बंगाल में अर्थव्यवस्था तेजी से बदल रही है
खाट भी अब करोड़ों के बंडल उगल रही है
यहां वहां नोटों के पहाड़ सीना ताने खड़े हैं
सादगी की प्रतिमा अब विखंडित हो रही है
पलटूराम एक बार फिर से पलटी मार गये
गाली देने वालों के वे गले में डाल हार गये
सुशासन की पैकिंग में जंगल राज बिक रहा
पलक झपकते ही पूरा जनादेश डकार गए
दिल्ली की गलियों में शराब की गंगा बह रही है
कट्टर ईमानदारी औंधे मुंह पड़ी सिसक रही है
झूठ बोलने का बन रहा है विश्व रिकॉर्ड यहां पर
एक नई तरह की राजनीति देखने को मिल रही है
तेलंगाना संभल नहीं रहा, देश संभालने निकले हैं
राजनीति के दलदल में जाने कहां कहां फिसले हैं
कभी पंजाब कभी बिहार जाकर रेवड़ियां बांट रहे
पी एम की कुर्सी की खातिर बच्चों के जैसे मचले हैं
श्री हरि
11.9.22