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सूर्यास्त

3 जनवरी 2022

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इससे पहले कि इस जिंदगी का सूर्यास्त हो 
दिन के उजाले की तरह खुशियां समाप्त हो 
आओ मिलकर प्यार की स्वर लहरियां बिखेरें 
समय के कैनवास पर सत्कर्मों के चित्र उकेरें
गंगा की तरह मन को पावन और निर्मल कर लें 
राग द्वेष छोड़कर विश्व को अपनी बांहों में भर लें 
नफरत की कड़वी बोली छोड़ तराने प्रेम के गुनगुनायें  
मुफ्त की खैरात के बजाय परिश्रम पर भरोसा जतायें 
जब ज्ञात है कि जीवन में सूर्यास्त अवश्यंभावी है 
जिंदगी के चार दिनों पर मौत की कालजयी रातें हावी हैं
इसलिए नेकी और सदाचार के पथ पर चलना होगा 
अपने कर्मों और व्यवहार से गुलाब सा महकना होगा 
जब सूर्यास्त का समय आये तब चेहरे पे मुस्कान हो 
इस तरह से इस जीवन रूपी दिवस का अवसान हो 

हरिशंकर गोयल "हरि"
3.1.21 

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रचनाएँ
मेरी कविताएं
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इस पुस्तक में मैंने अपनी कविताएं प्रकाशित की हैं जो विभिन्न विषयों जैसे श्रंगार , सौंदर्य , प्रेम, हास्य, जीवन, समाज आदि से संबंधित हैं । आशा है कि यह पुस्तक आपको पसंद आएगी । कृपया इस पुस्तक के संबंध में अपने विचार अवश्य प्रकट करने का श्रम करें । धन्यवाद
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स्पंदन

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जबसे उनकी सूरत

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निकला ना करो यूं घर से बेनकाब <div><span style="letter-spacing: 0.2px;">आवारा बादल घूमते हैं यह

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19 दिसम्बर 2021
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23 दिसम्बर 2021
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एक अजीब सपना

26 दिसम्बर 2021
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26 दिसम्बर 2021
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28 दिसम्बर 2021
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स्वागत है नववर्ष

1 जनवरी 2022
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<div align="left"><p dir="ltr">नन्हे नन्हे मासूम कदमों की आहट आने लगी है <br> गमों की रात को चीर, खुशियां मुस्कुराने लगी हैं <br> नयी आशा, नया विश्वास, नये सपने, नई उम्मीदें <br> नई रोश

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एक नई शुरुआत

2 जनवरी 2022
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सूर्यास्त

3 जनवरी 2022
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इससे पहले कि इस जिंदगी का सूर्यास्त हो दिन के उजाले की तरह खुशियां समाप्त हो आओ मिलकर प्यार की स्वर लहरियां बिखेरें समय के कैनवास पर सत्कर्मों के चित्र उकेरेंगंगा की तरह मन को पावन और निर्मल कर लें राग द्वेष छोड़कर विश्व को अपनी बांहों में भर लें नफरत की कड़वी बोली छोड़ तराने प्रेम के गुनगुनायें मुफ्त की खैरात के बजाय परिश्रम पर भरोसा जतायें जब ज्ञात है कि जीवन में सूर्यास्त अवश्यंभावी है जिंदगी के चार दिनों पर मौत की कालजयी रातें हावी हैंइसलिए नेकी और सदाचार के पथ पर चलना होगा अपने कर्मों और व्यवहार से गुलाब सा महकना होगा जब सूर्यास्त का समय आये तब चेहरे पे मुस्कान हो इस तरह से इस जीवन रूपी दिवस का अवसान हो हरिशंकर गोयल "हरि"3.1.21

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घाटियों के बीच एक शहर

4 जनवरी 2022
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सुनो प्रिये , प्यार के पंख लगाकर दूर कहीं उड़ जायें सुनहरी घाटियों के बीच "प्रेमनगर" बसायें जहां प्रेम रूपी उपवन सबको महकाता हो किस्मत का सूरज सबका मुकद्दर चमकाता हो नदिया

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6 जनवरी 2022
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विरह की व्यथा क्या होती है ? वनों की लताओं, वृक्षों से पूछो वे साक्षी हैं श्री राम की विरह वेदना के उस अनंत अथाह सागर से पूछो जो खारा हो गया है विरह के आंसुओं से उन जंगली जानवरों से

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स्वामी विवेकानंद

12 जनवरी 2022
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स्वामी विवेकानंदहिंदू धर्म और दर्शन से विश्व लगभग अनजान था हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति का ना कोई मान था सांप संपेरो का देश मानते थेहमें जाहिल अनपढ़ जानते थे विश्व पटल पर

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बंद दरवाजा

19 जनवरी 2022
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आंखों की खिड़की से दिल के बंद दरवाजे तक मुहब्बत का यह सफर कुछ ऐसा सुहाना हुआ इश्क की मधुर गूंज नस नस में सुनाई देने लगी प्यार में ये मन दीवाना, परवाना, मस्ताना हुआ आंखों में सजी

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फसल

27 मई 2022
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बड़ी मेहनतों के बाद प्रकृति के कोप से बचाकर पशु पक्षियों से संरक्षित करते हुए किसान जब फसल घर लाता है तो उसे स्वर्ग जीत लेने का आनंद सा आ जाता है । झुर्रियों से छुप

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सवाल और बवाल

7 सितम्बर 2022
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उसकी नशीली आंखें इस कदर जादू कर गईं प्यार का बुखार चढा कर दिल बेकाबू कर गई रात दिन बस उसी के ख्याल आने लगे उनकी गलियों के चक्कर बेवजह लगाने लगे नजदीक आने का कोई बहाना बनाने लगे

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आज की सच्चाई

11 सितम्बर 2022
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बंगाल में अर्थव्यवस्था तेजी से बदल रही है खाट भी अब करोड़ों के बंडल उगल रही है यहां वहां नोटों के पहाड़ सीना ताने खड़े हैं सादगी की प्रतिमा अब विखंडित हो रही है पलटूराम एक बार

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