जाग उठो ऐ बेटियों ,अब कोई तेरा रक्षक नहीं ,
खतरे में है वजूद तेरा,बैठा है घात लगाए तेरा भक्षक कहीं,
बहुत बहा लिए आँसू तुम,अब आँखों से बहा अंगार सिर्फ,
कि ये क्रूर दुनिया, सिवाय ज्वाला के आंसुओं से पिघलता नहीं ा
भ्रम में तुमको रखा गया है , हमेशा तुम ही छली गयी है ,
जाति ,धर्म और राजनीति के आड़े ,तेरी ही बलि दी गयी है ,
और कब तक जलेगी तुम और कितना लूटी जाएगी तुम ,
आवाज़ को अपनी बुलंद कर,खुद की रक्षा खुद ही कर तुम ,
निर्बल नहीं शेरनी है तुम ,मातृभूमि की कोख से जन्मी है तुम ,
संस्कारों की बेड़ियों में ,तेरे हौसलों को जकड़ा जाएगा ,
मर्यादा की दुहाई देकर तुझे पिंजरे में कैद किया जाएगा ,
सुनो देश की बेटियों,तुझे रोकने का ये साजिश पुराना है ,
आज जो तू रुक गयी ,खुद से ही यदि लड़ न सकी ,
कल फिर मानवता को दरकिनार कर,तुझे जिन्दा जला दिया जायेगा ा
आज़ाद है मातृभूमि पर ,शर्म से नज़रे उनकी झुकी हुई है,
अपनी बेटियों के हालत देख कर, वो खून के आँसू रो रही है ,
चीख-चीख कर माँ कह रही है ,निर्बल नहीं तुम सबल बनो ,
मेरी बहादुर बेटियों ,अपने माँ का सर गर्व से ऊँचा करो ा