एक खालीपन जो मुझे सताए,
कभी भीड़ से मन घबराये,
तो कभी तन्हाई मुझे डराये ा
कोई जो मुझसे पूछे मेरे दिल का हाल,
उसे क्या बताऊँ जब मैं ही हूँ खुद से अनजान,
मेरी जिंदगी भी बनकर रह गयी है एक मजाक,
न ही कोई ख्वाहिश न ही कोई प्यास ा
मेरी धरकन में है इतनी हलचल,
जितनी सागर में हो लहर,
मेरी तमनाओं ने मुझ पर ही ढाया है कहर ा
सबकुछ चल रहा है रफ़्तार से,
हम रुके हैं एक ही जगह बेजान सा ा
कहीं न चैन मुझे आए,
एक खालीपन जो मुझे सताए ा
मेरी धडकनों में शायद कोई बात है,
मैं भी समझ न पाऊं वो राज़ है,
ख़ामोशी के सिवा, मेरे लब्जों पर, कुछ भी नहीं आज है
कभी रफ्ता तो कभी तेज चले मेरी साँसे,
संजो रखा है ये दिल कुछ यादें ा
सब झूठा लगे, कुछ न लगे सच्चा,
अब तो ये रंग -बिरंगी दुनिया भी न लगे अच्छा ा
ढूंढ़ता है ये मन सच का एक लम्हा,
काले बादल सा उड़ता है मन मेरा,
जो रात के अंधेरों में ज़मीन पर बरस जाये,
एक खालीपन जो मुझे सताए ा