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दादीजी!

30 अगस्त 2023

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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,मौहल्ले की महिलायें आनी शुरू हो गयीं। वे देख रहीं थीं , कि प्रिया जी काम में व्यस्त हैं ,थकान उनके चेहरे से साफ झलक रही थी। महिलायें आपस में बतिया रहीं थीं -देखो प्रियाजी, कितनी व्यस्त हैं ?भई, हो भी क्यों न, शादी वाला घर है ,काम तो है ही पुष्पाजी बोलीं।देखो उम्र भी तो हो चली है ,अब वो वाली बात थोड़े ही रहेगी मनोरमा बोली। तभी सुमन जी बोलीं -प्रियाजी !क्या आपकी बेटियाँ भी चलीं गयीं ?एक को तो रख ही लेतीं ,ब्याह के बाद भी अनेक रस्में होती हैं ,अकेली आप क्या -क्या करेंगी ?वो बोलीं -बेटियों का भी अपना परिवार है उनकी अपनी भी जिम्मेदारियाँ हैं। तभी तो इनकी बेटियाँ अपनी -अपनी ससुराल में खुश हैं ,अपनी जिम्मेदारियाँ भी समझतीं है पुष्पाजी बोलीं। मनोरमा बोली -आजकल तो जमाना ही ख़राब है, कहीं बहु खुश नहीं ,कहीं सास परेशान। सास अच्छी मिल जाये तो बहु नहीं सुनती, सास सख़्त मिज़ाज हो तो, बेटियाँ चार दिन में घर आकर बैठ जाती हैं।छोटी -छोटी बातों में तलाक़ हो जाते हैं। ख़ैर !छोडो, इन बातों को, आप भी क्या बातें लेकर बैठ गयीं ?अब तो 'प्रिया जी की' बहु आ गयी है। अब उन्हें आराम हो जायेगा ,बेचारी अकेली लगी रहतीं हैं कान्ता बोली। बहु बैठी हुई उन सभी की बातें सुन रही थी।


कुछ देर बाद महिलायें अपने -अपने घर चली गयीं ,बहु भी उठकर अपने कमरे में चली गयी। 
             अगले दिन प्रियाजी सुबह जल्दी उठीं और प्रमोद को भी जल्दी उठकर तैयार होने के लिए कह दिया कि जब तक तुम दोनों देवता पूजकर आओगे तब तक मैं खाने की तैयारी कर लूँगी। आज बहु की पहली रसोई की रस्म का नेग भी हो जायेगा। बहु -बेटा तैयार होकर देवता पूजने गए ,यहाँ प्रियाजी ने सारी तैयारी भी कर लीं। बहु आकर अपने कमरे में लेट गयी तभी बर्तन साफ करते हुए रामदुलारी बोली -माँजी !आपने तो लगभग सारा खाना ही बना दिया। बहुजी तो अब तक रसोईघर में आकर झाँकी भी नहीं ,फिर वो क्या बनायेंगी ?प्रियाजी बोलीं -बहु अभी नई -नवेली है ,अभी से सिर पर काम का बोझ कैसे डाल सकती हूँ ? मैंने दूध उबलने के लिए रख दिया है ,बस बहु उसमें चावल डालकर पका देगी ,बस रस्म हो जाएगी। कल तो दोनों हनीमून के लिए बाहर घूमने जा रहे हैं। तभी उन्होंने नूपुर को आवाज दी ,वो आई और दूध में चावल डालकर चली गयी। उसने थोड़ी देर भी वहाँ खड़े रहने की जरूरत महसूस नहीं की। रामदुलारी ये सब देख रही थी जो उसे अच्छा नहीं लगा किन्तु वो चुप रही ,सोचने लगी इनके घर का मामला है ,मुझे क्या ?प्रियाजी ने फिर से बहु को आवाज लगाई -बहु ,सबके लिए खाना लगा दो। प्रियाजी ने बहु को पहली रसोई के नेग [उपहार ] में सोने के कंगन दिए।सबने कुछ न कुछ उपहार दिया। 
                अगले दिन बहु -बेटा बाहर घूमने के लिए चले गए। आज प्रिया जी को थोड़ा आराम मिला क्योंकि मेहमान भी सब गए और रस्में भी हो गयीं। आज उन्हें लगा ,वाकई शरीर थक गया है। पंद्रह दिन यूँ ही बीत गए। नूपुर और प्रमोद भी वापस आ गए ,अगले दिन बहु देर तक सोती रही। प्रियाजी ने सोचा -सफ़र की थकान होगी ,बहु को आराम करने दो ,अभी उनकी छुट्टी के दस दिन बचे थे। अगले दिन भी बहु देर तक सोती रही ,खाना भी अपने कमरे में ही खाया। इधर प्रियाजी सोच रहीं थीं कि बहु आये और उनके काम में मदद करे। घर -परिवार में घुले -मिले। आज तो रामदुलारी भी पूछने लगी -माँजी !अब तो बहुजी को आये हुए चार दिन हो गए उनकी थकान नहीं उतरी। अब प्रियाजी क्या कहतीं ?बहु भी उठी और नहा -धोकर फिर से अपने कमरे में जा बैठी। प्रिया जी बोलीं -नूपुर क्या तुम्हें यहाँ कोई परेशानी है ?नहीं मम्मीजी नूपुर ने छोटा सा जबाब दिया। फिर तुम सारा दिन कमरे में क्यों बैठी रहती हो ?बाहर आओ ,हमारे साथ बैठो! वो बोलीं। उनके कहने पर नूपुर थोड़ी देर के लिए बाहर आई ,उस समय दूरदर्शन पर एक धारावाहिक चल रहा था। उस समय प्रियाजी शाम के खाने में बनाने के लिए सब्जी काट रहीं थीं। उन्हें देखकर भी नूपुर ने न ही मदद के लिए हाथ बढ़ाया ,न ही उन्होंने कहा। तब प्रियाजी बोलीं -आओ सब्ज़ी बना दो , मैं आटा मलती हूँ। उनके कहने से वो उनके साथ चली सब्जी छौंककर दुबारा कमरे में जाने के लिए मुड़ी ही थी कि उन्होंने रोक दिया बोलीं -नूपुर !आज रोटी भी तुम सेंक दो। 


          नूपुर ने खाना बनाया न ही स्वाद था ,न ही बेस्वाद कह सकते थे। वे बोलीं -बहु क्या तुमने पहले कभी खाना नहीं बनाया ?वो बोली -मम्मीजी मैं तो कभी -कभार ही बनाती थी ,भाभी ही बनाती थी। तभी उसका देवर बोला -अब तुम यहाँ मेरी भाभी हो। वो उसका इशारा समझी नहीं या समझकर भी अनजान बनी रही और खाना खाने बैठ गयी। सुबह जल्दी उठकर मेरे साथ नाश्ते में मेरी मदद करना प्रियाजी बोलीं। नूपुर ने हाँ में गर्दन हिलायी। अगले दिन वो आठ बजे तक भी कमरे से बाहर नहीं आई ,प्रियाजी इंतजार करती रहीं। हताश होकर उन्होंने ही नाश्ता बना दिया। दोपहर के खाने में उन्होंने बहु की मदद ली। उन्हे बहु से बार -बार कहना अच्छा नहीं लग रहा था। वे सोचतीं, कि वो स्वयं ही मदद के लिए क्यों नहीं आती ,पढ़ी -लिखी, नौकरीपेशा महिला है, बच्ची थोड़े ही है जो बार -बार उसे समझाने बैठो। अगले दिन उसका भाई उसे लिवाने आया ,बोला -दीदी का फोन आया था तो मम्मी बोलीं -अपनी बहन को दो -चार दिन के लिए ले आ फिर तो उसको काम पर जाना होगा फिर मिलना नहीं हो पायेगा। नूपुर भी भाई के आते ही तैयार होकर चली गयी। उसके इस व्यवहार से[ न ही उसने जाने के लिए पूछा और अपने घर भी फोन दिया ,काम से बचने के लिए बहाना किया ]बेहद आहत हुईं। जिस दिन उसे अपने दफ्तर जाना था उससे एक दिन पहले शाम को प्रमोद उसे ले आया। अगले दिन वो सुबह सात बजे उठकर तैयार हुई प्रियाजी ने नाश्ता बनाया। नाश्ता खाकर और अपना दोपहर का खाना लेकर चली गयी पीछे सारे घर की जिम्मेदारी उन पर घर का सारा फैला सामान समेटना ,घर की साफ -सफाई कराना आदि। शाम को जब सारी तैयारी कर देतीं तब वो सबके लिए चपाती सेंक देती। इस तरह एक सप्ताह बीत गया।
          आज रविवार है ,प्रियाजी ने सोचा - आज तो बहु काम में मेरी मदद करेगी लेकिन वो तब तक बाहर नहीं आयी जब तक उन्होंने नाश्ता नहीं बना लिया। अब तो उनके पति भी कहने लगे -तुम कब तक लगी रहोगी ,बहु से कहती क्यों नहीं ?वो झुंझलाकर बोलीं -क्या कहूँ ,क्या उसे स्वयं अक्ल नहीं कि छुट्टी के दिन तो अपनी जिम्मेदारी समझे। क्या उसकी भाभियाँ काम नहीं करतीं ,क्या वो अलग शहर में रह रही होती तो सारा काम करके अपने दफ्तर नहीं जाती और आकर भी करती। यहाँ मदद लिए भी खड़ी नहीं होती ,क्या मैं उसकी सास हूँ या इस घर की नौकर। क्या कहूँ ,किससे कहूँ ?ज्यादा कहने से घर का वातावरण तनावपूर्ण न हो जाये। वे बोले -कब तक इन बातों पर पर्दा डालती रहोगी ?एक सप्ताह बाद आज भी रविवार है। सब अपने -अपने कमरों में थे ,पूरे घर में शांति पसरी थी लेकिन लगभग छः अचानक कुछ टूटने की तेज़ आवाज़ से सबकी आँखें खुल गयी ,सब अपने -अपने कमरों से निकलकर आवाज की तरफ दौड़े। आवाज रसोईघर की तरफ से आई थी ,वहाँ का नज़ारा देखकर सबके मुँह खुले के खुले रह गए ,उन्होंने देखा कि -प्रियाजी ,की आँखें ऊपर चढ़ी हुई थीं और बाल बिखरे थे और उन्होंने ही कोई डिब्बा फेंककर मारा था। उनकी ये हालत देखकर सब सहम गए तभी वर्माजी बोले -शायद ये गर्मी के कारण हुआ है। चलो इन्हें सब बाहर सोफे पर बिठाओ। बहु ! तुम पानी लेकर आओ। प्रियाजी को बाहर खुले में बिठाया। बहु पानी लेकर आ गयी ,तभी प्रदीप बोला -मम्मी !मम्मी!तभी प्रियाजी बोलीं -मैं तेरी माँ ना हूँ ,दादी हूँ समझा। सब एक साथ चौंक उठे दादी !हाँ उनके अंदर की दादी बोली। क्या हुआ ?जो आप सुबह -सुबह यहाँ पधारीं वर्माजी बोले। कैसे न आती ?अरे इसने बहु को क्या सिखाया है ,जब से आई है। एक कप चाय भी ढंग की पीने को न मिली। अब भी देख कैसी खड़ी है ?दादी के पैर न छुयेगी नूपुर की तरफ देखते हुए बोलीं। नूपुर प्रदीप का मुँह देखने लगी। उसे क्या देख रही है ?आ..मेरे पैर छू !जब नूपुर उनके पैर छूने पास आई तो दादी उसका हाथ पकड़कर बोली -क्यों री ,सोने के कड़े तो तूने फट से लपक लिए ,खाना तो एक दिन भी ढंग का बनाकर ना खिलाया। अभी तक सो ही रही है ,घर के बहुएं सुबह उठकर नहा -धोकर पूजा करके रसोई में खाना बनावें ,इसने कुछ भी ना सिखाया,तभी तो मैं आई इसके हाथों की चाय पीकर मैं बोर हो गयी। जा तू चाय बनाकर ले आ ,आज तेरे हाथ चाय पियूँगी और साथ में बढ़िया , चटपटा नाश्ता भी बनाकर लाना। इससे पहले नहाकर जोत [दीपक ]जलाकर पूजा करना ,मैं यहीं बैठी हूँ। इसने तो बहु को घर के तौर -तरीक़े भी न सिखाये।क्या घर की बहुओं का आठ बजे उठने का टैम होवै ,तेरी सास को भी मैंने ही सिखाया, अब तुझे भी मैं ही सिखाकर जाऊँगी।


            नूपुर जल्दी नहा-धोकर रसोईघर में घुसी नाश्ता बनाया ,सर्वप्रथम दादीजी को दिया सबके खाना खाने के बाद दादीजी बोलीं -दोपहर के खाने में कुछ अच्छा सा बना लेना ,इतने मैं आराम कर लेती हूँ। तभी नूपुर प्रदीप से बोली- किसी ओझा को बुला लेते हैं। तभी दादी चिल्लाकर बोलीं -तू ओझा को बुलाएगी ,आज तक तेरी सास की हिम्मत ना हुई ,मेरे खिलाफ बोलने की और तू कल की आई ,बड़ी हिम्मत दिखा रही है। क्या तेरी भावज काम न करतीं ,तेरी माँ लगी रहे है ?उनकी कडक आवाज़ से नूपुर सहम गई। वो आराम करने कमरे में गयीं। नूपुर बोली -ये क्या मुसीबत है ?प्रदीप बोला -ये ऐसे ही कभी भी आ जाती हैं। अपने परिवार से प्यार जो करतीं थीं ,बस जब आती हैं जब कोई सही तरीक़े से नहीं चलता। अब तो सालों बाद आयीं हैं, तुम्हारे कारण। तुम अपनी जिम्मेदारी समझकर सही तरीक़े से काम करतीं, तो न आतीं। अभी दोनों बात कर ही रहे थे कि मम्मीजी उठकर आ गयीं बोलीं -अरे मैं तो रसोईघर में थी मैं सो कब गयी ?कितना समय हो गया? अभी नाश्ता बनाती हूँ। तभी नूपुर बोली -मम्मी जी आप ठीक तो हैं ,हाँ मुझे क्या हुआ है ?वो बोलीं। आज दोपहर के खाने में क्या बनेगा ?ये बता दीजिये फिर दोनों ने मिलकर खाना बनाया भी खाया भी। प्रदीप बोला -लगता है ,दादीजी चलीं गयीं। तभी प्रियाजी चौंकते हुए बोलीं -क्या दादी आईं थीं ?नहीं शायद चलीं गयीं। अब सब ठीक है प्रदीप मुस्कुराकर बोला। वे भी मुस्कुरा दीं। 
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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

2 अगस्त 2023
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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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अबके बरस

16 अगस्त 2023
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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

18 अगस्त 2023
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सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

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एक राज़

20 अगस्त 2023
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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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सुम्मी!

25 अगस्त 2023
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जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

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दादीजी!

30 अगस्त 2023
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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

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तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
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बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

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सांझा चूल्हा

11 सितम्बर 2023
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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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स्वार्थी

19 सितम्बर 2023
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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

30 अक्टूबर 2023
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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

31 दिसम्बर 2023
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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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