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ऐ बादल इतना क्यों बरस रहे हो ?

31 जुलाई 2018

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ऐ बादल इतना क्यों बरस रहे हो ?

तुम्हारे बूँद की थपेड़ों से ,

मेरा उदास मन पिघल रहा है ,

कागज की कश्ती पर ,

सवार हो ये ख्याली मन ,

उसकी गली में निकल जाता है ा

ऐ बादल इतना क्यों गरज रहे हो ,

जो ख्वाब महीनों से ,

मेरे अंदर सो रहा था ,

हौले -हौले वो भी जग रहा है,

तेरे बूँद की ठंढक पा ,

कोई गरम ख्वाहिश सुलग रहा है ा

ऐ बिजली इतना क्यों करक रहे हो ?

क्या याद है तुम्हे ?

उस रात तुम्हारी करकराहट से डर,

उसके सीने से जा लगी थी ,

अफ़सोस की इस बार वो नहीं है ,

जैसे बारिश का क्षणिक बुलबुला ,

क्षण से टूट जाता है ,

कुछ इस तरह ही ,

मेरी ख्वाहिशें , मेरा ख्वाब

सबकुछ रूठ सा गया है ा

जो आग पिछली बारिश में लगी थी ,

अबकी बारिश में वो राख हो गया है ,

लेकिन जज्बात और एहसास से ,

आज भी गरम -गरम धुँआ निकल रहा है ा

ऐ बादल इतना क्यों बरस रहे हो ?



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ऐ बादल इतना क्यों बरस रहे हो ?

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ऐ बादल इतना क्यों बरस रहे हो ?तुम्हारे बूँद की थपेड़ों से ,मेरा उदास मन पिघल रहा है ,कागज की कश्ती पर ,सवार हो ये ख्याली मन ,उसकी गली में निकल जाता है ा ऐ बादल इतना क्यों गरज रहे हो ,जो ख्वाब महीनों से ,मेरे अंदर सो रहा था ,हौले -हौले वो भी जग रहा है,तेरे बूँ

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9 अगस्त 2018
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युग -युग से श्रापों से श्रापित, इज़्ज़त को सदा ललायित ,कृष्णा के पावन धरती पर ,होती रही हूँ घोर अपमानित ा खटक रहा है वजूद अपना ,खुद पर ही झललाई हूँ ,भागीदार मैं सृष्टि रचने में ,खुद ही सृष्टि से दुत्कारी गयी ा कहाँ सुरक्षित मैं रही ?कोई जरा मुझको बताना ,मुहल्ले

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11 सितम्बर 2018
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न कोई ख्याल था, न उम्मीद किसी के दीदार की,फिर जागते हुए रात क्यों कटी,क्यों मैं रात भर दर्द से लिपटी रही ?मैं जाग रही थी ,या मेरे अंदर कोई ?रोज हाले -ए -दिल चाँद को सुना ,थोड़े सुकून से सो जाया करती ,कल तो चाँद भी फुरकत में न था ा छत की मुंडेर पर कब से

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दीप जलाकर प्रजा ढूँढ रही है अपने राम को

7 नवम्बर 2018
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ये दीप नहीं , एक उम्मीद भेज रही हूँ मैं आपको , दीप जलाकर प्रजा ढूँढ रही है अपने राम को ,टूटे न उम्मीद किसी के भरोसे का ,अपनी रौशनी से रौशन कर दो पुरे आबाम को

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15 नवम्बर 2018
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इस दुनिया में हर इंसान किसी ना किसी वजह से परेशान रहता है लेकिन बहुत से लोग अपनी परेशानी किसी से शेयर नहीं कर सकते हैं। उन्हें अच्छा नहीं लगता तो कोई अपनी हर बात किसी एक खास को बताते हैं जिसपर उन्हें विश्वास होता है। लाइफ में हम जिसे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं वो हमसे दूर रहता है और उसे हम पा नहीं स

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31 दिसम्बर 2018
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जाग उठो ऐ बेटियों ,अब कोई तेरा रक्षक नहीं , खतरे में है वजूद तेरा,बैठा है घात लगाए तेरा भक्षक कहीं,बहुत बहा लिए आँसू तुम,अब आँखों से बहा अंगार सिर्फ,कि ये क्रूर दुनिया, सिवाय ज्वाला के आंसुओं से पिघलता नहीं ाभ्रम में तुमको रखा गया है

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13 जनवरी 2019
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उस दिन चूड़ियों से मैंअपने हाथ की नब्ज नहीं काटी , और न ही स्लीपिंग पिल्स का एक्स्ट्रा डोज लेकर , गहरी नींद में हमेशा के लिए सो गयी थी ,जैसा की फिल्मों में अक्सर नायिका करती है ा आसान नहीं था वो दिन मेरे लिए ,टूटे दिल के तमाम टुकड़े को समेटकर ,बनावटी मुस्कुराहट के पू

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हो वीरता का संचार तुम , इस मातृभूमि का लाल तुम ,तुम गूंजते हो खुले आसमान में ,तुम दहाड़ते हो युद्ध के मैदान में ,कभी रुकते नहीं कदम तुम्हारे ,थकते नहीं बदन तुम्हारे ,हो क्रांति का एक मिशाल तुम ,शेरनी माँ का शेर औलाद तुम ,जो सर कटाए दे

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17 फरवरी 2019
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2 मार्च 2019
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हाँ रचती है मेरे हाथों में मेहँदी तुम्हारे नाम की , ये चूड़ी , ये बिंदी , ये सिंदूर भी है तुम्हारे नाम की ,याद रखना ये समर्पण है मेरा,इसे तुम मेरी जंजीर मत समझना ,अगर तुम इसे जंजीर समझोगे तो आता है मुझे इस जंजीर को तोड़ फेंकना ा

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5 मार्च 2019
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आजकल वो लड़की बड़ी गुमसुम सी रहती है , हमेशा बेफिक्र रहने वाली ,आजकल कुछ तो फिक्र में रहती है ा अल्हड़ सी वो लड़की ,हर बात पर बेबाक हंसने वाली ,आजकल चुप-चुप सी रहती है ा आँखों में मस्ती , चेहरे पर नादानी ,खुद में ही अलमस्त रहने वाली ,हमेश

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जो बात छिपाये हो तुम होठों में कहीं ,आज नैनों को सब कहने दो न ा

10 मार्च 2019
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जो बात छिपाए हो तुम होठों में कहीं , आज नैनों को सब कहने दो न , कई जन्मों से प्यासी है ये निगाहें , आज मेरी जुल्फों में ही रह लो न ा एक लम्हा जो नहीं कटता तेरे बिन ,उम्र कैसा कटेगा तुम बिन वो साथिया ,छ

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शायरी

11 मार्च 2019
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मुझे देवी कहलाने का शौक नहीं , मुझे इंसान ही रहने दो ,मत जकड़ो मुझे बेड़ियों में , मुझे आज़ाद ही रहने दो , नहीं चाहिए मुझे पल दो पल का दिखावटी सम्मान ,कुछ देना ही है तो मुझे मेरा आसमान दे दो ा

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शायरी

11 मार्च 2019
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ऐ ज़िन्दगी मेरी तबाही पर इतना वक़्त न जाया कर , मैं तेरे हर वार को हँसते हुए सह लूँगी ,मुझे हारने की आदत नहीं ,और तू जीत जाए ये मैं होने नहीं दूँगी ा

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सच कहूँ तो आज बाबा की मजबूरी सी हूँ

16 मार्च 2019
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आज फिर मैं बोझ सी लगी हूँ , यूँ तो मैं बाबा की गुड़िया रानी हूँ ,पर सच कहाँ बदलता है झूठे दिल्लासों से ,सच कहूँ तो आज बाबा की मजबूरी सी हूँ ा उनके माथे की सिलवटें बता रही है ,कितने चिंतित है मगर जताते नहीं है वो ,अपनी गुड़िया को ए

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हर एक साँस मैं तुम्हे लौटा दूँगी

21 मार्च 2019
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26 मार्च 2019
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अगर चुभे तुझे कोई काँटा कभी , मैं फूल बन तेरी राहों में बिछ जाऊँ , है यही दिल की ख्वाहिश , तेरे हर जख्म का मैं ही मरहम बन जाऊँ ,बस धीरे से मेरा नाम पुकारना , अगर रह जाओ कभी तुम तनहा ,मैं सुन के तुम्हारी धड़कन बिहार से एम.पी. दौड़ी चली

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ये वही जगह है जहाँ पहली दफा मैं उससे मिली थी , हर शाम की तरह उस शाम भी मैं अपनी तन्हाई यहाँ काटने आई थी ,मुझे समंदर से बातें करने की आदत थी ,और मैं अपनी हर एक बात लहरों को बताया करती थी ,अचानक मुझे ऐसा लगा जैसे समंदर के उस पा

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बालिका यौन शोषण

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वो कौन है जो हम में इतनी आक्रोश भरता है ? हमारी मासूमियत को नोच कर खुद को मर्द कहता है ??? ये महज कुछ शब्दों की पंक्तियाँ नहीं है ा इन पंक्तिओं में हमारे देश की लाखों लड़किओं का दर्द छिपा हुआ है जो बचपन में कभी न

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28 अप्रैल 2019
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एक भीड़ चल रही थी पर्वत की ओर , अपना काफिला सजा मंजिल की ओर ,ये बदकिस्मती थी मेरी या खुशनसीबी ,उसी भीड़ में मेरी काया भी चल रही थी ,कितना ऊँचा ललाट था उस पर्वत का ,एक कम्पन सा उठा मेरे फूलते साँस में ,पाँव थककर वहीं ठिठक सा गया ,तभ

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सांसों का बोझ

30 अप्रैल 2019
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वक़्त जितना सीखा रही है ,उतनी तो मेरी साँसें भी नहीं है देह का अंग-अंग टुटा पड़ा है ,रूह फिर भी जिस्म में समाया हुआ है ,मेरे साँसों पर अगर मेरी मर्जी होती ,तो कबका मैं इसका गला घोंट देती ,मगर जीने की रस्म है जो मुझे निभाना पर रहा है ,मेरा मीत जो है गीत

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जन्मदिन शेर

2 मई 2019
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एक गुजीदा गुलाब भेजूँ आपको या पूरा गुलिस्ता ही भेंट कर दूँ आपको , शेर लिखूँ आपके लिए या ग़ज़ल में ही शामिल कर दूँ आपको ,रवि हैं आप , हमेशा आफ़ताब की तरह चमकते रहे जहान में ,अँधेरे वक्त में भी पूनम का साथ हो, मेरे खुदा से यही दुआ है आपको ा

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कितनी बाबरी सी लड़की है वो

3 मई 2019
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कितनी बाबली सी लड़की है वो , उसके दरवज्जे का चिराग हवा बुझा कर चली जाती है ,और वह जुगनू को सीसे में कैद कर देती है ,फूलों का रंग तितलियाँ चुरा ले जाती है ,और वह भँवरे से लड़ बैठती है ,आखिर कौन उसको समझाए

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रोज आते थे मेरे छत पर सैकड़ों कबूतर

6 मई 2019
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रोज आते थे मेरे छत पर सैकड़ों कबूतर , आस-पास के ही किसी छत से उड़कर ,आल्हा -ताला की कसम मेरे इरादे में कोई बेईमानी नहीं थी ,मैं कोई शिकारी नहीं एक जमीन्दार की लड़की थी ,एक काल से दूसरा काल बिता ,कई अनेक वर्षों तक सबको भरपेट दाना मिला ,ब

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ये आसमान मेरा गला सुख रहा है

20 जून 2019
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तप-तप कर यह जल रही है , देखो तेरी धरा मर रही है ,ऐ आसमा मेरा गला सुख रहा है ,तेरी बेरुखी से मेरा दिल दुःख रहा है ,मैं प्यासी हूँ , जग प्यासा है ,देखो इस धरा का कण कण प्यासा है ,विकल पंछी चोंच खोलकर तुम्हारी तरफ देख रहा है ,है तुम्

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तस्वीर

21 जून 2019
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एक तस्वीर है मेरी आँखों में , मैं नहीं जानती यह तस्वीर किसका है ,शायद ये किसी जनम का एक ख्याली सच है ,जो हमेशा मेरी तस्वुर में बहता है ,मैं खुद में रहूँ या न रहूँ ,मगर यह तस्वीर मुझमें हमेशा रहता है ,यह तस्वीर भी बेरंग है ,बिलकुल म

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मेरी डायरी

25 जून 2019
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क्या लिखा होता है मेरी डायरी में यही कुछ नज्में कुछ शायरी कुछ गजलें और कुछ आधी अधूरी सी कविताएँ और इन्ही कविताओं में कुछ रोता बिलखता ,कुछ टुटा फूटा कुछ ख्यालों में खोया ,और कुछ खुद में ही बातें करता हुआ शब्द कुछ पन्नों पर स्याही पि

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