दिल में उठते भावनाओं का एक बबंडर
न जाने क्या बयां कर जाती है?
तेरी यादों की गरमाहट से
एक प्यार की लौ जल जाती है ा
बरसों रही जिससे नफरत
आज वही है दिल की हसरत
तुम्हे याद करने से मिला न मुझको फुरकत
बन बैठा तुम मेरा मुकद्दर
दिल में उठते भावनाओं का एक बबंडर
न जाने क्या बयां कर जाती है?
तेरी आँखों की गुस्ताखियाँ
हरपल मुझे तडपाती है ा
साये की तरह साथ हो मेरे हरपल
मेरी खामोसिओं में भी तेरी है हलचल
तुम ही सागर तुम ही सावन
तुम बिन तो मैं हूँ पतझड़
मेरी आँखों के दीपक में,
तुम ही तुम हो रौशन
मेरी तन्हाई में भी तेरी ही है हरकत
आँखों में आंसुओं का एक समंदर
दिल में उठते भावनाओं का एक बबंडर
न जाने क्या बयां कर जाती है?