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आज़ादी का मैं आज
अमृत महोत्सव मना रही हूं
स्वतन्त्रता के क़िस्से मैं
सुन सुन कर ही बड़ी हुई हूं।
सुखदेव भगत सिंह और
अशफ़ाक उल्ला खां को
हृदय से नमन कर रही हूं
वो देश के परवाने,
वो आज़ादी के दीवाने
बे ख़ौफ लड़े जो
आज़ाद ,हिन्द को कराने
याद उन सभी को
मैं आज कर रही हूं
आज़ादी का मैं आज
अमृत महोत्सव मना रही हूं
स्वतन्त्रता के क़िस्से
पढ़ पढ़ कर बड़ी हुई हूं।
सत्य अहिंसा की गांधी ने
तलवार जब उठाई
ब्रिटिश गार्मिंट ने नींद
अपनी थी गंवाई,
अभिमान उस महात्मा पर
मैं दिल से कर रही हूं।
आज़ादी का मैं आज
अमृत महोत्सव मना रही हूं
स्वतन्त्रता के क़िस्से मैं
सुन सुन कर बड़ी हुई हूं
कोई एक-दो नहीं था
आज़ादी की इस जंग में
हज़ारों की कुर्बानियों का
योगदान है इस मुहीम में
नमन मैं आज उनको
भीगी आंखों से कर रही हूं
आज़ादी का मैं आज
अमृत महोत्सव मना रही हूं
आज़ादी के क़िस्से मैं
सुन सुन कर ही बड़ी हुई हूं,,।
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
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