जवानी और बुढ़ापे की सोच बड़ी तंग हो गई
बीच चौराहे पर दोनों में गजब की जंग हो गई
जवानी कहने लगी तू लगता बड़ा सठियाया है
निस्तेज चेहरा अधपके बाल कमजोर काया है
फिर भी अहंकार में गाफिल तू फिरता भरमाया है
बचपन से जवानी तक तूने सबको उपदेश पिलाया है
"अनुभव" की चाबुक से तिगनी का नाच नचाया है
उम्र की बदौलत समाज में खूब मान सम्मान पाया है
तेरी झूठ मक्कारी की दुकान अब बंद हो गई
बीच चौराहे पर दोनों में गजब की जंग हो गई ।
बुढ़ापा कहने लगा कि तू ताकत पे गुरूर ना कर
चमकते चेहरे और मांसल बदन पे सरूर ना कर
आज तू जोश में है इसलिए सब जगह तेरी बात है
पर याद रहे, चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है
अहंकार में मैं नहीं तू ही चकनाचूर रहती है
शायद इसीलिए मेकअप करके तू हरदम हूर रहती है
जोश जब निरंकुश हो जाये तब खतरनाक होता है
जवानी के बुरे कामों का परिणाम बुढ़ापा ही भुगतता है
चांद सितारे तोड़कर लाने की तू फालतू बातें करती है
तेरी सारी उम्र तो हसीनाओं को पटाने में ही गुजरती है
जब लड़की पटानी हो तो नुस्खा लेने मेरे पास ही आती है
और आज तू बीच चौराहे पर मुझसे ही जुबां लड़ाती है
मेरे अनुभव के कारण ही तेरी मेहनत सफल होती है
सफलता के लिए जोश से ज्यादा होश की जरूरत होती है
हुस्न की चमकती चांदनी में तू मलंग हो गई
बीच चौराहे पर दोनों में गजब की जंग हो गई ।
बात बढ़ती देखकर बीच चौराहे पर मजमा लग गया
एक गुट जवानी के तो दूसरा बुढ़ापे के साथ हो गया
गाली गलौज से बात हाथापाई तक पहुंच गई
दोनों को झगड़ते देख बचपन की मौज हो गई
झगड़े के बीच बचपन मन ही मन मुस्कुरा रहा था
दो पीढ़ियों की तकरार का मुफ्त में आनंद ले रहा था
जवानी मम्मी और बुढ़ापा दादू को वह समझाने लगा
उसकी समझाइश का असर धीरे धीरे दोनों पे छाने लगा
बचपन की मासूमियत में जंग कहीं पतंग हो गई
बीच चौराहे पर दोनों में गजब की जंग हो गई ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
16.11.21