घनघोर अँधेरा चारो तरफ ,
दुखों से लिपटी रात है ,
मालूम ऐसा हो रहा ,
अश्रु का दामन नहीं छूटेगा ,
ये काली स्याह नहीं हटेगा ,
पर भ्रम सारे तोड़ कर ,
क्षितिज पर देखो वहाँ ,
दीपक का थाल सजाकर ,
उम्मीद कोई मुस्कुरा रहा ा
जख्म है गहरा ,भर जायेगा ,
अश्रु से उसको हरा न कर ,
बेकाबू हो हालात जब ,
समय पर सबकुछ छोड़ कर ,
हौसलों का दीपक जला ,
वक़्त ही मूल्यवान यहाँ ा
है निराशा जहाँ ,आशा भी ,
सुख से दुःख अलग कब ,
एक ख्वाब आज टूट गया ,
एक ख्वाब कल बून जाएगा ,
कब तलक बादल यहाँ ,
सूरज को घेर कर रखा ा
देख हौसला पंछी का ,
तिनका -तिनका जोड़ कर,
घर बनाता अरमानों का ,
पर आके तूफान एक दिन ,
सबकुछ उड़ा ले जाता है ,
पर टूटता है , न रूठता है ,
स्वीकार कर प्रकृति को ,
आशियाना नया बुनता है ा