शिल्पा बहुत दिनों के पश्चात ,अपने मायके में आई हुई है , घर में अच्छी -खासी रौनक हो गई है , क्योंकि दूसरे शहर से उसका भाई भी मिलने आया है। शिल्पा अपने मम्मी -पापा से बातें कर रही है, तभी उसकी भाभी नहाकर, रसोई घर में प्रवेश करती है और गैस के चूल्हे पर चाय बनाने के लिए रख देती है। भाभी की सहायता करने के लिए ,शिल्पा रसोईघर में प्रवेश करती है ,तभी शिल्पा की दृष्टि भाभी के कपड़ों पर जाती है , उसे आश्चर्य होता है ,इतनी पढ़ी-लिखी महिला होकर भी, वह ऐसे, किस तरह से कपड़े पहन सकतीं हैं ? शिल्पा अपने को रोक न सकी और बोली -भाभी !यह क्या पहना है ?
क्यों? सूट ही तो पहना है।
सूट तो पहना है, किंतु आप देखिये तो सही यह कैसा लग रहा है ? यह पजामी...... जो इतनी झीनी , और कसी हुई है। इसके पहनने या इसके न पहनने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
शिल्पा का इस तरह कहना, उसकी भाभी सलोनी को अच्छा नहीं लगा। यह सलोनी की ही बात नहीं है यह सभी की बात है। किंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं, अपने पहनावे पर विशेष ध्यान रखते हैं किंतु कुछ ऐसे होते हैं ,वह अपने ऊपर भी ध्यान नहीं देते , आधुनिकता की होड़ में, कुछ भी पहन लेते हैं। फिर वह कपड़ा चाहे उन पर फ़ब रहा है या नहीं , यह नहीं देखते। सलोनी की भी यही हालत थी, जब से उसके बच्चे हुए हैं उसका शरीर बेडौल और थुलथुला हो गया है। ऐसे में, वह कसे हुए कपड़े पहनती है , जो उसके भोंडेपन को दर्शाते हैं।
आजकल यही चलन में है, सलोनी चाय छानते हुए बोली -आजकल तो सभी लोग इसी तरह के कपड़े पहन रहे हैं।
सलोनी का चेहरा देखकर ,शिल्पा समझ गई थी ,यह बात उसे बुरी लगी है। तब वह अपने भाई से बोली -भाई ! आप बिल्कुल भी भाभी का ख्याल नहीं रखते हो , मुझे लगता है ,आप उन पर ध्यान ही नहीं देते हो। कम से कम आपको तो बतलाना चाहिए, आपको दिलचस्पी दिखलानी चाहिए कि तुम पर क्या खिल रहा है और क्या नहीं ? तुम्हें क्या पहनना है और क्या नहीं ?भाभी कुछ भी पहने आप पर जैसे कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता।
आजकल कौन किसी की सुनता है ?अपनी मर्जी से फैशन के अनुसार पहनते हैं, भाई ने यह बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया हालांकि, उसे भी यह पहनावा अच्छा नहीं लगता था किंतु वही फैशन आडे आ जाता था।
तब शिल्पा,अपनी भाभी सलोनी को समझाते हुए कहा- भाभी ! हम आपका बुरा नहीं चाहेंगे किंतु आप स्वयम देखिए ! आईने में खड़े होकर देखिए ! यह पजामी , आप पर कितनी भद्दी लग रही है ? आजकल कुछ महिलाएं ऐसी ही हो गई हैं , वह फैशन देखती हैं किंतु यह नहीं देखतीं , कि यह पहनावा उन पर कितना फ़ब हो रहा है ? पहनावा वह पहनना चाहिए जो, तुम पर खिले, तुम्हारे व्यक्तित्व को उजागर करें ! आत्मविश्वास जगाएं।
अब ऐसे में बड़े लोग घर पर हैं और आप ऐसे वस्त्र पहन कर घूम रही हैं, कितना अशोभनीय लग रहा है ? इसके बदले ,ऐसे में यदि आप एक कॉटन की, लखनऊ चिकन में या कोई और कपड़े में ,गुलाबी रंग की कुर्ती पहनती और उसके ऊपर, सलवार न पहनकर प्लाजो पैंट पहन लेतीं और गले में हल्का सा दुपट्टा! कितनी प्यारी लगतीं ? किंतु इन कपड़ो में अंग -प्रत्यंग झांक रहा है , देखने वाले को भी बहुत ही भद्दा लग रहा है। कपड़े तुम्हारे लिए हैं ,ना कि तुम कपड़ों के लिए।
अब ऐसे में, बड़े बुजुर्ग भी घर पर हैं ,मान लीजिये , बाहर से कोई भी व्यक्ति आता है , देखने में कितना भद्दा लगता है ?मैं यह नहीं कह रही की आधुनिक कपड़े मत पहनो !या चलन के आधार पर मत पहनो ! किंतु कपड़े वह पहनो ! जिनमें शालीनता झलके, व्यक्तित्व निखरकर आए , न कि तुम दबे -दबे से ,झिझके से, अपने को छुपाते घूमते रहो ! यह कहानी एक सलोनी की ही नहीं है। ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं, जो कुछ भी डालकर, घर से बाहर निकल जाती हैं या घर में ही ,घूमती रहती हैं। चाहे वह वस्त्र उन पर खिल रहा हो या नहीं , कई बार उन्हें ऐसे पहनावे के लिए अपमानित भी होना पड़ जाता है। पुरुष ही नहीं ,महिलाएं भी मुँह दबाकर हंसती हैं। किन्तु कोई कहता नहीं ,क्यों ?क्योंकि कोई बुरा बनना नहीं चाहता ,या फिर कोई ऐसी महिला मिल जाये उसे समझाने पर स्वयं ही ,अपमानित होना पड़े।
मेरे विचार से तो वस्त्र वही पहनना चाहिए , जो आप में आत्मविश्वास जगाएं , देखने वाले की नज़रें नीची ना हो। आपके व्यक्तित्व को निखारें।