कितनी बाबली सी लड़की है वो ,
उसके दरवज्जे का चिराग हवा बुझा कर चली जाती है ,
और वह जुगनू को सीसे में कैद कर देती है ,
फूलों का रंग तितलियाँ चुरा ले जाती है ,
और वह भँवरे से लड़ बैठती है ,
आखिर कौन उसको समझाए
किसी और की उधारी किसी और पर चुकता करना
ऐसी कोई रिवाज बहीखाते में नहीं लिखी है ,
अगर कोई चुपचाप किसी के हिस्से का हर जुल्मों शितम सह ले
तो शायद वह अपना बदला पूरा समझकर ,
अपने हर गुनाहों का प्रायश्चित कर लेती
अतीत के पन्नो को बंद कर देती ,
लेकिन किसी के गुनाहों की सजा कोई और भुगतता नहीं है ,
ऐसा कोई सजा कानून के पन्नो में लिखा नहीं है ा