पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्सएप्प कभी इंस्टाग्राम जैसे ऐप पर, अपनी फोटो अपलोड करती रहती है । वह अत्यंत प्रसन्न थी। फोन के मिल जाने से उसे लग रहा था -जैसे उसे सारा जहां मिल गया हो। संपूर्ण संसार, उसकी मुट्ठी में आ गया है। कुछ लोगों की नज़र, उसकी तस्वीरों पर भी पड़ी, किसी ने उसे ''प्यारी बच्ची ''कहा, किसी ने'' खूबसूरत जान'' कहा , किसी ने गुलाब भेजा, किसी ने दिल भेजा। वे ऐसे अनजाने लोग थे, जो उसकी ओर खिंचे चले आ रहे थे और वह उन अनजान लोगों की भीड़ में अपने को घिरा हुआ महसूस कर रही थी। उसे एहसास हो रहा था ,कि जैसे वह कोई बहुत बड़ी स्टार है, और लोग उसकी सुंदरता की प्रशंसा करते अघाते नहीं थे ,तारीफ की तो जैसे वह आदि होती जा रही थी। इतनी प्रशंसा तो उसकी , अपने घर में भी, किसी ने नहीं की। वो आईने में अपने को अब ,ज्यादा निहारने लगी। सजने -संवरने लगी , ज्यादा समय उसका ''सोशल मीडिया'' पर जाता, उन लोगों को जवाब जो देना होता था और उनकी टिप्पणी पढ़कर प्रसन्नता भी तो मिलती थी।
नजरें किसी की अच्छी होती हैं ,किसी की बुरी होती हैं ,नजरे तो नजरे होती हैं। अच्छी नजर वाले देखते, और कमेंट करके चले भी जाते, किंतु कुछ ऐसी नजर वाले भी थे, जो उसे हीरा समझ बैठे थे, या उन्होंने उसे एहसास कर दिया था, कि वह एक हीरा है, जिसकी कीमत सिर्फ वही जानते हैं। नये -नये वस्त्र पहन कर नए-नए फोटो डालती रहती। वह सपनों की दुनिया में खो गई थी क्योंकि यह सपना ही ऐसा दिखाते हैं, आदमी अपने को भूल सा जाता है। धीरे-धीरे दोस्ती के हाथ बढ़ने लगे। किसी पर विश्वास होता, रिश्ता गहराई का बढ़ने लगा। रात- दिन, तन्हाइयों में और चैटिंग में कटने लगे । पढ़ाई से भी पीछे हटती जा रही थी, पापा की परी कुछ और से और होती जा रही थी।
एक खूबसूरत नौजवान ने उसका दिल जीत लिया, अपने स्वभाव के अनुसार, उसको कुछ गजलें सुनाई कुछ उसके लिए लिखा। उसे सब्ज़बाग़ दिखाएं। उस नशीली और रंगीन दुनिया के नशे में , उसने भी कुछ अपने दिल की कहानी, अपने कुछ जज्बात सुनाएं। अपनी कुछ बातें, उससे बताने लगी। दिलों की गहराई कुछ अत्यधिक बढ़ने लगी, विश्वास बढ़ता गया। जवानी का नशा भी चढ़ता गया। अब किसी से क्या डरना ? अब तो एक संग जीना, संग -संग ही मरना। कुछ रस्में -कसमें , कुछ वादे हुए। दूर रहकर भी वह हमारे हुए। नाजुक सा दिल था, उम्र का तकाजा था ,पहली बार ये दिल किसी पर आया है। उसने भी कितना सुंदर हसीन सपना दिखाया है ?मन तो मिल ही गए बस तनों की दूरी है। मैं इस पार यहाँ, तू उस पार है ,ये कैसी मज़बूरी है ?
सिलसिले बनते गए ,परिवार से दूर होते गए ,पराये, अपने नजर आने लगे ,दिन -रात दोनों सपने सजाने लगे। एक दिन तो बात विश्वास पर ही आ गयी ,प्यार का वास्ता देकर ,उसने दूर रहकर भी, उसको छला ,वह लड़का मोहब्बत की आड़ में ,उसके अंगों को निहारा और उसकी प्रशंसा और मोहब्बत में अपने मान को भूल गयी। आज वो लड़की परिवार की इज्जत से खेल गयी। शैतान जो ,देव रूप में उसे नजर आता था ,अब वो उसे अपना शैतानी रूप दिखलाता था। अब तो अति ही हो गयी ,जब उसकी तस्वीरें ''सोशल मिडिया ''में फैल गयीं।रिश्तेदारों के सामने , परिवार की नजरें झुक गयीं। पापा की परी अब ''सोशल मिडिया ''की ''सुपर स्टार ' हो गयी, जो कोई उसका नाम न जानता था ,वह भी उसे जान गया। ''सोशल मिडिया ''का इश्क ही उसे छल गया।