शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के दिन तो कुछ ज्यादा ही मस्ती छाई हुई है क्योंकि आज के दिन ''अटल ''का जन्मदिन जो है । अब बच्चे बड़े हो रहे हैं, उनकी इच्छा रहती है कि माता-पिता ज्यादा टोका टाकी न करें और उन्हें घूमने दिया करें।
नारंग के पापा , बड़े ही कठोर स्वभाव के थे, गुस्से वाले हैं । नारंग अपने दोस्तों के साथ रहता तो था किंतु कोई भी ऐसी गलत हरकत करने का प्रयास नहीं करता था क्योंकि उसे अपने पिता के क्रोध का मालूम था।यदि उन्हें कुछ भी मालूम हुआ तो न जाने क्या होगा ?
आज अतुल के 'जन्मदिन' के कारण, चारों ने बाहर खाना खाया , जन्मदिन मनाया। बाहर बड़े पर्दे पर फिल्म देखने भी गए। मस्ती करते-करते उन्हें शाम हो गई और धीरे-धीरे रात्रि बढ़ने लगी। एक बड़े होटल से पार्टी करके आ रहे थे। शनैः -शनैः रात्रि, अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी। कुछ लोगों की रात्रि तो 10:11 बजे से ही शुरू होती थी किंतु इन लोगों को चेतावनी मिली थी। दस -ग्यारह बजे तक आ जाना। मस्ती मस्ती में, न जाने किसने उनके पेय पदार्थ में कुछ नशीला पदार्थ मिला दिया। चारों ही नशे में झूम रहे थे। घड़ी में समय देखा तो रात्रि के 12:00 बज गए थे। यह देखकर नारंग परेशान हो उठा और अपने दोस्तों से बोला - अब हमें घर चलना चाहिए, हमारे परिवार वाले बहुत ही परेशान होंगे और नाराज भी होंगे।
अरे यार !कुछ नहीं होता, ये घरवाले तो पीछे ही पड़े रहते हैं , कभी-कभी तो मस्ती करने का मूड करता है रतन बोला।
अभी हमें घर पहुंचने में भी समय लगेगा, चलो चलते हैं ,शोभित ने कहा। आधा घंटे का रास्ता था चारों होटल से बाहर निकल गए ,पैदल ही अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले। सड़क पर कोई इक्का-दुक्का ही दिख रहा था ,सुनसान सड़क थी। रात्रि की चांदनी खिली हुई थी , ठंडी हवा चल रही थी। मौसम बहुत सुहावना लग रहा था। चारों ही अपनी मस्ती में चले जा रहे थे। तभी उन्हें दूर कहीं कोई ,परछाई दिखलाई दी। ठीक से देखने का प्रयास किया शायद कोई लड़की है, शोभित बोला।
अरे यार तू क्यों झूठ बोल रहा है ? तुझे ठीक से दिखलाई नहीं दे रहा, इतनी रात्रि को कोई लड़की कैसे बाहर निकलेगी ?यहां तो हमारे परिवार वाले हमें लड़के होकर भी बाहर निकलने नहीं देते कहकर अतुल हंसने लगा।
मुझे तो लगता है, यह अवश्य ही लड़की है , शोभित में विश्वास जतलाया।
नहीं ,हो सकता है ,ये कोई चुड़ैल ही हो , हमारा कलेजा निकाल कर खा जाएगी अतुल बोला।
तू भी क्या दकियानूसी बातें कर रहा है ? हो सकता है ,कोई समय की मारी बालिका हो, रतन हँसते हुए बोला।
''बालिका '' शब्द सुनकर तीनो हंसने लगे ,आजा !इस बालिका से तेरी सेटिंग कराते हैं। कहते हुए वे लोग आगे बढ़े। उसे साये के करीब जाकर, बोले - हेलो !
जी कहिए ! कहते हुए वह उनकी तरफ घूमी। वास्तव में ही वह एक लड़की थी, चांद की चांदनी में भी दूध सी चमक रही थी, उसका सौंदर्य चांद को फीका कर रहा था।
यहां इस तरह अकेले ! और इस समय, क्या हम आपकी कोई सहायता कर सकते हैं ? चारों दोस्त ही बड़ी सभ्यता से उससे बात करने लगे। वे कोई छठे हुए बदमाश नहीं थे, किंतु शराब की थोड़ी मस्ती छाई थी।
आप में से कौन मेरी सेटिंग बनेगा, वह कहते हुए, मुस्कुराई , चारों मित्र ही, एक दूसरे का मुंह देखने लगे , इसे कैसे मालूम ?कि हम थोड़ी देर पहले क्या बातें कर रहे थे ? हम तो इससे दूर खड़े थे। मदमस्त चाल से चलते हुए वह अतुल के करीब आई और बोली - कितने वर्ष के हो गए ? आज !
अतुल घबराकर बोला -आपको कैसे मालूम ?आज मेरा जन्मदिन है।
मैं सब जानती हूं, आज की रात्रि तुम ही मेरे सबसे प्यारे दोस्त बनोगे, कहते हुए उसने ,अपनी लंबी पतली सी जीभ , से अतुल को चाटा , उसकी गीलगिली सी जिव्ह्या गीली और कांटेदार थी। उस रसना के रस से अतुल के संपूर्ण शरीर में एक झुरझुरी सी फैल गई, उसे घिन्न आने लगी। यह सब देखकर ,उसके सभी दोस्त घबरा गए और बुरी तरह डर गए, पल भर में ही ,उनका नशा उड़न छू हो गया।
रतन बोला - भागो ,अतुल !कहते हुए वे तेजी से भागने लगे। उन्हें भागते हुए देखकर, वह भी उनके पीछे दौड़ी , न जाने यह क्या बला है ? बदहवास वो दौड़ते रहे, तभी एक जोरदार टक्कर उन्हें लगी और चारों ही बेहोश हो गए।
जब उनकी आंख खुली, तो उन्होंने अपने को अस्पताल में पाया। उठने का प्रयास किया किंतु किसी के हाथ के में दर्द था तो किसी का पैर में और कमजोरी भी महसूस हो रही थी।
नर्स ने उन्हें बताया- एक ट्रक से उनकी टक्कर हुई थी , तुम तब बेहोश थे, हमें कुछ भी पता नहीं चल पाया कि क्या परेशानी है ? किंतु इतना अंदाजा हमने लगा लिया था, तुम्हारे कुछ हिस्सों की हड्डियां चटक गई हैं। डॉक्टर साहब आएंगे इलाज करेंगे और टूटी हड्डियों पर प्लास्टर भी चढ़ेगा।
सिस्टर ! हमें यहां छोड़कर कौन गया ?
एक लड़की थी, जिसने तुम्हें अपना दोस्त बताया था, वही तुम्हें यहां भर्ती करके गई है , कह रही थी- होश आने पर ,तुम लोगों से मिलने आएगी।
चारों के मुख से एक साथ निकाला -क्या ????
तभी वहां एक फोन आया, उन्हें नर्स ने बताया। शोभित जो उठकर जा सकता था, उसने फोन उठाया -हेलो....... उधर से मदमस्त कर देने वाली आवाज आई , ये क्या ?तुम लोगों ने मेरी , रात्रि खराब कर दी , मैं तो तुम लोगों से प्यार करती , मेरा दिल तुम लोगों पर आ गया था। संपूर्ण रात्रि तुमसे दिल बहलाती और छोटे-छोटे टुकड़े करके बड़े प्रेम से तुम्हें चबाती, हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
कौन हो ?तुम ,क्या चाहती हो ,हमारे पीछे क्यों पड़ी हो ? हमें छोड़ दो ,हमने कुछ भी नहीं किया ,न ही हम तुम्हें जानते हैं। और न ही, तुम हमें जानती हो और हमसे कभी भी मिलने का प्रयास मत करना कहते हुए शोभित ने फोन रख दिया। उसने इतनी बातें उससे कह तो दी किंतु मन ही मन स्वयं भी घबरा रहा था, संपूर्ण बातें अपने दोस्तों को बतलायीं।
आखिर यह कौन थी ?सभी के मन में एक ही प्रश्न था।
वह उस चौराहे की चुड़ैल थी, जो रात्रि को निकलती है , एक रात्रि, उसके साथ हादसा हो गया था, कुछ लड़कों ने उसके साथ जबरदस्ती की और उसे मार कर फेंक गए। तब उसने चुड़ैल बनकर,उन लोगों से अपना बदला लिया और जब भी, कोई अर्धरात्रि को गलत नीयत से निकलता है। उसे वह मार देती है, उसे सोचने का भी मौका नहीं देती। न जाने, उसने तुम लोगों को क्यों छोड़ दिया ? कमरे के दरवाजे से अंदर आते हुए नर्स ने उन लोगों की बातचीत को सुनकर उन्हें बतलाया।
क्या आप उसे जानती हैं ?
नहीं ,जानती नहीं हूं ? भला ,चुड़ैल से भी कौन जानकारी रखता है ? यह किस्सा मैंने बहुत पहले सुना था , तुम्हारी बातों को सुनकर वही याद आ गया। अब वह तुम्हें कॉल करती रहेगी, और न जाने कब तक कॉल करेगी ? जिस दिन उसने तुम्हें कॉल करना बंद कर दिया, उसी दिन समझो ! वह ''अंतिम कॉल'' होगी।
सभी मित्र बुरी तरह घबरा गए, तब तक उनके घर वाले भी आ गए थे। सभी परेशान थे, किसी ने भी कुछ नहीं कहा. क्योंकि बच्चों को तो पहले से ही, बहुत अधिक चोटें आई हुईं थीं । बच्चों के मन में दहशत बन गई थी, न जाने कब उसका ''अंतिम कॉल'' आएगा जो हमारी जिंदगी का आखिरी होगा।
हालांकि उस दिन के बाद हमें कोई कॉल नहीं आया, हम उसकी दहशत के कारण और उसके आखिरी कॉल के कारण, अपनी जिंदगी डर के साए में जी रहे थे। अब हमें अपने माता-पिता की डांट का डर नहीं था बल्कि उस चुड़ैल के ''आखिरी कॉल'' का डर था। नारंग ने यह कहानी अपने बच्चों को सुनाई।
ऐसा कैसे हो सकता है ?कहीं आप लोगों ने नशे में कोई दुःस्वप्न तो नहीं देख लिया ,नारंग के बेटे ने शंका जतलाई।
कभी -कभी हमें भी लगता है ,किन्तु हमारी चोटें और उस नर्स की बातें हमें भृम में नहीं रहने देतीं।
नारंग जो आज लगभग 40 वर्ष का हो चुका है। सभी दोस्त कभी-कभी मिलते हैं, तो सोचते हैं -क्या वही हमारा'' आखिरी कॉल ''था ?एक- दूसरे को एहसास कराते हैं ,हाँ हम जिंदा हैं ? वह भयानक रात और वह ''आखिरी कॉल ''उन्हें भुलाये नहीं भूलती।