स्कूल में ,छोटे बच्चों का कार्यक्रम है, और उसमें सभी बच्चों को ''सुपर हीरो '' बनकर आने के लिए कहा गया है। सभी बच्चों को ,अपने पसंद के ,' सुपर हीरो ''की तरह ही बनकर आना है। जिसको जो 'सुपर हीरो' अच्छा लगता है, वही बनकर आए। सभी बच्चे प्रसन्न थे। किसी को'' स्पाइडर-मैन ''पसंद था, किसी का सुपर हीरो'' बैटमैन ''था। तो किसी का सुपर हीरो ''शक्तिमान ''था। कोई ''आयरन मैन '' बन कर आया था, तो कोई ''सुपरमैन ''बन कर आया था। तो कोई हाथ में ,बड़ा सा हथौड़ा लिए ''थोर ''बना था। रंग -बिरंगे , कपड़ों में बच्चे बहुत ही अच्छे लग रहे थे और सभी प्रसन्न मुद्रा में थे। कोई सुपरमैन की तरह उड़ने का प्रयास कर रहा था ,कोई शक्तिमान की तरह , एक हाथ उठाकर घूमने का प्रयास कर रहा था। जिसकी जो भी विशेषता थी, प्रयास तो सभी कर रहे थे किंतु उनमें वह'' सुपर पावर '' कहां थी ? ताकि वह ''स्पाइडर-मैन'' की तरह अपने जाले निकाल सके, और उड़ सकें। कुछ अधूरा सा लग रहा था। किंतु बच्चों की खुशी यही तक सीमित थी।
तब मंच पर,प्रधानाध्यापिका आई , मैडम ने, स्पाइडर-मैन से पूछा -आप ''स्पाइडर-मैन ''क्यों बन कर आए हैं ?
क्योंकि मुझे ''स्पाइडर-मैन ''बहुत पसंद है ?
क्यों पसंद है ?उसमें ऐसी क्या विशेषता है ? मैडम ने फिर से प्रश्न किया।
क्योंकि कहीं भी ,कोई भी परेशानी हो, तो 'स्पाइडर-मैन ''को पता चल जाता है , और वह तुरंत ही, अपनी शक्ति का प्रयोग करके, उन लोगों की सहायता करने के लिए पहुंच जाता है, बच्चे ने जवाब दिया।
ठीक है ,अब आप लाइन में खड़े हो जाइए ? तब मैडम ने दूसरे बच्चे से प्रश्न किया -आप क्या बने हैं ?
मैं शक्तिमान बना हुआ हूं ? बच्चे ने उत्साहित होते हुए कहा।
आपको'' शक्तिमान ''क्यों पसंद है ?
क्योंकि 'शक्तिमान 'उड़ता है , बच्चे के भोलेपन पर सभी को हंसी आ गई।
बस इसीलिए पसंद है ,कि वह उड़ता है, क्या वह कोई और अन्य कार्य नहीं करता था।
जब किसी को सहायता की आवश्यकता पड़ती थी ,तभी वह शक्तिमान बनता था, वैसे तो वह साधारण इंसान बनकर रहता था।
आपने सही कहा, आप भी लाइन में खड़े हो जाइए। तभी मैडम ने देखा एक मोटा सा बच्चा, बड़ा सा हथोे ड़ा लिए खड़ा था। मैडम ने पूछा -आप क्या बने हैं ?
वह लड़का अकड़ते हुए बोला -मैं 'थोर 'हूं , मुझमें विद्युत की शक्ति है, मेरा यह हथोेड़ा बहुत काम का है। यह हमेशा दूसरों की मदद के लिए समय पर पहुंच जाता है।
इस तरीके से मैडम ने ,सभी बच्चों से प्रश्न किये , तब मैडम ने पूछा-तुम सब भी तो वही बने हुए हो , फिर तुम में वह ''शक्ति '' क्यों नहीं है ? तुम्हें वह शक्ति क्यों नहीं मिली ? किसी भी बच्चों के पास कोई जवाब नहीं था।
तब मैडम ने कहा -यह सब भी साधारण इंसान ही हैं , किंतु इनकी, दूसरों की सहायता करने की, शक्ति बहुत ज्यादा है। क्या तुम सबने कभी यह बात नहीं सोची ? जितने भी 'सुपर हीरो 'हैं, वह हमेशा दूसरों की सहायता के लिए, खड़े रहते हैं। दूर ही क्यों न हो, कहीं से भी आ जाते हैं ? इसलिए वह 'सुपर हीरो 'हैं ? हम सब के अंदर भी एक'' सुपर हीरो ''होता है। किंतु हमें ऐसी भावना अपने अंदर जागृत करनी होगी। तब हम किसी दूसरे के लिए ''सुपर हीरो ''बन सकते हैं ,जैसे एक पिता अपने बच्चों के लिए ''सुपर हीरो ''होता है। वह बच्चों के लिए कवच का कार्य करता है। सर्दी ,गर्मी ,धूप किसी भी परेशानी से ,अपने बच्चों की सुरक्षा करता है। इसलिए वह भी एक'' सुपर हीरो ''है। सुपर हीरो से तात्पर्य है ,जो दूसरों की सहायता के लिए हमेशा अग्रसर रहे। अभी कोरोना आया था , तब उस समय हमारे लिए ''सुपर हीरो ''कौन था। सभी डॉक्टर हमारे लिए ''सुपर हीरो ''बन गए थे। हम सभी अपने आप में एक'' सुपर हीरो ''हैं। सिर्फ हमें उस भावना को जागृत करना है। कहकर मैडम मंच से उतर गईं, उसके पश्चात थोड़ा, नृत्य आदि हुआ और कार्यक्रम की समाप्ति हो गई। आज बच्चों ने ''सुपर हीरो ''का सही अर्थ जाना था।