बड़े भयावह होते हैं ये अंधेरे रास्ते
अपराध की दुनिया की ओर जाते हैं
चोरी चकारी, लूटपाट छीना झपटी व
हत्या बलात्कार यहीं अंजाम दिये जाते हैं ।
अंधेरे रास्ते निराशा की गली से निकलते हैं
गंदे विचारों, आत्माओं का सरमाया रहता है
फ्रस्ट्रेशन, तनाव जैसे साथियों से मिलकर
राक्षसी सोच का यहाँ पर साम्राज्य होता है ।
अंधे कुंए की तरह से होते हैं ये अंधेरे रास्ते
अंतहीन, सुनसान, वीरान, वीभत्स, भयावह
एक दीये का प्रकाश पाकर जगमगाने लगते हैं
और ले जाते हैं मंजिल की ओर बेधड़क, निर्भय ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
17.11.21