जल रहा है दीप अबतक,
जिसको जलाया था कभी तुम ,
कपकपाते हाथ तेरे ,
जब मुझको छुआ पहली दफा ,
बिजली सी मन में कौंध गयी ,
जो दर्द छिपा था ह्रदय में ,
आँसू बनके वो बह गया ा
धुआँ-धुआँ मेरा मन था ,
एक चिंगारी तेरे अंदर ,
इस कदर तुम देखा मुझको ,
हाय !क्या बतलाऊँ मैं तुझको ,
पाके तेरा प्रेमरस ,
एक लौ जला मेरे अंदर,
जल रहा है दीप अबतक ,
जिसको जलाया था कभी तुम ा
चांदनी रात थी ,हर तरफ खामोशियाँ ,
बैठ समंदर के किनारे ,
रेत पर हमने लिखा था ,
एक दास्तान प्यार की ा
फिर वक्त ने करवट लिया ,
उठा समुन्दर में एक लहर ,
सबकुछ बहा के ले गया ,
हाय !विरह वेदना दे गया ,
कल तक जो हमारा था ,
वो आज किसी का हो गया ा
तुम कहीं खो गए ,
हो गयी मैं भी कहीं गुम ,
मेरे ह्रदय के कोने में ,
जल रहा है दीप अबतक ,
जिसको जलाया था कभी तुम ा