फूलों से कुछ रंग चुराकर ,
भरें थे इन तस्वीरों में ,
ढलते-निकलते शामों-सुबह में ,
कुछ रंग फिकें पर गए ,
पर इनकी खुशबू आज भी ,
उदास आँखों की चमक बन ,
यादों के बगीचे में ,महक रहे ा
22 जुलाई 2018
फूलों से कुछ रंग चुराकर ,
भरें थे इन तस्वीरों में ,
ढलते-निकलते शामों-सुबह में ,
कुछ रंग फिकें पर गए ,
पर इनकी खुशबू आज भी ,
उदास आँखों की चमक बन ,
यादों के बगीचे में ,महक रहे ा