ऋषभ और रितिका बगीचे में खेल रहे थे। शाम के समय अन्य बच्चे भी ,उस बगीचे में आ जाते हैं और सब मिलकर ,साथ में खेलते हैं किंतु आज कुछ बच्चे अपने घर से बाहर नहीं आए , न जाने क्यों ?उन्हें आने समय लग गया ?
तब एक बड़ी प्यारी सी बच्ची ! उनके पास आई और बोली -क्या मैं भी तुम्हारे साथ खेल सकती हूं ? उसके बाल लंबे और घने थे।
हां हां क्यों नहीं ?आज हमारे दोस्त भी नहीं आये हैं ,तुम हमारे साथ खेल सकती हो। तुम्हारा क्या नाम है ?ऋषभ ने पूछा।
मेरा नाम' निशि 'है।
आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा ,तुम कहाँ रहती हो ?रितिका ने पूछा।
मैं बहुत दिनों से ,तुम लोगों के साथ खेलना चाहती थी ,किन्तु मेरी माँ मुझे बाहर जाने नहीं देती थी किन्तु आज मेरी माँ ने मुझे खेलने के लिए बाहर भेजा है ,क्योंकि आज अमावस्या की रात्रि है। मैं गली के नुक्क्ड़ वाले घर में रहती हूँ।
अमावस्या की रात्रि क्या होती है ?
मुझे भी नहीं मालूम !निशि बोली।
अच्छा बताओ !कौन सा खेल खेलना है ?ऋषभ ने पूछा।
रितिका बोली -चलो !छुपी -छुपाई का खेल खेलते हैं। तभी एक बच्चा और आ गया और बोला -मैं भी खेलूंगा ?ऋषभ उसे अच्छे से जानता था ,बोला -रोहित !आज तुमने आने में इतनी देर क्यों कर दी ?
मम्मी ने नहीं आने दिया,मैं छुपकर खेलने आया हूँ। कहती हैं -आज खेलने बाहर नहीं जाना है।
क्यों ?आज ,ऐसी क्या बात है ,रितिका ने पूछा।
मुझे नहीं मालूम, आओ !चलो खेलते हैं , तुम नई लड़की हो, इसलिए तुम चोर बनोगी और हमें ढूंढना ! रोहित बोला।
तीनों बच्चे, अपने -अपने अनुसार, ऐसी जगह पर छुपे ताकि कोई उसे उन्हें ढूंढ ना सके। अभी वह ठीक से छुप भी नहीं पाए थे। निशि ने उन्हें ढूंढ लिया।
तीनों बच्चों को बहुत ही आश्चर्य हुआ, आज तक इतनी जल्दी कोई नहीं ढूंढ पाया। सबसे पहले उसने रोहित को ही ढूंढा था इसीलिए रोहित चोर बन गया। अब की बार तीनों बच्चे फिर से, अपनी तय की हुई जगह पर छुप गए। रोहित उन्हें बहुत देर तक ढूंढता रहा और उसने ऋषभ और रितिका को ढूंढ लिया किंतु अभी तक उन्हें निशि नहीं मिली थी। जब वे लोग उसे ढूंढ -ढूंढकर थक गए, तब वह एक पेड़ के पीछे से निकली। उन्हें बहुत ही आश्चर्य हुआ, ऐसा कैसे हो सकता है? इस पेड़ के पास से तो हम कई बार निकलकर गए हैं किंतु तुम कहीं भी दिखलाई नहीं दी।
निशि हंसते हुए बोली-मैं पेड़ के बाहर नहीं, पेड़ के अंदर छुपी हुई थी , तीनों आश्चर्य से उसका चेहरा देखने लगे , और देख रहे थे ,इस पेड़ के अंदर रास्ता कहां से जाता है? कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा फिर यह पेड़ के अंदर कैसे गई ? उसके साथ खेलने में मजा आ रहा था। हालांकि अंधेरा बढ़ता जा रहा था किंतु उन्होंने कहा -एक चाल और खेल लेते हैं। एक दूसरे को दौड़कर पकड़ना था। उन्होंने देखा, निशि कितना तेज दौड़ती है ? वह एक बार भी उसे नहीं पकड़ पाए। जब तीनों थक गए तो बोले - अब हम चलते हैं। अब तो हम दोस्त हो गए हैं और कल भी इसी समय खेलने के लिए आना निशि ने उनसे अगले दिन आने का वायदा किया, कि वह कल भी उनके साथ खेलने के लिए आएगी।
बच्चों को आश्चर्य हो रहा था, कि निशि कितनी तेज दौड़ती है ?और पेड़ के अंदर कैसे छुप गई ? आपस में चर्चा कर रहे थे। रितिका बोली -भाई !अगर यह ओलंपिक में जाए तो 'नंबर वन 'पर आएगी। उनकी बातें उनकी मम्मी बहुत देर से सुन रही थी, वह बोली -तुम लोग किसकी बात कर रहे हो ?
निशि की, हमारी एक नई दोस्त बनी है, वह बहुत तेज दौड़ती है, और छुपती है तो कोई उसे ढूंढ नहीं पाता। अग्रवाल साहब का परिवार अभी कुछ महीना पहले ही इस मोहल्ले में आया है। यहां के विषय में उन्हें कोई विशेष जानकारी नहीं है इसीलिए उन्हें नहीं मालूम था ,कि उनके बच्चे जिसकी बात कर रहे हैं ,वह लड़की नहीं एक चुड़ैल की बेटी है।
निशि अगले दिन भी ,खेलने के लिए घर से बाहर निकलती है, उसकी मां उसे रोक लेती है। तुम आज कहीं नहीं जाओगी।
क्यों माँ ! वह लोग मेरे दोस्त बन चुके हैं, मेरी प्रतीक्षा करेंगे। मुझे खेलने जाने दो ! तुम नहीं जानती हो, यह लोग जितने अच्छे दिखते हैं ,उतने ही हमारे दुश्मन होते हैं। एक बार भी उन्हें तुम्हारी सच्चाई के विषय में पता चल गया तो तुम्हें मार देंगे।
नहीं ,मां मुझे जाने दो !कहते हुए वह रोने लगी। मां को उस पर तरस आ गया और उसने उसे, बच्चों के साथ खेलने जाने दिया आज बगीचे में बच्चों की भीड़ थी। नई लड़की को देखकर सभी सोच रहे थे कि यह ऋषभ और रितिका की दोस्त है। आज भी दौड़ते समय, निशि या तो ऊपर उड़ जाती, या फिर इतना तेज दौड़ती की बच्चे उसकी बराबरी कर ही नहीं पाते। वह सभी बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई थी, उसकी शक्तियां, बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर रही थीं। जब वह उसे कुछ अजीब करता देखते तो उन्हें, खुशी होती और उसकी कलाकारी पर, ताली बजाकर हंसते। वे नहीं जानते थे, कि यह निशि की कलाकारी नहीं, बल्कि उसके चुड़ैल होने का सबूत है। चुड़ैल की बेटी, चुड़ैल ही बनती है। चुड़ैल में अनजाने ही बहुत शक्तियां आ जाती हैं।
अब तो घर-घर निशि की चर्चा हो रही थी, बच्चे उसके विषय में ही ,बातें करते थे उसका छुपना ,उसका उड़ना , पेड़ पर चढ़ जाना ,ऐसी अनेक बातें थीं , जो बच्चों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई थी। अब तो माता-पिता तक भी है ,बात पहुंच गई और उन्हें जिज्ञासा हुई कि वह लड़की कहां से आती है और कौन है ? ऋषभ और रितिका ने उन्हें बता दिया कि वह इसी गली के कोने वाले घर में रहती है और उसका नाम निशि है। बच्चों को भी इसके विषय में कोई विशेष जानकारी नहीं थी ,किंतु जब उन्होंने अपने घरवालों को यह बात बताई तो उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही और सभी घबरा भी गए. क्योंकि बहुत वर्षों से जो लोग वहां पहले से ही रह रहे थे,उन्हें उसे घर की कहानी का मालूम था। उस घर में एक महिला अपनी बेटी के साथ जलकर मर गई थी। तब से वह घर ऐसा ही पड़ा है ,कोई इसमें रहता भी नहीं है। तब ऐसे में निशि नाम की लड़की, बच्चों के सामने कहां से आई ?
कुछ लोगों ने इस बात का पता लगाने का प्रयास किया, और सब लोग इकट्ठा होकर ,उस घर के सामने गए। दरवाजा खटखटाया ,किंतु वहां कोई नहीं था। अब तो माता-पिता को अपने बच्चों पर खतरा मंडराता नजर आ रहा था। उन्होंने अपने बच्चों से, उस लड़की के साथ खेलने से मना कर दिया बल्कि बच्चों को बगीचे में अब खेलने के लिए भेजा ही नहीं , एक दिन उन्होंने यह देखने के लिए कि वह लड़की कौन है? बगीचे में माता-पिता भी आए। किंतु उन्हें कुछ दिखलाई नहीं दिया , न जाने बच्चे, किससे बातें कर रहे हैं?
तब सभी माता-पिता ने एक पंडित जी को बुलाकर उनसे, इसके विषय में जानना चाहा। पंडित जी ने पूजा पाठ किया और बताया, उस घर में मां -बेटी की आत्मा रहती है, जो चुड़ैल बन गई है , वही बच्चों के साथ खेलने आती है ,बच्चे उसकी शक्तियों को, कोई चमत्कार या उसकी कलाकारी समझ रहे हैं। किंतु बच्चों के लिए यह खतरे का अंदेशा है क्योंकि जिस दिन भी उसे, किसी भी बच्चे पर क्रोध आ गया ,तो उसका चुड़ैल स्वरूप बाहर आ जाएगा। हो सकता है, बच्चों के लिए, हानिकारक भी हो।
पंडित जी इसका कोई उपाय तो बताइए! मोेहल्ले वालों ने कहा -हमारे छोटे-छोटे बच्चे बगीचे में खेलते हैं घूमते हैं। उस चुड़ैल से कैसे बचा सकते हैं ?
इसका तो बस एक ही उपाय है, कि चुड़ैल को इसी घर में कैद कर दिया जाए ? यानी कि वह इस घर से बाहर न निकल सके। सबसे पहले पंडित जी ने, उस आत्मा से बात की और कहा -तुम्हें यहां नहीं रहना चाहिए। तुम किसी सुरक्षित स्थान पर चली जाओ ! जहां पर इंसान ना हो, तुम भी आराम से रह सकती हो। और इन लोगों को भी किसी बात का भय नहीं रहेगा वरना मुझे इस घर को मजबूरी में, बांधना पड़ेगा। शुद्ध करना पड़ेगा। जिससे तुम लोग बाहर नहीं निकल सकोगे।
पंडित जी की बात सुनकर उस चुड़ैल को रोना आ गया क्योंकि वह वर्षों से उस घर में रह रही थी। वह घर उसी का था एक हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी। तब उसने अपनी बेटी का हाथ पकड़ा और उस घर से बाहर जंगलों की तरफ चली गई।
उसकी बेटी ने कई बार अपनी मां से पूछा, हम अब इस घर में क्यों नहीं रहेंगे ?
तब उसकी मां रोते हुए बोली -उस घर पर अब इंसानों की नजर पड़ गई है। अब वे हमें वहां नहीं रहने देंगे , यदि हमें सुरक्षित रहना है तो हमें इस घर से बाहर जाना होगा।'' बंधन से तो आज़ादी भली ''
सबकी सहमति से, उस घर को अभिमंत्रित करके पवित्र कर दिया गया , ताकि वह चुड़ैल दोबारा ,उस घर में प्रवेश न कर सके। बच्चों ने कई दिन तक निशि की प्रतीक्षा की किंतु वह नहीं आ पाई , तब सभी बच्चों के माता-पिता ने उन्हें समझाया , कि वह कोई आम लड़की नहीं थी , वह एक चुड़ैल थी। किसी भी बच्चे को अपनी माता-पिता की बातों पर विश्वास नहीं हुआ किंतु जब भी उसे याद करते तो कहते -कितनी प्यारी चुड़ैल थी ?