वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई वस्तु हो, जो उसे उड़ाकर किसी दूसरे लोक में ले जाये। आकाश की सैर कराये या किसी दूसरे नगरी ले जाए। एक ऐसी अद्भुत नगरी जहां सब कुछ आश्चर्यचकित कर देने वाली चीजें हों। गर्मियों की रात थी ,आंगन में चारपाई बिछी हुई थी ,प्रोमिल उस पर लेटा हुआ था। रात्रि में ,अभी उसे नींद नहीं आ रही थी किंतु घर के आंगन से दूर ,आकाश में चमकता हुआ चांद, दिखलाई दे रहा था और उसके साथ ही कुछ तारे भी टिमटिमा रहे थे। दूर गगन देखने में ,बहुत अच्छा लग रहा था।प्रोमिल ने पढ़ा था ,तारे और चाँद स्थिर नहीं रहते,इसी बात को परखने के लिए, अपनी पलकों को झपकाकर और फिर स्थिर करके देखा ,कि क्या वह तारे चल रहे हैं या चाँद चल रहा है। अक्सर ऐसे ही, कुछ प्रयास वह करता रहता है तभी उसे कुछ सफेद बादल दिखलाई दिए ,वे बादल जो कभी घोड़े का रूप ले लेते कभी हाथी का रूप ले लेते ,उसकी अपनी कल्पनाएं भी थीं। उन बादलों में वह कुछ न कुछ आकृतियां महसूस कर रहा था। कभी उसे लगता कि यह कोई पंख लगाकर जादुई घोड़ा है, तभी उसके मन -मस्तिष्क में यह विचार आया काश !की कोई ऐसा जादूई घोड़ा होता जो मुझे उड़ा कर आसमान की सैर करा देता सोचते- सोचते न जाने कब उसकी आंख लग गई?
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ठंडी मंद- मंद बयार बह रही थी ,चारों तरफ शांति थी ,रात्रि का अंधकार होने के पश्चात भी प्रोमिल उस जादुई घोड़े पर उड़े चला जा रहा था। ऊपर से देखने से प्रकृति, कितनी सुंदर नजर आ रही थी ?हमारी धरती भी कम सुंदर नहीं है, पहाड़ हैं ,नदियां हैं, विभिन्न प्रकार की औषधि वाले पेड़ पौधे हैं ,कितना सुंदर दृश्य नजर आ रहा था ?खुले आकाश में ,उसका घोडा वायु गति से जा रहा था। प्रोमिल सोचने लगा- ऐसा ही कोई अलग देश हो, जहां पर मैं जाऊं और वहां पर मीठे-मीठे लड्डू के या टॉफी के पेड़ हों। ऐसी कल्पनाएं कर रहा था लेकिन सोचा ये तो बच्चों वाली कल्पनाएं हैं ,अब तो मैं बड़ा हो गया हूं।
तब वह बादलों से पार, इस एक ऐसी जगह पर पहुंच गया ,जहां सब कुछ बहुत ही सुंदर है ,विभिन्न प्रकार के फूल थे। ऐसा दृश्य उसने कभी नहीं देखा था। तभी कुछ पारियां हवा में उड़ती हुई आईं और उसे अपने साथ ले गईं। उसे सुंदर-सुंदर आभूषण ,वस्त्र पहनाए और बहुत अच्छा- अच्छा भोजन उसे खाने को दिया।अब तो प्रोमिल के राजाओं वाले ठाठ हो गए थे। प्रोमिन को न ही पढ़ने की, चिंता थी वह आराम और सुकून से वह वहां रह रहा था। तभी उसे किसी ने हिलाया प्रोमिल उठ जा !तुझे स्कूल जाना है।
क्या मैं यहां हूं ?आश्चर्य से प्रोमिल ने अपने आसपास देखा और दुखी भी हो गया।
उसकी मम्मी ने पूछा -बेटा !क्या हुआ ,क्या नींद ठीक से नहीं आई थी ?
मम्मी नींद तो, बहुत अच्छी आई थी ,मैं किसी राज्य में पहुंच गया था। वहां मैं राजाओं की तरह रह रहा था।उदास होते हुए बोला - काश !कि मैं वहीं रह रहा होता।न ही पढ़ाई ,न कोई कार्य मजे ही मजे !
उसकी मम्मी समझ गईं कि प्रोमिल ने अवश्य ही कोई सुंदर और अद्भुत सपना देखा है ,जिससे यह अभी बाहर नहीं निकल पाया है। तब मम्मी ने पूछा -तुम उस राज्य में किस तरह से गए थे ?
मम्मी !एक जादुई घोड़ा था उसी के कारण मैं ,उस देश में पहुंचा था।
तब मम्मी ने बताया- कि वह जादुई घोड़ा और कोई नहीं ,तुम्हारा काल्पनिक घोड़ा था. तुम अपनी कल्पना में जो चेतन मन से पाना चाहते हो या जिस तरह से रहना चाहते हो वह तुम्हें उस शहर में ले गया। अपनी इच्छा के अनुसार तुमने यह सब देखा क्योंकि तुम्हारे अवचेतन मन में यह इच्छाएं पल्लवित हो रही थी। क्या तुमने इतनी ऊंचाई से अपनी प्रकृति को नहीं देखा था।
तब प्रोमिल को आश्चर्य हुआ कि मम्मी !को इस विषय में कैसे पता ?तब उसने पूछा - मम्मी !आप ये सब कैसे जानती हैं ?
तब उन्होंने कहा कि जब तुम ऊंचाई पर गए थे, तो तुमने नीचे भी अवश्य देखा होगा इसीलिए मैंने अंदाजा लगाया क्योंकि मेरी भी तो कल्पना शक्ति है।
तो प्रकृति तुम्हें ऊपर से कैसी नज़र आ रही थी ?
बहुत ही खूबसूरत !
वही तो मैं तुमसे कहना चाहती हूं , जिस स्थान पर हम रह रहे हैं, वही बहुत खूबसूरत है और सुंदर नजर आती है। किंतु जिस जगह पर हम रहते हैं उसकी हमें कदर नहीं होती और हम अन्य कल्पनाओं में खो जाते हैं। ईश्वर ने हमें जहां भेजा है वह प्रकृति वह धरती अपने आप में ही बहुत खूबसूरत ,बहुत रहस्यमई है। अब तुम अपने जादुई घोड़े, से उस प्रकृति का, उस जगह का वर्णन कर सकते हो।
वह कैसे ?प्रोमिल ने पूछा।
वह इस तरह से कि तुम्हारे पास एक और घोड़ा है ,वह भी जादूई है, और वह है तुम्हारी कलम ! जो तुम्हारे कल्पना के घोड़े हैं ,और जो बेलगाम उड़ रहे हैं। उनको तुम अपनी कलम द्वारा वश में करके ,सही दिशा की ओर ले जा सकते हो और तब तुम्हें ऐसा प्रतीत होगा कि तुम एक सुंदर कल्पनाओं की अलग ही नगरी स्वयं अपने हाथों से अपने इन पन्नों पर सजा रहे हो। मम्मी की वह सीख प्रोमिल को अच्छी लगी और उसने अपने उन काल्पनिक घोड़े को , अपनी उस जादुई कलम द्वारा एक राह देनी आरंभ कर दी और धीरे-धीरे वह 'प्रोमिल ' एक अच्छा लेखन बनता चला गया. और उस जादुई घोड़े की कलम से न जाने कितने कहानी किस्से और कितनी दुनिया उसने लिख डाली। आज उसे अपने इस'' जादुई घोड़े '''पर आश्चर्य हो रहा था। जिन्होंने एक अनोखा संसार रच डाला था। जादुई घोड़े और कुछ भी नहीं है, सिर्फ तुम्हारी ''कलम'' है, जिस पर हमारी कल्पनाओं के पंख लग जाते हैं और उस कल्पना को तुम कितनी भी ऊँची उड़ान दे सकते हो ?अपनी उस सुंदर कलम से,उसे पंक्ति बंद करके लगाम का कार्य करते हो। तभी तुम्हारा हर सपना साकार होगा।
यह नहीं कि हर व्यक्ति लेखक ही बने लेकिन, जो भी कल्पना तुम कर रहे हो,अथवा जो सपना देख रहे हो उसको साकार करने का प्रयास करो ! प्रोमिल ने बड़े होकर यही संदेश, अपने पाठक बच्चों और बड़ों को दिया।