हर तरफ सन्नाटा है ,
कहीं दूर,शायद जंगलो में ,
एक चुप्पी चीख रही है ,
रात अमावश की है ,
हर तरफ अँधेरा कायम है ा
बादल की आगोश में सितारे भी ,
गहरी निद्रा में सो गया है ा
पेड़ के नीचे सूखे पत्तों में ,
एक अजीब सी सरसराहट है,
उसे कोई जगाने की कोशिश कर रहा है ,
सीढ़ीओं से घुंघरू की आवाज़ आ रही है ,
लेकिन वहां कोई है नहीं ,
सिर्फ आहट है,किसी के चुप्पी की ा
मैं भागना चाहती थी ,
उस चुप्पी से ,सन्नाटों से दूर ,
लेकिन कोई अदृश्य शक्ति ,
मेरे पैरों को जकड़ रखा था ा
मैं चिल्लाना चाहती थी ,
लेकिन किसी ने मेरी आवाज़ को पकड़ रखा था ा
मैं गस्त खाके ,
बेतहाशा आँगन में गिर गयी ,
मेरी आँखे बंद थी ,
पर रूह सबकुछ महसूस कर रहा था ा
अचानक से बादल गरजने लगा ,
बिजली भी चमकने लगी ,
फिर बूंद बन किसी की उदासी ,
मुझपर बरसने लगा ,
पाके बुंदरस ,प्रेमरस को रूह तड़पने लगा ा
जिसे मैं डर समझ रही थी ,
वो डर था ही नहीं ,
वो तो सिर्फ एकांक मन था ,
जो रात भर मुझे नोच खाते रहा ा