तिनका -2 ढेर से चुन ,
झोली में वह डाल रहा ा
उस तिनके में है स्वपन स्वर्णिम ,
जो धूल धूसरित बालक देख रहा ा
हाथ उसके कलम नहीं है
लौह -चुम्बक लिए वह घूम रहा ा
तिनका -2 ढेर से चुन ,
झोली में वह डाल रहा ा
भूख से विकल आत्मा ,
नयन बसे करुण अभिलाषा ,
क्या दुर्दिन उसकी आई है ,
सड़क किनारे ,कचरे में ,
उसका बचपन लोट रहा ा
तिनका -2 ढेर से चुन ,
झोली में वह डाल रहा ा
सूरज की तपिश में ,
घनीभूत पीड़ा लिए ,
वह नंगे पांव भटक रहा ,
छील रहे हैं छाले उसके ,
अधनंगा बदन झुलस रहा ा
तिनका -2 ढेर से चुन ,
झोली में वह डाल रहा ा
कितनी करुण व्यथा है उसकी ,
ह्रदय उसका रो रहा ा
चंचल सा मन उसका
जाने क्या सोच रहा ,
कचरे के ढेर में ,
अपना भविष्य लिख रहा ा
तिनका-2 ढेर से चुन ,
झोली में वह डाल रहा ा