सफलता पर इतराना
काबिलियत का अपने
बेसाख्ता जश्न मनाना...
जो कोई पूछ दे अगर
सूरमां हो बहुत तुम गर
बस ये करके दिखा दो
चक्रव्यूह में घुसे शान से
जरा निकल कर दिखा दो
ये जो शतक लगाया है
उसे फिर से शून्य बना दो...
इतना चले हैं हम सब
कि रास्ते चिढ़ गयें हैं
इतने हासिल किये मुकम्मल
मंजिलें बेनूर हो चली हैं
घर में सामान भरा इतना
फर्श कराहनें लगीं हैं...
बस करो, बस इतना करो
अंत को फिर शुरुआत कर दो
मंजिल को फिर सफर कर दो
जो भरा है, चलो खाली कर दो
उसमें फिर से चाहत भर दो
ये जो शतक लगाया है
उसे फिर से शून्य कर दो...
बूढ़ा हूं, मुझे अब बच्चा कर दो...