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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023

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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का एक'' एप ''अपने फ़ोन में डाला ,उसमें कुछ लोगों से उसकी बातचीत भी आरम्भ हुई ,ऐसे ही अनजान लोगों से हल्की -फुल्की बातचीत हो जाती ,उन दोस्तों में एक लड़की अपनी नई -नई तस्वीरें डालती ,कभी बेटी के साथ , कभी साड़ी पहनकर ,कभी सलवार सूट में ,नये -नये तरीकों से अपनी तस्वीरें डालती रहती। निशा ने भी सोचा ,-सबके अपने -अपने शौक हैं ,कोई तस्वीरों द्वारा दिल बहलाता ,कोई बातचीत करके ,निशा भी ऐसे ही ''एप ''पर, बैठकर समय व्यतीत करती। कुछ दिनों पश्चात उस लड़की ने अपनी तस्वीरें डालनी बंद कर दीं। एक दिन निशा ने ही उससे पूछा -क्या कारण है ?जो हमारे लिए समय नहीं निकाल पा रही हो ,तब उसने बताया -कोई घरेलू परेशानी है ,बात आई -गयी हो गयी। कुछ समय बाद उसने बताया कि पति बिमार हैं ,हम अस्पताल में हैं। निशा ने हमदर्दी के शब्दों के साथ ,उससे सहानुभूति जताई। भगवान से प्रार्थना की कि तुम्हारे पति शीघ्र ही स्वस्थ हों। लगभग एक माह पश्चात उस लड़की ने एक टूटे हुए दिल की तस्वीर डाली जिसे देखकर थोड़ी घबराहट हुई ,कहीं कुछ अनिष्ट न हो गया हो उस लड़की के साथ ,यही सोचकर निशा ने उससे पूछा - अब कैसे हैं ?तुम्हारे पति। ठीक हैं ,उसका जबाब आया। टूटे हुए दिल की तस्वीर मैंने देखी ,क्या मैं इसका कारण जान सकती हूँ ?मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा , बड़ी बहन समझ तुम मुझसे अपनी परेशानी बाँट सकती हो निशा ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा।


दीदी ,मेरे पति ने मुझे धोखा दिया ,शादी -शुदा होते हुए भी मुझसे शादी की ,अब मेरी बच्ची और मैं ही हूँ ,मैं कहाँ जाउंगी ?उसका जबाब आया। 
निशा को उसकी बातें पढ़कर बहुत दुःख हुआ ,दुनिया में कैसे- कैसे लोग हैं ?अपने मन को समझाकर निशा ने लिखा -क्या तुम्हारे घर में और कोई नहीं ?अपने मम्मी -पापा के पास चली जाओ !
 नहीं दीदी ,मेरा कोई नहीं ,मैं तो अनाथ हूँ ,अभी एक बहन है ,उसी के यहां रह रही हूँ, उसका जबाब आया। ठीक है ,निशा ने आश्वस्त होते हुए लिखा ,साथ ही उसे दुनियादारी समझाते हुए बताया -देखो ये दुनिया है ,जीवन इतना भी आसान नहीं ,संभलकर रहना ,बहन और जीजा के साथ।
ठीक है दीदी ,उसका जबाब था। निशा को लग रहा था ,जैसे उस लड़की की सारी परेशानियाँ वो समझ गयी है और अब उसकी जिम्मेदारी बनती है किसी भी तरह उसकी मदद करे ,तभी जैसे उसे कुछ याद आया ,उसने फिर लिखा -क्या तुम कुछ पढ़ी -लिखी हो ?अथवा कुछ काम जानती हो ,जानती हो तो शीघ्र ही अपने पैरों पर खड़ी होने का प्रयास करो। बहन और जीजा पर कब तक निर्भर रहोगी ?
उधर से जबाब आया -मैंने बाहरवीं पास की है ,कोई काम नहीं आता ,अभी सीखने में समय लगेगा। 
निशा ने जबाब दिया -मैं देखती हूँ कि मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूँ ?कहकर निशा परेशान सी घूमने लगी ,वो सोच रही थी- कि मैं किस प्रकार उसकी मदद कर सकती हूँ ?वो अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगी। कुछ समय पश्चात उसके पति आये ,उनके आते ही निशा ने सारी बातें उन्हें बताईं। पाठकजी बोले -तुम क्यों इन झंझटों में पड़ती हो ?क्या उस लड़की ने तुमसे मदद मांगी ?नहीं, निशा का जबाब था। फिर तुम क्यों नाहक ही परेशान हो रही हो ?निशा बोली -उसने अपना समझ ,मुझे अपनी समस्या बताई ,बेचारी न जाने कितनी परशानियाँ झेल रही होगी ?उसके पति ने उसे धोखा दिया। ये आदमी लोग भी न कितने बेदर्द होते हैं ?बेचारी लड़की अपनी छोटी बच्ची को लेकर कहाँ जायेगी ?विवाहित होते हुए भी ,उससे विवाह किया ,सबसे बड़ा धोखा तो उसने ये ही किया और बेटी होने के बाद छोड़ गया। क्या ये कम बडी बात है ? कहकर निशा अपने काम में लग गयी ,निशा काम करती जा रही थी किन्तु चुप थी। पाठकजी जानते थे- कि ये उसी लड़की के विषय में सोच रहीं होंगी। उन्होंने रात को निशा को समझाने का प्रयत्न करते हुए कहा -देखो ,इतना परेशान होने की आवश्यकता नहीं है ,तुम अभी ये भी नहीं जानती कि वो लड़की कहाँ रहती है ?कैसे उस व्यक्ति से मिली ?बिना जाने -समझे उससे कैसे विवाह कर लिया ?वो जो भी बता रही है ,वो सही है या ग़लत ,हमें क्या मालूम ?निशा बोली -कोई अपना दर्द ऐसे ही नहीं बताता फिरता, उसने मुझे अपना समझा, तभी ये बातें बताई ,रही बात उसके रहने की वो तो मैं उससे कल पूछ ही लूँगी ,पूरे विश्वास के साथ बोली। पाठकजी को लगा -इन्हें समझाना ,व्यर्थ है यह सोचकर करवट बदलकर सो गए।


 
  निशा की आँखों में नींद नहीं थी ,तभी उसे ध्यान आया ,मेरी एक सहेली है' पंखुड़ी ,वो भी तो ऐसे लोगों की मदद करती है ,अब मैं भी समाज के ऐसे ही लोगों की मदद किया करूंगी। शुरुआत इसी लड़की से करती हूँ ,कल मैं पंखुड़ी से भी मिलूंगी और उस लड़की से भी उसके रहने का स्थान पूछूँगी यही सब सोचकर निशा सो गयी। अगले दिन अपना काम निपटाकर उस लड़की को संदेश भेजा -कहाँ रहती हो तुम ?
उसका जबाब आया -जमशेदपुर की हूँ ,वहां अब कोई नहीं रहता ,अब मैं भुवनेश्वर में हूँ। 
शाम को निशा ने पाठकजी को बताया- कि वो कहाँ रहती है ?सुनकर वो हँसे बोले -तुम्हें पता भी है ,वो कितनी दूर है ?आस -पास की बात हो तो आदमी सोचे भी ,तुम कैसे उसकी मदद कर पाओगी ?निशा ने अपना फैसला सुनाया -अब मैं भी समाज -सेवा करूंगी। चाय पीते हुए मुस्कुराकर बोले -अभी तुम इन पचड़ों में न पड़ो फिर सोचा -मानेगी तो है नहीं ,बोले -जैसी तुम्हारी मर्जी। 
अगले दिन निशा ने पंखुड़ी से बात की -पंखुड़ी बोली -वो तो बहुत दूर है ,वो यहां आ जाये तो कोशिश करूंगी ,उसे अपनी संस्था द्वारा कोई काम दिलवा सकूँ। निशा आश्वस्त होकर आ गयी।
उसने पम्मी से पूछा -क्या तुम यहां आकर काम करना चाहोगी ?उसने भी आने से इंकार कर दिया कि मैं इतनी दूर नहीं आ सकती। निशा को लगा कि वो एक काम भी नही कर पायी तभी उसे ध्यान आया कि पंखुड़ी की बहन उधर ही आस -पास रहती है ,कम से कम उससे बात करके उसका हाल -चाल तो मालूम ही कर सकती हूँ। निशा ने पंखुड़ी की बहन रुपाली से बात की ,उसने कहा -दीदी आपने सही समय पर मुझे बता दिया क्योंकि हमारा उधर ही घूमने जाने का कार्यक्रम है ,आप मुझे उस लड़की की तस्वीर और उसका पता भेज देना ,मैं मालूम करूंगी ,उसे जिस भी तरह से मदद की आवश्यकता होगी ,मैं आपको बता दूंगी। निशा उसकी बातों से आश्वस्त हो गयी ,ये काम वो पाठकजी को बिना बताये कर रही थी ,उन्हें बता देना चाहती थी, कि मैं भी कुछ कर सकती हूँ। लगभग पंद्रह दिन हो गए ,रुपाली की तरफ से कोई समाचार नहीं मिला तब निशा ने ही उससे पूछा -क्या हुआ ?कुछ नहीं दीदी, उसका जबाब आया। क्या तुम उससे मिलीं ?तुमने मुझे कुछ नहीं बताया -बताओ न ,क्या हुआ ?वो बोली -दीदी मैं आपकी भावनाओं की क़द्र कर सकती हूँ लेकिन आपके साथ धोखा हुआ है ,जो भी उसने आपको बताया वो सब झूठ था। विश्वास न करते हुए निशा बोली -कैसा धोखा ?रुपाली बताना शुरू किया -मैं अकेली ही इस काम को नहीं कर सकती थी लेकिन आपकी भावनाओं की कदर करते हुए ,मैंने अपने देवर को उसकी ख़ोज में लगा दिया।


उसने बताया कि वो लड़की अनाथ है किन्तु किसी ने भी उससे धोखे से विवाह नहीं किया ,उसके सम्पर्क में एक लड़का आया था ,उसने पहले ही बता दिया था कि में विवाहित हूँ किन्तु उसका पैसा देखकर जबरदस्ती उसे अपने जाल में फंसाया उसका परिवार तो रहता नहीं था वो छुट्टियों में जाता था। बाक़ी समय में उसके साथ रहती उसने सोचा कि कोई बच्चा हो गया तो अपने मतलब के लिए उससे लाभ उठा सकती है ,उससे आये दिन नए -नए खर्चे करवाती , उसके पहले परिवार में भी उसके दो बच्चे हैं ,पत्नी है। बड़ी मुश्किलों से उसने पैसे लेकर उस आदमी का पीछा छोड़ा। उसने तो अपनी बदली करा ली ,उससे अब भी उस लड़की का खर्चा लेती है और अब अपने जीजा के साथ रह रही है। वो बहन उसकी अपनी सगी बहन नहीं। वो भी अनाथ आश्रम में ही बनी , अब दोनों में झगड़ा होता है ,उसके पति के साथ घूमती है ,अब बने हुए उस जीजा पर नज़र है,क्योंकि अब उस पर उसकी निगाहें हैं। जो लोग उसे जानते हैं ,कह रहे थे कि ये पैसों के लिए और अपनी सुख -सुविधाओं के लिए कुछ भी कर सकती है ,उसे कोई काम नहीं करना ,न ही मदद की आवश्यकता है। वो तो ऐसे ही बताकर आपसे संवेदना बटोर रही थी। 
             उसकी बातें सुनकर निशा को ऐसे लगा जैसे वो आसमान से गिरी हो ,पाठकजी ठीक ही कह रहे थे बिना जाने -बूझे किसी पर ऐसे ही विश्वास नहीं कर लेना चाहिए। उसने तो ख्यालों में ही न जाने कितने लोगों की मदद कर डाली ?लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो किसी की भावनाओं का इस कदर भी फायदा उठा सकते हैं ,ख़ैर मेरा तो कोई आर्थिक नुकसान नहीं हुआ किन्तु भावनाओं से तो खेल गयी। मैं उसके लिए कितना परेशान थी ,उस व्यक्ति को भी कोस रही थी जो बेचारा स्वयं ही उसके चंगुल में फंसा था ,उसके सिर से ''समाज -सेवा ''का भाव तिरोहित हो गया। असलियत सामने आते ही निशा एकदम चुप हो गयी


,उसने पाठकजी से कोई बात नही की ,वरना रोजाना ही निशा के पास पाठकजी को बताने के लिए कोई न कोई विषय होता। दो- चार दिन बाद पाठकजी बोले -निशा !तुम्हारी उस सहेली का क्या हुआ ?जिसका पति उसे छोड़ गया ,पहले तो निशा ने बताना नहीं चाहा कि सुनेंगे तो ताना मारेंगे कि मैं न कहता था कि इन पचड़ों में मत पड़ो ,तुम शीघ्र ही किसी पर भी विश्वास कर लेती हो। उन्होंने दुबारा पूछा तो वो अपने को रोक न सकी और अपराधबोध से सब कुछ बता दिया। सुनकर पाठकजी चुप हो गए ,कुछ देर बाद बोले -तुम भोली और सीधी हो ,''जैसा आदमी होता है ,वैसा ही दूसरे को समझ लेता है। ''तुम्हारी सोच तो अच्छी थी तुमने कोई गलती तो नहीं की ,तुम्हारी ग़लती ये थी कि तुमने बिना जाने -समझे उस पर विश्वास कर लिया। 
दुनिया इतनी बड़ी है तो उसमें लोग भी भांति -भांति के होंगे ,सच्चे भी झूठे भी। ऐसे लोगो के कारण तुम अपनी सरलता को तो भुला नहीं सकतीं ,हाँ ये अवश्य है कि ऐसे लोगों से सतर्क जरूर रह सकती हो। परेशान न हो ,तुम यहीं पर रहकर गरीब बच्चों को पढ़ाकर उन्हें कुछ कलाकारी सिखाकर अपना शौक पूरा कर सकती हो। मुस्कुराकर पाठक जी बोले -अब उस सहेली का क्या हुआ ?काहें की सहेली ,मैं तो बस इंसानियत के नाते उसका दुःख सुनकर उसकी मदद करना चाहती थी ,अब वो भाड़ में जाये ,मेरी बला से कहकर निशा ने मुँह बनाया। पाठकजी ने निशा के चेहरे पर नजरें गड़ाते हुए कहा -तुमने कुछ नहीं कहा उसे। निशा मुँह बनाते हुए बोली -जो भी मन में आया उसे खूब सुनाया और अब मैंने उसे ''ब्लॉक ''कर दिया। बेकार ही उसके चक्कर में पड़ी कहकर निशा अपने काम में लग गयी। 
प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत सुंदर लिखा है आपने बहन 😊🙏

14 अगस्त 2023

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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

2 अगस्त 2023
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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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अबके बरस

16 अगस्त 2023
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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

18 अगस्त 2023
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सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

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एक राज़

20 अगस्त 2023
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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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सुम्मी!

25 अगस्त 2023
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जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

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दादीजी!

30 अगस्त 2023
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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

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तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
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बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

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सांझा चूल्हा

11 सितम्बर 2023
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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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स्वार्थी

19 सितम्बर 2023
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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

30 अक्टूबर 2023
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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

31 दिसम्बर 2023
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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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