रास्ते अलग होने से पहले ,
चलो अपने बुझे रिस्ते को दफनाते हैं ा
तन-मन का क्या ?
उससे तो अलग हो ही जायेंगे ,
एक-दूसरे के आत्माओं से जो उलझे हैं ,
चलो,पहले उनको सुलझाते हैं ा
जरा रात की ख़ामोशी में ,
बीतें पन्नों को पलटना ,
मेरे साथ बिताये पल से ,
खूबसूरत लम्हों को चुन लेना ,
दिल तुम्हारा फिर से बैठ जाएगा,
बेबजह मेरी यादों से उलझ जाओगे ,
पर इस बार तुम टूटना नहीं ,
उन यादों की पोटली बना ,
अग्नि को समर्पित कर देना ा
मैं भी उसी दहकते आग में ,
सभी नज्मों को तोड़कर फेंक दूंगी ,
जो तुम्हारी याद में लिखी थी ,
और वे सभी जख्म भी उड़ेल दूंगी ,
जिसे देकर मुझे ,तुम खुद भी तो रोये थे ा
हमारे ही आँखों के सामने ,
हमारी आत्माएँ धू-धू कर जलेगी ,
आग की लपेटों से ,
पूरा कायनात पिघल जाएगा ,
और हमारा मोम-सा देह ,
प्राण-विहीन हो ,बेसुध पत्थर का हो जाएगा