड़ी हो जाऊं ! और उस लड़की से बताऊं -कि यह मेरा पति है , किंतु वह इस तरह अपने परिवार का, सरे बाजार , तमाशा भी नहीं बनाना चाहती थी। उसकी आंखों में आंसू भर आए। उसने क्या नहीं किया? इस परिवार के लिए , अपनी जिंदगी ,अपने सपने, सब कुछ तो खपा दिया। बदले में उसे क्या मिल रहा है ?धोखा, अविश्वास !



आंसू भरे नेत्रों से उसने कुछ सामान खरीदा और घर की ओर रवाना हो गई। घर में आकर देखा, उसके छोटे-छोटे बच्चे अपने दादा-दादी के साथ खेल रहे हैं। उसे नितिन पर बहुत क्रोध आ रहा था, मन में तो आ रहा था ,उसके धोखे के लिए ,सब कुछ तहस-नहस कर दे, पर इससे क्या हो जाएगा ? वह सुधर तो नहीं जाएगा। न ही, उसे अपनी गलती का एहसास होगा। उसका यह इतना प्यारा घर ,जिसे इसने बरसों से मैंने संवारा है ,वह बिखर जाएगा, तिनका तिनका हो जाएगा। उसकी रुलाई फूट पड़ी और वह अंदर कमरे में जाकर कमरे में जाकर बिस्तर पर लेटकर, फूट-फूट कर रोने लगी। 

बहु क्या कुछ हुआ है ? क्या कोई परेशानी है ?मुझे बताओ !

नहीं, मम्मी जी !कुछ नहीं हुआ है, आप बस चली जाइए !मुझे थोड़ी देर के लिए अकेला रहने दीजिए। मैं अकेले रहना चाहती हूं। अपने आंसुओं को छुपाते हुए बोली। 

नहीं ,जब तुम आई थीं मैंने तभी तुम्हारे चेहरे को पढ़ लिया था , मैं जानना चाहती हूं ,कि तुम, यह दर्द कहां से लाई हो और क्यों छुपा रही हो ?

अच्छा, मम्मी जी! एक बात बताइए -क्या कभी मैंने, आपकी किसी भी बात की परवाह नहीं की, कभी आपका कहना नहीं माना, कभी इस परिवार के लिए रात- दिन एक नहीं किया। पापा जी के और आपकी किसी काम में मैंने लापरवाही बरती है। कभी मैंने नितिन का कोई कार्य अधूरा छोड़ा है, उसके सभी कार्य समय पर किए हैं या नहीं।  

  यह सब तो मैं जानती हूं किंतु तुम मुझसे , यह सब क्यों पूछ रही हो ?

क्योंकि इतना सब करने के बावजूद भी मुझे धोखा मिला है, मैंने इस परिवार के लिए कितने समझौते किए ? अपनी पढ़ाई छोड़ दी, नौकरी करती थी वो नौकरी भी छोड़ दी। सारा दिन, इस परिवार में लगी रहती हूं। सजना- संवरना तक भूल गई और इसके बदले मुझे क्या मिला ? धोखा ! नितिन ने मेरे विश्वास को तोड़ दिया। कहते हुए, वो फिर से रोने लगी। 

 कहीं तुम्हारी गलतफहमी तो नहीं , क्या तुम्हें पूर्ण विश्वास है ?वह तुम्हें धोखा दे रहा है। 

जी, मैंने अपनी इन्हीं आँखों से देखा है। पहले तो,मैंने विश्वास नहीं किया था किंतु जब मैंने उन दोनों को साथ में देखा, उन्हें बातें करते हुए देखा तब मुझे यकीन हुआ -कि नितिन मुझे धोखा दे रहे हैं।

अब तुम क्या करोगी ? तुमने कुछ सोचा है। 

यह आप ,मुझसे पूछ रही हैं ? मैं इस घर को छोड़कर चली जाऊंगी , उनके जीवन से निकल जाऊंगी । जब उनके मन में ,मेरे प्रति प्यार, सम्मान ,विश्वास कुछ भी नहीं रहा , तो मेरा इस घर से जाना बेहतर होगा ?

कहां जाओगी ?तुम! तुमने इतने वर्षों से, इस अपने मंदिर जैसे घर को सजाया है, यह घर तुम्हारा है। वह तो रात में, आकर सो जाता है। इसे सजाती -संवारती तो तुम ही हो। यदि तुमने उसे, इस तरह छोड़ दिया ,क्या उसे अपनी गलती का एहसास होगा ? तुमने जो यह अपना घर सजाया -संवारा है ,क्या यह बिखर नहीं जाएगा ? मान लो! तुम क्रोध में चली भी गईं , और इस जगह को बसाने के लिए ,कोई दूसरी आ गई। तो क्या वह इस घर को वह अपनापन ,वह प्यार, दे पाएगी। तुम्हारे तरीके से इस घर को संवार पाएगी ,जैसे तुमने संभाला है।तुम अपनी चीज किसी के लिए कैसे छोड़ सकती हो ? 

तब आप ही बताइए ,मम्मी जी! मैं क्या करूं ? कल्पना फिर से बिलख -बिलखकर रो उठी। 

तुम्हें साहस से काम लेना होगा , कहां गलती रह गई? जो वह इस तरह भटक गया। उस बात को समझना होगा। उसे एहसास दिलाना होगा, कि उसने कैसे एक रिश्ते में काँटे बोने का प्रयास किया है। तुमने इतने सारे समझौते किए ,क्या उनका कोई महत्व नहीं ? क्या उनकी कोई कीमत नहीं ? उसे इसी बात का एहसास दिलाना होगा। यदि तुम इस घर को छोड़कर चली गईं , तो क्या वह संभल जाएगा ? जब तुमने इतने समझौते किए हैं, तो अपने इस घर को संवारने और अपने रिश्ते को बनाये रखने के लिए ,एक समझौता और करना होगा। भटके हुए को, सही राह पर लाना होगा। यूं रोने से काम नहीं चलता , न ही डरकर भागने से काम चलता है, इस मुसीबत का डटकर सामना करना होगा। तेरी यह ''सासू मां'' तेरे साथ है ,कहकर वो मुस्कुरा दीं। 




शाम को जब नितिन अपने घर आया तो उसने देखा -कल्पना और बच्चे तैयार खड़े हैं, मम्मी पापा भी बैठे हैं। वह समझ नहीं पाया ,कि यह क्या हो रहा है ? उसने कल्पना से पूछा -क्या तुम लोग कहीं जा रहे हो ?

पापा हम ही नहीं आप भी हमारे साथ चल रहे हैं। नहीं ,मैं तो दिनभर का थका हुआ हूं, थोड़ा आराम करूंगा। 

इसमें तुझे करना ही क्या है ? बच्चों को ले जाकर घूमाना है ,डिनर कराना है। बहुत दिन हो गए ,बहू घर से बाहर नहीं गई है. इसे अपने साथ लेकर जाना है मम्मी जी ने जवाब दिया -अंदर जाकर फ्रेश हो जाना और तैयार होकर बच्चों को बाहर घुमाने के लिए ले जाना। हालांकि कल्पना थोड़ी सी उखड़ी हुई थी , उसे अभी भी नितिन का वही रूप स्मरण हो रहा था। किंतु सास ने उसे इस विषय में, नितिन से जिक्र करने के लिए भी मना कर दिया था। उन्होंने कहा था -तुमने अभी तक जो समझौते किए हैं, उनका यह इम्तिहान है , और इसमें पास होना है। घर छोड़कर ,तोड़कर कोई भी जा सकता है , किंतु उसको बनाए रखना ,यही इन समझौतों का इम्तिहान है। बाहर घूमने ले जाने का नितिन का मन तो नहीं था किंतु मम्मी ने भी कह दिया था और बच्चे भी तैयार थे, उसे ले जाना पड़ा। आरम्भ में तो नितिन का मन नहीं था किंतु बाद में ,धीरे-धीरे वह भी मुस्कुराने लगा अपने बच्चों के साथ घूम कर ,उसे भी अच्छा लगा। 

घर आकर कल्पना नितिन से बोली - मैं सोच रही हूं -अब बच्चे भी बड़े हो गए हैं, घर में एक कामवाली रख लेते हैं और अब मैं अपने शौक पूरे करूंगी। तुम जानते तो हो, कि मुझे पहले से ही पेंटिंग और मूर्तियां बनाने का बहुत शौक रहा है, तो अब सोचती हूं क्यों ना मैं ,अपने खाली समय में यही कार्य आरंभ कर दूँ। 

कल्पना की बात सुनकर नितिन झुंझलाया और बोला -क्या आवश्यकता है ?इस तरह खर्च बढ़ाने की। बच्चों और मम्मी -पापा का ख्याल कौन रखेगा ?

 क्या ज्यादा ही खर्चे बढ़ जाएंगे ,तब मैं नौकरी कर लेती हूं। तुम्हारी कमाई पर अब मेरा भी तो अधिकार बनता है ,आज तक तुमसे कुछ नहीं माँगा किन्तु अब तुम्हारा भी तो फ़र्ज बनता है ,मेरी इच्छाओं का ख्याल रखो !ज्यादा ही परेशानी है ,तो मैं नौकरी कर लेती हूँ। क्या तुम्हें स्मरण नहीं ?हम कहाँ मिले थे ?चलो !उन यादों को ताज़ा कर लेते हैं।रही बात मम्मी -पापा जी की अब तुम्हें भी हाथ बटाना होगा। मेरे तो सास -ससुर हैं किन्तु तुम्हारे माता -पिता हैं ,मुझसे ज्यादा तो तुम्हारी जिम्मेदारी ज्यादा बनती है। अब तो आये दिन ,कल्पना नितिन से अपनी कोई न कोई इच्छा, उसके सामने रख देती। एक दिन तो कमाल ही हो गया। जब कल्पना अपनी लम्बी सी चोटी कटवाकर,कटे बालों में उसके सामने आई। आज तो कुछ विशिष्ट ही लग रही थी। नितिन उसे देखता ही रह गया।

 अपनी मम्मी के पास जाकर बोला -अचानक इसे क्या हो गया है ?आये दिन, इसके खर्चे और तेवर बढ़ते जा रहे हैं ,आखिर ये चाहती क्या है ?आप क्यों कुछ नहीं कहतीं। 

मैं क्या कहूं ?उसे भी तो अपनी ज़िंदगी जीने का हक़ है और अब उसकी उम्र कब आएगी ?हँसते हुए बोलीं -ये भी सतर्क हो गयी है। 

किस बात से ?

बहु ने तुझे नहीं बताया। 

क्या नहीं बताया ?

इसकी एक सहेली थी ,उसके पति ने उसके साथ बेवफ़ाई की। वो तो सारा दिन घर में ,बच्चों में व्यस्त रहती और उसका पति अपने ही दफ्तर की लड़की के साथ ,गुलछर्रे उडा रहा था। उसका तो घर टूट गया ,बेचारी अब कहीं नौकरी करके, अपना गुजारा कर रही है। ये सुनकर शायद ये भी ड़र गयी है ,ऐसा मुझे लगता है। किन्तु मेरा बेटा ऐसा नहीं है ,जो अपने ही हाथों से ,अपने ही आशियाने को उजाड़े !है न ,बेटा !

नितिन कुछ सोच रहा था ,माँ के पूछने पर बोला -मम्मी ! आप भी क्या बातें करती हो ?ये भी नाहक परेशान हो रही है, कहकर वहां से उठ गया। अब नितिन के व्यवहार में भी परिवर्तन आ रहा था। धीरे -धीरे वो अपने घर वापस लौट आया। ये '' समझौता ''भी आज उसका घर बसा गया।
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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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