भूला के अपना वजूद ,
तेरे नाम को स्वीकारा ा
दुनिया को पीछे छोड़कर ,
तेरे हाथ को है थामा ा
जोड़ा जो तुझसे नाता ,
कर दिया सबने मुझे बेगाना ा
पाके तुझे तो मैंने ,
खोया है सबकुछ अपना ा
पर छोड़कर मुझे अकेला ,
कहाँ चला गया वो दिलरुबा ा
ये जिंदगी अब तू ही बता ,
कैसे जी पाऊँगी तेरे बिना ?
क्यों झूठी कसमें खाई तुमने
क्यों दिया झूठा दिलासा
क्यों कहा तुमने मुझसे ,
प्यार करता हूँ तुझसे बेपनाह ा
तुझसे बेइंताह प्यार करना ,
बन गया है मेरा गुनाह ा
कैसे भरूँ उस जखम को
जो इश्क में तुमने है दिया ा
पूर्णमासी की चाँद देकर ,
मेरे जीवन को रौशन किया ा
फिर देकर ग़मों का बादल ,
क्यों अमावश की रात लाया ा