जो टूट गया मेरे अंदर ,
कागजों पर बिखर गया ,
जिसे लब्ज कह न सका ,
वो कलम कह गया ा
एहसास है ,जिसकी कोई आस नहीं ,
उलझा हुआ है दिल में ,
होठों पर उसका नाम नहीं ,
वो ज़िन्दगी के रंगों में नहीं ,
आंसुओं में घुल गया ,
जो दिल में न जुड़ सका ,
शब्दों में ढल गया ा
न तो जूनून है वो मेरा ,
न ही पाने का कोई इरादा ,
जिसे कभी पाया ही नहीं ,
फिर खोकर उसे क्यों ?
मेरा दिल रो रहा ा
क्या कातिलाना अंदाज था उसका ,
उफ़ !वो दिल का लगाना ,
और सबसे बेहतर ,
बिना कुछ कहे ,
मुझे छोड़कर चले जाना ा
क्या आँसू ,क्या ख़ुशी !
उसके साथ ही सबकुछ खो दिया ,
वो मेरा नहीं,
फिर भी मेरी दुआओं में शामिल हुआ ा
चला गया वो , कोई बात नहीं ,
पर लौटकर कभी न आना ,
सील रही हूँ जख्म दिल के ,
अब नहीं जज्बातों में बहना ,
प्रीत क्या लग गया उससे ,
मैंने तो जीना ही छोड़ दिया ा
जब सब बिखर गया तो ,
कविताओं में सिमट गया ा