अगर चुभे तुझे कोई काँटा कभी , मैं फूल बन तेरी राहों में बिछ जाऊँ ,
है यही दिल की ख्वाहिश , तेरे हर जख्म का मैं ही मरहम बन जाऊँ ,
बस धीरे से मेरा नाम पुकारना , अगर रह जाओ कभी तुम तनहा ,
मैं सुन के तुम्हारी धड़कन बिहार से एम.पी. दौड़ी चली आऊँ ा