बेदिली महफिले-जानां से रफ्ता-रफ्ता कीजिये,
इससे पहले सर चले, खुद को चलता कीजिये।
आये हैं तो रख लीजिये जामो-साकी की कदर,
पर होश तारी ही रहे, घर की हिफाजत कीजिये।
चार रोजा जिंदगी और सद हजारां इश्तियाक,
अब भी कुछ बिगड़ा नहीं होशे-तमन्ना कीजिये।
किसका जूता किसके सर क्या करेंगे जान कर,
घर में मुन्ना गाये है उसको निहारा कीजिये।
सिरफिरी दुनिया में घुसकर क्या करेंगे आप सब,
बैठ दरीचे चावल से कंकड़ निकाला कीजिये...।