पुष्प की अभिलाषा है कि
उसे अपराधी, हिंसक, अन्यायी, भ्रष्ट
पक्षपाती, स्वार्थी, बेईमान नेता
अधिकारी और अन्य इंसानों
के गले का हार बनाकर मत डालो
इससे मेरी आत्मा खून के आंसू रोती है
क्योंकि मैं स्वभाव से ही कोमल,
निर्मल, संवेदनशील व भावुक हूँ
जबकि ये सब लोग संवेदनहीन हैं
इनके कर्म , नीयत सब कुछ खोटे हैं
इस गंदगी में मेरा दम घुटने लगा है ।
किसी लावण्या, सुंदरी, हुस्न की मलिका
की वेणी में मत गूंथो, जूड़े में मत सजाओ
उसके बाजूबंद बनाकर मत बांधो
उसके गले का हार भी मत बनाओ
क्योंकि वह तो पहले से ही सौंदर्यवती है
उसकी सुंदरता में मैं क्या इजाफा करूंगा
वह तो अपनी सुगंध से ही महकती है
उसे महकाने की धृष्टता मैं कैसे कर सकता हूँ
मुझे बूके के रूप में अपनी प्रेमिका को
देते हो ना , प्रपोज करने के लिए मुझे
इस्तेमाल करते हो ना, यह बिल्कुल गलत है।
अगर देना ही है तो अपनी भावनाओं का
एक गुलदस्ता बनाकर प्रेमिका / पत्नी को दे दो
अपने प्यार के फूल से उसे महकाओ, सजाओ ।
तुम दोनों के बीच में मुझे क्यों लेकर आते हो ।
मुझे भगवान , देवी देवताओं पर भी मत चढ़ाओ
क्योंकि मुझे भी तो प्रकृति मां ने ही पैदा किया है
प्रकृति और शिव के वरदान से मेरा अस्तित्व है
जब मेरी उत्पत्ति ही भगवान और देवी ने की है
तो फिर मैं उनके शीश पर कैसे विराजमान होऊँ
हां, उनके चरण कमलों में मेरा स्थान हो सकता है
एक पुत्र का स्थान हमेशा चरणों में होता है, शीश पर नहीं
इसलिए , मुझ पर मेहरबानी करके मुझे
भगवान के केवल चरणों में ही बने रहने दो ।
विवाह, सगाई, उद्घाटन, शिलान्यास और
दूसरे समारोहों में साज सज्जा के लिए
तुम जो मेरा इस्तेमाल कर रहे हो इन दिनों
अपनी भव्यता, विलासिता, संपदा के प्रदर्शन
के लिये मुझे बरबाद कर रहे हो, कुछ पलों के
आनंद के लिए मेरे जीवन से खेल रहे हो
यह बिल्कुल गलत है, अनावश्यक है , फिजूल है।
यह राष्ट्रीय संपदा का नुकसान है, रोको इसे ।
मेरी तो बस यही अभिलाषा है कि
देश सेवा के लिये जो कोई भी किसान
मजदूर, जवान, नेता, अधिकारी, कर्मचारी
शिक्षक, चिकित्सक, व्यवसायी, छात्र , इंजीनियर
लेखक, और कोई भी व्यक्ति हो , किसी भी पेशे का हो
उसके रास्ते में बिछा दो । उसकी राह सुगम बना दो ।
उनके कदम चूम कर मुझे जो खुशी मिलेगी
वह अद्भुत , अद्वितीय, अवर्णनीय, अकल्पनीय होगी ।
अगर हो सके , तो मेरी यह अभिलाषा पूरी कर दो ।
हरिशंकर गोयल "हरि"
26.10.21