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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023

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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है ,जीवन में जैसे बहार आ गयी है ,दिल में जो रिक्तता थी, लगता है, जैसे वो भर गयी है। उसने रुपाली पर ऐसा प्रभाव छोड़ा था कि वो अब तक उसके दिल -दिमाग पर छाया हुआ था। उसे रह -रहकर उसकी बातें अब भी याद आ रहीं थीं। वो सोच रही थी कि कैसे वो उसे उस दिन ''आर्ट गैलरी ''में मिला था ?लम्बा ,तंदुरुस्त और आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक था, वो जिससे भी मिलता उसी से उसी की भाषा में बात करता- सरदारजी से पंजाबी में बात की ,किसी से अंग्रेजी में ,किसी से तमिल में। इस तरह बातें करते देख रुपाली का ध्यान अनायास ही उसकी तरफ खींचता चला गया। रुपाली को अपनी तरफ मुस्कुराता देख उसका ध्यान भी रुपाली की तरफ गया। वो मुस्कुराता हुआ ,रुपाली की तरफ बढ़ा और बोला -आप एक ख़ूबसूरत कलाकार हैं। आपको कैसे मालूम रुपाली ने पूछा ?अरे !यहाँ 'आर्ट गैलरी 'में या तो वो आएगा जो कला में रूचि रखता हो या फिर स्वयं ही कलाकार हो और आप तो भगवान की तराशी हुई , स्वयं ही इतनी सुंदर कलाकृति हैं । न जाने उसने रुपाली की सुंदरता के विषय में क्या -क्या कह डाला ? उसकी बातें रुपाली को भावविभोर कर रहीं थीं।


 उसने रुपाली से उसकी पेंटिंग के विषय में पूछा। 
         रुपाली बोली -हाँ मैंने भी हिस्सा लिया है ,उधर मेरी बनाई पेंटिग है। उसने ऊपर से नीचे तक रुपाली को नजरभर देखा -'रुपाली ने बिना बाजु का ब्लाउज पहना था जिस पर बॉर्डर की शिफॉन की'' तोतई रंग ''की साड़ी थी। खुले लम्बे बाल,गोरा रंग ,लाल रंग की लिपस्टिक और ऊँची एड़ी की चप्पल और गले में लटकता लम्बा हार , वो अपने में ही एक कलाकृति लग रही थी।क्षणभर को उसे देख वो ठगा सा रह गया। वो बोला - भगवान की कलाकृति तो मेरे सामने खड़ी है ,लगता है उसने आपको फुरसत से बनाया है ,चलिये देखते हैं आपने क्या बनाया है ?वो अपनी इतनी प्रशंसा सुनकर फूली नहीं समा रही थी ,वो तो जैसे हवा में उड़ने लगी थी अपने को फूल से भी हल्का महसूस कर रही थी। किसी ने कभी इस तरह से, कभी उसकी प्रशंसा नहीं की। इस बीच उसने बताया कि वो भी चित्र बनाता है ,उसे कम से कम पांच भाषाएँ आती हैं। रुपाली की पेंटिंग देखकर उसने कुछ नहीं कहा। उसके बाद दोनों ने साथ बैठकर चाय पी। वो आकर्षक होने के साथ -साथ उनके शौक भी एक जैसे हो गए। उन्हें इस बहाने से मिलने के कई मौक़े मिलेंगे ,यही सोचकर वो खुश थी और सिखने को भी मिलेगा तभी एकाएक उसे याद आया कि उसकी पेंटिंग के विषय में अभी तक उसने कुछ नहीं बोला। 
        अभी वो ये सोच ही रही थी कि वो बोला -ये आपने ज्वालामुखी ही क्यों चुना ?क्या मन में बहुत कुछ भरा है। ठीक समझे ,रुपाली बोली। ज्वालामुखी अपने अंदर न जाने क्या -क्या दफ़न किये रहता है और जब उसकी इंतहा होती है तो वो फट पड़ता है। बात को बीच में काटते हुए बोला -जब वो फटता है तो आ स -पास के वातावरण को भी प्रभावित करता है ,कितनी खतरनाक?अभी वो कुछ कहता उससे पहले ही वो बोली -इसीलिए तो सुप्त है ,फटा नहीं ,कहकर हँस पड़ी दोनों बड़ी देर तक बातें करते रहे। आज तक उसने कभी भी किसी से भी इतनी बातें नहीं की थी। उसने अपना कार्ड दिया -मेरे स्टूडियो मैं आना। रुपाली ने -कार्ड की तरफ एक नजर देखा ,नाम पढ़कर मुस्कुराई और बुदबुदाई -रुपेश। क्या हुआ आप इस तरह क्यों मुस्कुरा रही हैं ?कुछ नहीं , वो बोली। कुछ तो है उसने शंकित होते हुए पूछा -तुम्हारा नाम भी मेरे नाम से मेलखाता है। रुपाली है , मेरा नाम। संजोग की बात है ,वो बोला। उससे इतनी देर तक बातें करने के बाद उसे एहसास हुआ कि उसका एक घर भी है ,घर की याद आते ही तब उसे याद आया कि वो तो विवाहिता है उसका पति है ,बच्चे हैं। वो तो जैसे परीलोक से नीचे आ गिरी। 


   रुपेश ने तो जैसे उसे स्वप्न लोक में ही पहुँचा दिया था। कितनी सुंदर थी वो दुनिया ?मन में कितनी शांति थी ?मन आसमान की बुलंदियों में उड़ रहा था। वास्तविक जिंदगी में उतरते ही लग रहा था,- जैसे तपते रेगिस्तान में किसी ने उतार दिया हो या पथरीले रास्तों में भटक रहे हों। ख्यालों ,ख्वाबों की दुनिया जब खो जाती है तो बहुत दुःख होता है ,जैसे कोई अनमोल वस्तु हमसे छीन ली गयी हो। उसने रुपेश को नहीं बताया कि वो विवाहिता है उसके बच्चे भी हैं। उसने अभी जो सपने देखे ,उन्हें और जीना चाहती थी। लौटते समय वो सोच रही थी -'अट्ठारह साल की ही तो थी, जब उसका विवाह सुधीर के साथ हुआ। प्यार क्या होता है और कैसे ?ये तो उसने जाना ही नहीं। एक जिम्मेदार लड़के को मेरा पति बनाकर मेरे माता -पिता ने जैसे अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। कमाऊ ,क़ामयाब और जिम्मेदार लड़का कोई बीस या बाईस साल का तो मिलेगा नहीं ,वो मुझसे सात -आठ साल बड़े थे ,सब रीति -रिवाजों से हो गया। प्यार क्या होता है? उसने कभी महसूस ही नहीं किया। पति अपने कामों में लगे रहते उन्होंने भी कभी महसूस नहीं किया कि पत्नी की शारीरिक आवश्यकताओं से अलग भावनात्मक आवश्यकताएं भी होती हैं। भावनायें जो दो लोगों को विचारों से जोड़कर रखती हैं, मात्र खाना पूर्ति ही नहीं। तेईस वर्ष की होते -होते दो बच्चों की माँ बन गयी। सुधीर की सोच थी- कि औरत को क्या चाहिये ?खाने -पीने और ख़र्चों के सिवा और क्या चाहिए ?
         वो भी बच्चों को पालते ,काम करते न जाने कितने वर्ष बिता दिए ?समय अपनी रफ़्तार से चलता रहा। बच्चे थोड़े बड़े हुए तो उसने समय बिताने के लिए पेंटिग सीखी और अपनी आगे की शिक्षा जारी की सुधीर ने किसी भी बात के लिए मना नहीं किया जो वो कहती, हो जाता, लेकिन तीन -चार घंटों की मुलाकात में जो उसने रुपेश के साथ ख़ुशी महसूस की, वो उसने सुधीर के साथ इतने वर्षों भी महसूस नहीं की ,उसका मन उड़ना चाहता था कुछ और सोचना ही नहीं चाहता था। घर आकर काम में तो लग गयी लेकिन दिल और दिमाग तो जैसे वहीं थे। आज आइना भी शायद कुछ कह रहा था वो देर तक उसमें निहारती रही। उसने गाउन पहना उसके दिल की ख़ुशी बार -बार उसके चेहरे पर आकर कुछ क्षण के लिए ठहर जाती। शाम को जब सुधीर आये तो आज उसने उसे तनिक निहारा उसे सुधीर एक जिम्मेदार और थका व्यक्ति नजर आया। वो सोच रही थी कि सुधीर के साथ उसने कभी ऐसा महसूस क्यों नहीं किया ?वो सुबह जल्दी उठकर रुपेश के स्टूडियो में जाना चाहती थी। उससे ज्यादा उसका सानिध्य पाना चाहती थी। जब वो वहाँ पहुंची तो चौंक गयी वहाँ उसका एक'' तैलीय चित्र'' था उसकी सुंदरता पर वो मुग्ध हो गयी ,उसे अपलक देखती रही। वो उसकी तरफ खींचती जा रही थी ,वो उसके साथ अधिक से अधिक समय बिता रही थी। इस कारण घर की जिम्मेदारियाँ उससे छूटती जा रहीं थीं ,वो अपनी ही दुनिया में आगे बढ़ती जा रही थी।


उसे मिलते हुए लगभग एक माह हो गया। एक दिन अचानक रुपाली की मम्मी उसके घर आ पहुंची - देखा घर तो बहुत गंदा पड़ा है। माँ ने पूछा - क्या तुम स्वस्थ नहीं हो ?क्यों क्या हुआ ?माँ के इस तरह प्रश्न पूछने पर वो बोली। कुछ नहीं ,घर काफी गंदा है , लगता है ,काफी दिनों से इसकी साफ -सफाई नहीं हुई है। वो झेंपते हुए बोली -हाँ, कुछ दिनों से सफाई नहीं हुई है ,कल कर दूँगी। अगले दिन वो घर की सफाई में लग गयी, उसका बाहर जाना नहीं हुआ। आज घर चमक रहा था ,माँ बोली -देखा अब घर केेसा अच्छा लग रहा है ?साफ -सुथरे घर में मन भी लगता है ,माँ अपनी बात जारी रखते हुए बोली -पत्नी ,बहु घर की लक्ष्मी होती हैं और तुम तो एक जिम्मेदार माँ भी हो। घर तुम्हारे कारण ही चलता है ,जब तुम घर में रहकर अपनी ये सब जिम्मेदारियां सही से निभाती हो ,सब चीजें ठीक से संभाल पाती हो तभी दामाद जी निश्चिन्त होकर बाहर काम कर पाते हैं। अपने घर आकर पत्नी और बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखते हैं तो पूरे दिन की थकान दूर हो जाती है। दामाद जी, तो इतने अच्छे हैं ,कभी तुम्हें किसी बात के लिए मना ही नहीं किया। किसके लिए सारा दिन धक्के खाते हैं ,मेहनत करते हैं ?अपने ही परिवार के लिए न अपने आप ही उत्तर देते हुए बोलीं। बहुत से आदमी तो बाहर घूमते रहते हैं पराई स्त्रियों पर नजर रखते हैं उनमें तो कोई 'ऐब 'भी नही। 
            शाम को माँ बोली -दामाद जी !अब आपको कोई काम तो नहीं ?नहीं ,क्यों ?सुधीर बोले। अभी तो मैं भी आई हुई हूँ,बच्चों को मैं संभाल लूँगी आप दोनों अपने लिए भी समय निकालिये। थोड़ा कहीं घूम आइये ,फिल्में देखिये। यही तो उम्र है घूमने -फिरने की ,काम तो जिंदगी भर का है। दो दिन बाद वो सैर को निकले। बाहर चाँद की चांदनी में घूमते हुए सुधीर बोले -हम अपनी जिम्मेदारियों में इतने फँसे थे कि कभी बाहर जाने का सोचा ही नहीं। घर का बड़ा था तो माता -पिता के साथ बहनों के विवाह की जिम्मेदारी फिर बच्चे हुए वो जिम्मेदारी, कुछ सोचने -समझने का मौका ही नहीं मिला पर तुम सब संभाल लोगी यही सोचकर मैं निश्चंत रहता हूँ। रुपाली चुपचाप उसकी बातें सुन रही थी। फिर एकाएक वो बोला -चलो एक अच्छी सी फ़िल्म देख आते हैं और कल वो लाल बॉर्डर वाली साड़ी पहनना,उसमें तुम परी लगती हो। क्या तुम्हें पता है कि मुझ पर क्या अच्छा लगता है ?कमाल करती हो तुम भी ,क्या मुझे नहीं पता होगा कि मेरी पत्नी कैसी लगती है या उस पर क्या फ़बता है। तुम मेरे घर की लक्ष्मी हो ,अन्नपूर्णा हो ,सब कुछ मेरा दिन तो तुम्हारा चेहरा देखकर ही निकलता है।मेरा प्यार शांत है, मैं और लोगों की तरह अपने प्यार का प्रदर्शन नहीं कर पाता। रुपाली ने नजर भरकर सुधीर को देखा ,सोचने लगी -कितना सम्मान ,विश्वास ,प्यार भरा है इनके मन में ,मैं इतने साल साथ रहकर भी समझी नहीं। वो मन ही मन अपने आप को धिक्कारने लगी ,-'मैं ऐसे व्यक्ति के विश्वास को धोखा दे रही थी। 


        एक सप्ताह बाद दोनों घूमकर लौटे ,दोनों खुश थे। अजीब सी शांति और ठहराव आया उनकी जिंदगी में। जिंदगी फिर से अपने उसी पुराने ढर्रे पर चल निकली। माँ भी एक सप्ताह रहकर अपने घर चली गयीं। अब रुपाली के लिए कोई बंधन नहीं था। उसने अपने को आईने में निहारा और चित्र बनाने बैठ गयी। उसने अपने बहकते कदमों को रोक लिया था। 

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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

2 अगस्त 2023
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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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अबके बरस

16 अगस्त 2023
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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

18 अगस्त 2023
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सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

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एक राज़

20 अगस्त 2023
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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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सुम्मी!

25 अगस्त 2023
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जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

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दादीजी!

30 अगस्त 2023
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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

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तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
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बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

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सांझा चूल्हा

11 सितम्बर 2023
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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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स्वार्थी

19 सितम्बर 2023
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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

30 अक्टूबर 2023
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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

31 दिसम्बर 2023
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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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