सबकी नज़रों में सबकुछ था मेरे पास ,
लेकिन सच कहूँ तो खोने को कुछ भी नहीं था मेरे पास ,
एक रेगिस्तान सी जमीन थी ,
जिसपर पौधा तो था लेकिन सब काँटेदार ,
धूप की गर्दिश में मुझे मेरी ही जमीन तपती थी ,
कुछ छाले थे ह्रदय पर ,
जो रेत की छुअन से असहनीय जलती थी ,
ये सच है कि तुम मेरी तलाश नहीं थे ,
गला तो सुख रहा था लेकिन तुम मेरी प्यास नहीं थे ,
" जाना " झुठ कहने की मेरी आदत नहीं ,
सच कहती हूँ आज से पहले तुम मेरे कुछ नहीं थे ा
जब लहरें निगलने ही वाली थी मुझको ,
तब मेरा हाथ पकड़ तुमने मुझे अपनी तरफ खींचा ,
जब धड़कन मेरे जिस्म का साथ छोड़ रही थी ,
उस वक्त मेरे थमते साँस को तुमने अपना साँस दिया ,
मेरे रेत सी जमीन पर तुम्हारा आना खुदा की नेमत है ,
मिट ही तो गयी थी मैं , आज मेरा वजूद सिर्फ तुमसे है ा
मेरा बीता हुआ कल जो भी हो ,
लेकिन आज मैं तुमसे बेपनाह मोहब्बत करती हूँ ,
तुम खो न जाओ कहीं इस ख्यालात से भी डरती हूँ ा
लेकिन " जाना " मैं इतनी खुदगर्ज भी नहीं ,
की कैदकर तुझे जुल्फों में रख लूँ ,
अगर कभी मेरे आँचल में तुम्हारा दम घूँटें तो ,
फिक्र न करना , बेफिक्र हो अपनी जान से कह देना ,
मैं धीरे से तुम्हारा हाथ आगे करके ,
तुम्हारी अमानत तुम्हे लौटा दूँगी ,
तुम्हारी साँस जो अबतक मेरे ह्रदय में धड़क रही थी ,
हँसते हुए तुम्हारी दी हुई हर एक साँस मैं तुम्हें लौटा दूँगी ा