स्याही में कोई बेजुवान साया घुला है जैसे ,
एक मासूम चेहरा अक्षरों से तक रहा है मुझको ,
मेरे बंद मुट्ठी में तस्वीर जिसका भी हो ,
अपने नाम में मेरा नाम ढूँढ रहा है वो ा
इश्क का हमसफ़र कभी बदलता नहीं ,
धडकनों पर लिखा चेहरा कभी मिटता नहीं ,
जानता है फिर भी मेरा दर्द माँग रहा है वो ा
इश्क में बदनाम करके भी मुझको,एक बूंद इश्क दिए नहीं वो ,
वर्षों से जो मोहब्बत उनसे माँगती रही मैं ,
वही चाहत मुझपे लुटाने को तरस रहा है वो ा
हर घड़ी हर एक चेहरा में उनका चेहरा मैं ढूँढती रही ,
उनको पाने की तमन्ना में खुद को ही खो गए हम कही,
मुझसे ही मुझको ढूँढ़कर मुझसे मिला रहे हैं वो ा