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एक नई शुरुआत

2 जनवरी 2022

18 बार देखा गया 18

कुछ तुमने कहा कुछ मैंने कहा 
कुछ गलती तुमने की कुछ मैंने की 
कुछ नादानी तुम्हारी थी कुछ मेरी
कुछ शक तुमने किया कुछ मैंने 
थोड़ी सी बेवफाई तुम्हारी थी थोड़ी मेरी
थोड़ा सा सितम वक्त का थोड़ा अपनों का 
कुछ हालात खराब थे कुछ किस्मत 
यूं जिंदगी ने हम दोनों को रुसवा किया
जमाने की बातों में आकर यूं मुंह मोड़ लिया
मासूम दिल का जरा ना खयाल किया 
वो साथ गुजारे हुये पल भूल गयीं तुम 
मैंने भी रोष में कुछ ज्यादा ही सुना दिया 
बहुत हो गये झगड़े फसाद आओ बैठें बात करें 
दिल से दिल की वो पहली सी मुलाकात करें 
कुछ तुम आगे बढ़ो कुछ कदम में बढ़ाऊं
इस जिंदगी की फिर से एक नई शुरुआत करें 

हरिशंकर गोयल "हरि"
2.1.22 


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रचनाएँ
मेरी कविताएं
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इस पुस्तक में मैंने अपनी कविताएं प्रकाशित की हैं जो विभिन्न विषयों जैसे श्रंगार , सौंदर्य , प्रेम, हास्य, जीवन, समाज आदि से संबंधित हैं । आशा है कि यह पुस्तक आपको पसंद आएगी । कृपया इस पुस्तक के संबंध में अपने विचार अवश्य प्रकट करने का श्रम करें । धन्यवाद
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स्पंदन

16 अक्टूबर 2021
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<div>जुबां पे शहद और हाथों में कटार रखते हैं </div><div>मेरे शहर के लोग , ऐसे ही इकरार करते हैं

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2. यादों की बारात

17 अक्टूबर 2021
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<div style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spaci

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3. झूठ को सच में बदलने निकले हैं

17 अक्टूबर 2021
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<div style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spaci

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गजल : भोर की पहली किरण

18 अक्टूबर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">गजल </span></div><div><span style="font-size: 16px;"><br></

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मां , मैं तेरी ही परछाई हूँ

19 अक्टूबर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">कविता : मां , मैं तेरी परछाईं हूं </span></div><div><span s

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गीत : पापा, तुमने मुझे कहाँ जा फंसाया

20 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">गीत : पापा , तुमनेमुझे कहाँ जा फंसाया </p> <p dir="ltr">पैसा, श

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दिल तो बच्चा है

21 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">जब तक दिल बच्चा है <br> सभझो तब तक अच्छा है <br> नहीं तो ये

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किलकारी की गूंज

22 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">जब किसी किलकारी की आहट आती है <br> तब घर में खुशियों की सुगंध भर

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झीने से अवगुंठन के पीछे से

23 अक्टूबर 2021
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<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac

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करवा चौथ बड़ी दुखदायी है

24 अक्टूबर 2021
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कविता : करवा चौथ बड़ी दुखदायी है <div><br></div><div>यह दिन साल में बस एक बार ही आता है <di

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नौ दो ग्यारह

25 अक्टूबर 2021
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<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac

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पुष्प की अभिलाषा

25 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">पुष्प की अभिलाषा है कि <br> उसे अपराधी, हिंसक, अन्यायी, भ्रष्ट<b

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सफलता

26 अक्टूबर 2021
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<span style="color: rgb(55, 71, 79); font-family: Roboto, sans-serif; font-size: medium; letter-spac

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भयानक रात

26 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">चांद के आगोश में रात जब सोती है <br> तब बड़ी सुहानी, मधुर, सरस हो

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बारिश की बूंदें

27 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">किसी अतिथि की तरह से आती हैं <br> मगर मन को तर

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नादान परिंदे

2 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">अनंत आसमां की अनंत ऊंचाइयों में <br> वायु के आवेग को चीर कर बढ़ते

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लहरें

4 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">आशा और विश्वास लिये <br> झूमती बलखाती मदमाती<br> अपनी मस्ती में

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पल पल दिल के पास

7 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">अहसासों की चादर पे मुस्कुराहटों के फूल खिलाये हैं <br> ये दुनिया

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हमसफर

8 नवम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">सुनो प्रिय </span></div><div><span style="font-size: 16px;"

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निल बटे सन्नाटा

11 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">जिंदगी भर हाय हाय करते रहे <br> कभी धांय धांय कभी फांय फांय करते

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आक्रोश

12 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">जब जब सत्ताधीशों ने अन्याय किया है <br> तब तब समाज में आक्रोश पै

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जादू की झप्पी

15 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">कभी मम्मी से आती है कभी पापा से आती है<br> कभी दोस्तों से कभी ज

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जवानी और बुढ़ापा

15 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">जवानी और बुढ़ापे की सोच बड़ी तंग हो गई <br> बीच चौराहे पर दोनों मे

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अंधेरे रास्ते

17 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">बड़े भयावह होते हैं ये अंधेरे रास्ते <br> अपराध की दुनिया की ओर ज

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अराजकता की जीत

19 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">आज अराजकता जीत गई है <br> आज अराजकता अट्टहास कर रही है <br>

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तन्हाई

19 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">हर शाम जब भी चिराग रोशन होते हैं<br> तेरी यादों के सपने दिल में पलने

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रिश्तों में मिठास

23 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">रिश्तों में मिठास कम होने लगी है <br> जिंदगी अब गमों में डुबोने

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आत्मनिर्भर नारी

24 नवम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">वो आज हवा में उड़ती है <br> सितारों से बातें करती है <br> आस

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जबसे उनकी सूरत

30 नवम्बर 2021
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दादी मां

1 दिसम्बर 2021
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अविश्वसनीय

2 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">140 करोड़ के देश में <br> 125 करोड़ कोरोना टीके लगना<br> अविश्वसनी

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गजल : हम उन्हें भुला ना सके

3 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">दिल के घाव कभी दिखा ना सके <br> हम आज तक उन्हें भुला ना सके&nbsp

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आने वाला कल

3 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">आने वाला कल लेकर आता है <br> हजारों सपने , उम्मीदें , विचार<br>

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सोनचिरैया

6 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">भारत कभी सोनचिरैया कहलाता था <br> उद्योग, व्यापार का यहाँ बोलबाल

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वो अजनबी

9 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">आज सुबह सुबह <br> हवा का एक कतरा मिला <br> बड़ा महक रहा था&n

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सैनिक

9 दिसम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">सियाचिन की हाड़ गलाती ठंड में थार मरुस्थल की चिलचिलाती गर्मी में&

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गीत : हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन

9 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">हर किसी को याद आते हैं वो पुराने दिन <br> वो हसीन पल, रंगीन राते

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सच हार गया

10 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">378 दिनों से दिल्ली की सड़कों पर <br> अराजकता का बोलबाला रहा था&n

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निकला ना करो यूं घर.से बेनकाब

12 दिसम्बर 2021
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निकला ना करो यूं घर से बेनकाब <div><span style="letter-spacing: 0.2px;">आवारा बादल घूमते हैं यह

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किसे पता था

12 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">किसे पता था कि एक दिन ऐसा आयेगा<br> जब इंसान ही इंसान की मौत का कारण

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चाहतों के कदम

14 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">जबसे तुम्हारी चाहतों के कदम दिल के आंगन में पड़े हैं<br> तबसे हम सुनहर

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मिट्टी की सौंधी सी खुशबू

16 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">कभी आती थी लोगों के दिलों से <br> गांव की मिट्टी जैसी सौंधी सी ख

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गीत : समय का पहिया

18 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">समय का पहिया घूमता ही जाये रे <br> चलना ही जिंदगी है ये समझाये र

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मुक्तक : वो अगर जोर से हंस दें

19 दिसम्बर 2021
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<div><span style="font-size: 16px;">हुस्न वाले तो आंखों आंखों में मुस्कुराते हैं </span></div><

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आईना

23 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">लोग इस तरह कैसी कैसी गफलतों में जीते हैं <br> सूरत खराब खुद की औ

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एक अजीब सपना

26 दिसम्बर 2021
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खिलखिलाती सुबह

26 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">रोज आती है आंगन में मेरे <br> खिलखिलाती गुनगुनाती <br> इठला

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अनजाना राही

28 दिसम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">किसे पता था कि एक अनजाना सा राही <br> अनजाने रास्तों पर यूं अचान

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स्वागत है नववर्ष

1 जनवरी 2022
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<div align="left"><p dir="ltr">नन्हे नन्हे मासूम कदमों की आहट आने लगी है <br> गमों की रात को चीर, खुशियां मुस्कुराने लगी हैं <br> नयी आशा, नया विश्वास, नये सपने, नई उम्मीदें <br> नई रोश

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एक नई शुरुआत

2 जनवरी 2022
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<div align="left"><p dir="ltr">कुछ तुमने कहा कुछ मैंने कहा <br> कुछ गलती तुमने की कुछ मैंने की <br> कुछ नादानी तुम्हारी थी कुछ मेरी<br> कुछ शक तुमने किया कुछ मैंने <br> थ

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सूर्यास्त

3 जनवरी 2022
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इससे पहले कि इस जिंदगी का सूर्यास्त हो दिन के उजाले की तरह खुशियां समाप्त हो आओ मिलकर प्यार की स्वर लहरियां बिखेरें समय के कैनवास पर सत्कर्मों के चित्र उकेरेंगंगा की तरह मन को पावन और निर्मल कर लें राग द्वेष छोड़कर विश्व को अपनी बांहों में भर लें नफरत की कड़वी बोली छोड़ तराने प्रेम के गुनगुनायें मुफ्त की खैरात के बजाय परिश्रम पर भरोसा जतायें जब ज्ञात है कि जीवन में सूर्यास्त अवश्यंभावी है जिंदगी के चार दिनों पर मौत की कालजयी रातें हावी हैंइसलिए नेकी और सदाचार के पथ पर चलना होगा अपने कर्मों और व्यवहार से गुलाब सा महकना होगा जब सूर्यास्त का समय आये तब चेहरे पे मुस्कान हो इस तरह से इस जीवन रूपी दिवस का अवसान हो हरिशंकर गोयल "हरि"3.1.21

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घाटियों के बीच एक शहर

4 जनवरी 2022
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सुनो प्रिये , प्यार के पंख लगाकर दूर कहीं उड़ जायें सुनहरी घाटियों के बीच "प्रेमनगर" बसायें जहां प्रेम रूपी उपवन सबको महकाता हो किस्मत का सूरज सबका मुकद्दर चमकाता हो नदिया

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विरह व्यथा

6 जनवरी 2022
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विरह की व्यथा क्या होती है ? वनों की लताओं, वृक्षों से पूछो वे साक्षी हैं श्री राम की विरह वेदना के उस अनंत अथाह सागर से पूछो जो खारा हो गया है विरह के आंसुओं से उन जंगली जानवरों से

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स्वामी विवेकानंद

12 जनवरी 2022
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स्वामी विवेकानंदहिंदू धर्म और दर्शन से विश्व लगभग अनजान था हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति का ना कोई मान था सांप संपेरो का देश मानते थेहमें जाहिल अनपढ़ जानते थे विश्व पटल पर

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बंद दरवाजा

19 जनवरी 2022
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आंखों की खिड़की से दिल के बंद दरवाजे तक मुहब्बत का यह सफर कुछ ऐसा सुहाना हुआ इश्क की मधुर गूंज नस नस में सुनाई देने लगी प्यार में ये मन दीवाना, परवाना, मस्ताना हुआ आंखों में सजी

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फसल

27 मई 2022
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बड़ी मेहनतों के बाद प्रकृति के कोप से बचाकर पशु पक्षियों से संरक्षित करते हुए किसान जब फसल घर लाता है तो उसे स्वर्ग जीत लेने का आनंद सा आ जाता है । झुर्रियों से छुप

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सवाल और बवाल

7 सितम्बर 2022
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उसकी नशीली आंखें इस कदर जादू कर गईं प्यार का बुखार चढा कर दिल बेकाबू कर गई रात दिन बस उसी के ख्याल आने लगे उनकी गलियों के चक्कर बेवजह लगाने लगे नजदीक आने का कोई बहाना बनाने लगे

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आज की सच्चाई

11 सितम्बर 2022
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बंगाल में अर्थव्यवस्था तेजी से बदल रही है खाट भी अब करोड़ों के बंडल उगल रही है यहां वहां नोटों के पहाड़ सीना ताने खड़े हैं सादगी की प्रतिमा अब विखंडित हो रही है पलटूराम एक बार

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