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एक राज़

20 अगस्त 2023

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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हारी मां के बराबर हैं। अब उम्र हो चली है ,गलती तो हो ही जाती है। इनकी अपनी कोई औलाद होती तो ,आज तुम्हारे जैसी होती , यह हमारे घर का कार्य करती हैं ,सारे कार्य संभालती हैं ,तुम्हारी कितनी देखभाल करती हैं ? पता नहीं क्यों ?तुम इससे चिढ़े रहते हो। इसकी जगह यदि मैं होती ,तो क्या तुम मुझ पर भी हाथ उठाते ?आज तो सारिका जी ने क्रोध में, निलेश को बहुत डांटा , आज तक उन्होंने उसे कुछ भी नहीं कहा किंतु आज तो बर्दाश्त से बाहर हो गया था। सच में कहूँ तो, तुम इन्हीं के पाले हुए हो , मैं तो अपनी नौकरी पर चली जाती थी सारा -सारा दिन तुम्हारी देखभाल करना ,तुम्हारी नैपी बदलना ,तुम्हें समय पर दूध पिलाना ,यह सभी कार्य इन्होंने किए हैं।'' आदमी कुत्ता भी पालता है उससे भी मोह हो जाता है'' , तुम्हें इससे कोई लगाव नहीं , ऐसा क्या बुरा कर दिया ? इन्होंने...... 



आप इसे घर से क्यों नहीं निकाल देतीं , मुझे इनका काम करना और यहां पर रहना कतई पसंद नहीं है, कहते हुए ,नीलेश झल्लाकर बाहर निकल गया।

दमयंती रोते हुए ,अपने कमरे में चली गयी , आज वह फूट-फूटकर रो रही है , जिसके लिए ,सारा जीवन यहीं पर एक नौकरानी बनकर निकाल दिया , वह मुझे अपने साथ भी देखना नहीं चाहता , यही तो मेरे जीवन की जमा पूंजी है। पता नहीं ,इतने वर्षों से किसके लिए जी रही है ? अपने आंसूओं में , उसे अतीत के पन्ने खुलते नजर आ रहे हैं। जब 'नील 'से वह मिली थी। कॉलेज में दोनों ही साथ पढ़ते थे। दमयंती ने तो उसी वर्ष अपना दाखिला कराया था किंतु 'नील' उस कॉलेज में पहले दो साल से था। दमयंती की सुंदरता को देखकर ,देखता ही रह गया। अपने दोस्तों से कहने लगा -इसे तो मेरी ही होना पड़ेगा ,कहने को तो नील उसका सीनियर है ,दोस्तों के संग ज्यादा रहता है ,' नेतागिरी 'भी करता है। उसके व्यवहार से कुछ लोग उसे 'गुंडा टाइप ' लड़का ही समझते हैं। 

वह किसी के लिए कैसा भी हो ?किंतु दमयंती का बहुत ही ख्याल रखता है। आते -जाते उसको देखता रहता, उसे कोई भी परेशानी हो,तुरंत हल कर देता। दमयंती जिस दिन कॉलेज नहीं आती उसका चेहरा उदास हो जाता ,दमयंती को देखते ही वह खिल उठता। उसके लिए दमयंती, उसकी धरोहर के रूप में थी जैसे कोई अपने खजाने की रक्षा करता है, उसकी देखभाल करता है। उसके इस तरह के व्यवहार से दमयंती भी मन ही मन खुश होती थी। धीरे-धीरे वह लोग मिलने लगे , दोनों एक दूसरे के प्यार में डूब गए। नील ने पहले ही सोच लिया था ,जब मैं किसी काबिल हो जाऊंगा तो मैं, इसके माता-पिता से इसका हाथ मांगने जाऊंगा। वह समय भी आ गया नील की एक अच्छी सी कंपनी में नौकरी लग गई , अपने वायदे के मुताबिक नील , दमयंती के घर उसका हाथ मांगने गया। 

दमयंती के परिवार वालों को भी कोई परेशानी नहीं थी ,घर बैठे बिठाये इतना अच्छा रिश्ता जो आ गया , वह भी तैयार हो गए , दमयंती और नील अब बेहद खुश थे ,अब तो उनका रिश्ता भी तय हो गया था ,अब उनके रिश्ते में कोई अड़चन नहीं आनी थी। घर में , शादी की तैयारियां चलने लगीं। दमयंती तो बेहद खुश थी ,जो चाहा वह मिल गया। प्यार करने वाला पतिऔर इतनी अच्छी ससुराल और क्या चाहिए ? सभी उसकी किस्मत की सराहना करते , किंतु होनी को कौन टाल सकता है? होता वही है ,जो किस्मत में लिखा होता है। जिस दिन बारात आ रही थी, उस दिन खूब पटाखे छूट रहे थे , सभी नाच गा रहे थे , तभी न जाने अचानक क्या हुआ ? घोड़ी बिदक गई , कोई कह रहा था -कि उसे आकर एक पटाखा लगा लेकिन यह सब कुछ इतने शीघ्र हुआ किसी को कुछ भी समझ में नहीं आया और घोड़ी बहुत तेज भागी , उसने अपने ऊपर बैठे नील को भी नीचे गिरा दिया। नील का पैर ,घोड़ी के हुक में फँस गया और वह नील को खीचते हुए ,सड़क पर दौड़ी चली गई। लोग उसके पीछे भागे , घोड़ी को रोकना चाहा लेकिन अब कोई लाभ नहीं था,नील इस दुनिया से जा चुका था। दमयंती की दुनिया बसने से पहले ही उजड़ गई। इतना बड़ा व्रजपात उसके जीवन में हो गया , वह तो जैसे खामोश ही हो गई।

उसे बहुत रुलाने का प्रयास किया गया किंतु अपने नील की याद में वह ,रो भी ना सकी। उस हादसे को लगभग एक महीना हो गया। दमयंती को उल्टियां लगने लगीं , उसे डॉक्टर को दिखाया गया , और तब यह दूसरा हादसा उसके साथ हो गया, जब डॉक्टर ने उसे बताया -कि वह 'गर्भवती 'है। माता-पिता की तो जैसे सांस ही अटक गई। एक दुख गया नहीं, दूसरा सर पर आन पड़ा। माता-पिता और रिश्तेदारों ने , उसे खूब खरी -खोटी सुनाई। हम विवाह तो करा ही रहे थे, कुछ दिन और रुका नहीं जा रहा था। इतनी जल्दी पड़ी थी। अब इस पाप को किससे और कहां तक छुपायेंगे ?

दमयंती में भी जैसे जान पड़ी, उसने घरवालों का क्रोध सहन किया किंतु जब उन्होंने उसे पाप कहा, तब उससे भी सहन नहीं हुआ और बोली-' यह पाप नहीं है , यह मेरे और नील के प्यार की निशानी है , उसने तो जैसे घरवालों से बगावत कर दी थी।

 घरवाले चाहते थे , जो गलती उससे अनजाने में हो गई , उसे जाने देते हैं ,बस यह' गर्भपात 'करा ले किंतु इसके लिए वो राजी नहीं हुई। उसने नील के घर भी जाना चाहा, वह चाहती थी -नील के घरवाले उसे'' नील की विधवा'' के रूप में स्वीकार कर लें किंतु जब उन्हें पता चला ,कि यह' गर्भवती' है तब उन्होंने उसे यह कहकर उस घर से निकाल दिया न जाने किसका पाप लिए घूम रही है ?जो हमारे मरे बेटे के नाम लगा रही है। अपने माता-पिता को ही उस पर तरस आया और उसे दूर रिश्तेदारी में भेज दिया ताकि यह वहां रहे आसपास किसी को पता ना चले और यह वहां अपना बच्चा पैदा करें। 

नौ महीने बाद, उसने एक बेटे को जन्म दिया ,किन्तु उसे पता चला कि उसका बेटा मरा हुआ, पैदा हुआ था । अपने मन में दुख का अंबार लेकर, वह अपने घर आ गई। उसके घर वाले उसके लिए लड़का ढूंढने लगे , ताकि उसका विवाह समय रहते हो जाए। किंतु एक दिन अपने माता-पिता की बात उसने सुन ही ली , जो' राज' उन्होंने छुपाया था ,वह उसे पता चल गया , उसका बेटा मरा हुआ पैदा नहीं हुआ था बल्कि उन्होंने उसे किसी 'अनाथ आश्रम 'में डाल दिया था। ' अनाथ आश्रम वालों' को बताया था -कि उन्हें यह सड़क पर पड़ा हुआ मिला , इंसानियत के नाते इसको यहां छोड़कर जा रहे हैं। यह बात जब दमयंती को पता चली तो उसे बहुत दुख हुआ कि मेरा बेटा एक' अनाथ आश्रम' में पल रहा है। उसने अपनी मम्मी से जिद की और उनसे उस 'अनाथ आश्रम 'का पता मांगा। जब वह' अनाथ आश्रम' में पहुंची , और उसने उस बच्चे के विषय में जानकारी लेनी चाही , तब उसे पता चला ,कि उसका बच्चा तो किसी ने गोद ले लिया है।

दमयंती अपने बच्चे को लेने के लिए, उस चौखट पर जाती है, किंतु देखती है उसका बच्चा तो राजकुमारों की तरह पल रहा है ,बहुत अच्छे से रह रहा है, तब उसने मन ही मन सोचा -मैं भला इसकी कैसे इतनी देखभाल कर पाऊंगी ? तब उसने अपने बच्चे के पास रहने के लिए सारिका जी के यहां नौकरी कर ली , जिससे अपने बच्चे की भी और अपनी भी देखभाल कर सकें। यह बात घर भी कोई नहीं जानता था। कि दमयंती आज अपने बेटे की ही'' धाय माँ '' बनी हुई है , किंतु पता नहीं ,कुछ दिनों से.नीलेश को, क्या होता जा रहा है ,जैसे -जैसे यह बड़ा होता जा रहा है ,वैसे- वैसे ही इसकी नफरत दमयंती के प्रति बढ़ती जा रही है और आज तो नीलेश ने हद ही कर दी। दमयंती मेज से चाय के निशान छुडा रही थी , उसने जिस जग में पानी लिया हुआ था, वह निलेश के कागजों पर फैल गया , हालांकि उसने बहुत बचाने की कोशिश की किंतु थोड़ा पानी गिर भी गया जिसके कारण नीलेश आज उससे बहुत ही क्रोधित हुआ। मैं इसके पास रहती हूं और यह मुझसे इतनी नफरत पाले हुए है, मैं क्यों यहां रह रही हूं ?मेरे यहां रहने से तो इसकी नफरत और भी बढ़ती जा रही है ,अब मुझे यहां नहीं रहना है ,मैं कहीं और चली जाऊंगी ,कहीं दूर नौकरी करने लगूँगी पेट ही तो भरना है ,कहीं वृद्ध आश्रम में चली जाऊंगी सोचते हुए , दमयंती रोते - रोते सो गई। 

अगले दिन दमयंती उठी और चुपचाप रसोई में काम करने लगी , नीलेश के सामने नहीं गई। सारिका जी से बोली -मैं आज के बाद ,यहां नहीं रह पाऊंगी , मैं इस घर से चली जाऊंगी। सारिका जी ने दमयंती की बहुत ख़ुशामद की और उसको रोक लिया ,वह भी इस शर्त पर, कि अब दमयंती नील के सामने नहीं जाएगी। लगभग एक माह हो गया,एक दिन निलेश ने सारिका जी से पूछा -मम्मी ! वह जो औरत यहाँ रहती थी कि क्या वह चली गई ? नहीं बेटे !आजकल इतनी अच्छी कामवाली कहां मिलती हैं ? मैंने तुम्हारी तरफ से माफी मांग कर ,उसको रोक लिया है किंतु अब वह तुम्हारे सामने कभी नहीं आएगी। 

यह मम्मी आपने सही नहीं किया ,उसको जाने दिया होता निलेश क्रोधित होते हुए बोला। 

मौसम बदल रहा था , नई -नई बीमारियां फैल रही हैं ? सारिका जी बाहर नौकरी करने जाती हैं उम्र का भी सवाल है , न जाने ,कैसे उन्हें डेंगू हो गया ? वह बहुत बीमार हो गई ,लग रहा था शायद ,बचेंगीं नहीं , शरीर में बहुत कमजोरी आ गई थी। एक दिन निलेश को अपने पास बुला कर प्यार से बोलीं -नीलेश मेरे मन पर एक बोझ है वह मैं तुम्हें बताना चाहती हूं। 

बोझ ! कैसा बोझ ?

 यही कि तुम मेरे बेटे नहीं हो , मैंने और तुम्हारे पापा ने तुम्हें एक 'अनाथ आश्रम' से, गोद लिया था। 

निलेश आश्चर्यचकित होते हुए बोला- क्या ?यह बात आप मुझसे अब बता रही हैं ? आपको पहले ही नहीं बता देना चाहिए था। तब भी मैं आपका ही बेटा रहता। 

वह बेटा मैं ,इसलिए नहीं बता पाई क्योंकि मेरे अंदर , तुम्हारे खोने का डर था। मैंने इतने दिनों से तुमसे, यह' राज़ ' छुपाया ,मैं इसके लिए क्षमा मांगती हूं ,तुम्हारे पापा ने तो ,मुझसे कई बार कहा था -कि मैं सच्चाई तुम्हें बता दूं किंतु मैं नहीं बता पाई। 



नीलेश रो रहा था , उसने पूछा -मेरे माता-पिता कौन हैं ? कहां हैं?

यह तो मैं नहीं जानती थी, किंतु जब तुम थोड़े बड़े हुए ,तब मुझे एक दिन पता चल गया कि यह दमयंती ही तुम्हारी मां है ,तुम्हारे ही कारण यह इस घर की नौकर बनी हुई है। किंतु शायद यह नहीं जानती ,कि मैं इसका' राज 'जानती हूं। इसी ने मेरे पीछे तुम्हें अपना दूध पिलाया अपने बच्चे की तरह पाल पोस कर बड़ा किया ,मैं भी कुछ स्वार्थी हो गई थी इसीलिए मैंने सोचा -जैसे चल रहा है, चलने दो ! आज मैं यह सच्चाई तुम्हारे सामने इसीलिए बताना चाहती हूं ,पता नहीं कब ?मैं इस दुनिया से चली जाऊं, इसीलिए तुम्हारे जीवन की सच्चाई मैं, मरने से पहले बताना चाहती हूं , बेटा !इस से नफरत मत करो! यह तुम्हारी मां है इसने अपनी सम्पूर्ण जवानी तुम्हारी देखरेख में ही व्यतीत कर दी। 

इसी कारण....... इसी कारण ही तो मुझे उस पर गुस्सा आता था , जब वह जानती थी -कि मैं उसका बेटा हूं तो उसने आज तक स्वीकार क्यों नहीं किया ? क्यों ,उसने मुझ पर अपना हक नहीं जतलाया ? क्यों ?वह घर की नौकर बनी रही ? इस घर के बेटे की मां क्यों नहीं बन पाई ? यही घुटन ,यही गुस्सा तो ,मैं लिए जी रहा था ,रोते हुए निलेश बोला। 

सारिका ने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा और पूछा -यह तुम क्या कह रहे हो ?

हां मम्मी मैं जानता हूं, दमयंती माँ ही ,मेरी मां है , एक दिन जब मैं कॉलेज से आया तब ,मैंने इन्हें बात करते हुए सुन लिया था -यह किसी से कह रही थी-' कि मैं अपने बेटे नीलेश के कारण ही तो यहां रह रही हूं। बस मैं तो यही चाहती हूं ,मेरा बेटा खुश रहे ,सुख से रहे। '' जब मुझे सच्चाई का पता चला तो ,मुझे बहुत क्रोध आया कि मैं कैसे रहस्यों में जी रहा हूं ? एक तरफ पता चलता है आप मेरी मां नहीं है ,दूसरी तरफ पता चलता है ,कि जो घर की नौकरानी है, वह मेरी मां है ,आप स्वयं सोचिए ! मैं कैसी दुविधा में था ? जब मैं उन्हें नौकरानी के रूप में कार्य करते देखता, मेरे दिल पर जोर पड़ता था किंतु उन्होंने सच्चाई को स्वीकार नहीं किया। यह 'राज' आप भी और वह भी ,वर्षों से अपने दिल में छुपाए बैठी हैं ,तब मैंने सोचा -मैं इस रहस्य को रहस्य ही रहने देता हूं , जब तक आप लोग स्वयं अपने मुंह से स्वीकार नहीं करती हैं। अब तो दमयंती भी जो चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी, सामने आ गई और फफक फफक कर रो पड़ी। जो 'राज ' कितने वर्षों से,वो अपने सीने में दफ़्न किये हुए थी , वह 'राज ' आज खुल गया। 
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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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