एक तस्वीर है मेरी आँखों में ,
मैं नहीं जानती यह तस्वीर किसका है ,
शायद ये किसी जनम का एक ख्याली सच है ,
जो हमेशा मेरी तस्वुर में बहता है ,
मैं खुद में रहूँ या न रहूँ ,
मगर यह तस्वीर मुझमें हमेशा रहता है ,
यह तस्वीर भी बेरंग है ,
बिलकुल मेरी ज़िन्दगी की तरह ,
मगर यह चुप नहीं है ,
मेरी ख़ामोशी की तरह
एक रोज ख्याल आया ,
मन के इस तस्वीर को कैनवास पर उतार दूँ
इसका एक स्कैच तैयार कर,
अपने स्टडीरूम के दीवार पर टाँग दूँ
मगर यह क्या !
जिस तस्वीर का जिक्र मेरे अंदर है ,
वह बस एक भ्रम है ,
मेरी ज़िन्दगी की तरह झूठ का एक बबंडर है ❤