🌹यादें हैं कुछ बचपन की पुरानी
अपनी गोदी में सर रखकर
सुनाती थी वह मुझको
यह कहानी.......!
🌹आ जारी निंदया तू
आ क्युं न जा मेरी छोटी सी
बिटिया की अंखियों मे
घुल मिल जा,आ जा री.....!
🌹फिर परियों के देश में ले जा के
मुझे वह,उड़न खटोले में बिठा के
कल्पनाओं के झूले में
झूला झुलातीं......।
🌹कभी गुड्डे गुड़िया की सुनाकर
कहानी रूबरू दुनिया की
हकीकत से वह मुझको
कराती....।
🌹मैं नटखट बड़ी
कहती नहीं सुनना है मुझे
मैं तो सुनना चाहती हूं आपसे
लोरी सुहानी.....!
🌹दादी की थपकी और वह
प्यार भरी लोरी सुन कर ही
आती थी मुझे
नींद सुहानी....।
स्वरचित रचना सय्यदा----✍️
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