🙈🙈😂😂
🌹कल अपनी खिड़की से,
मैंने देखा उनके रसोई की
खिड़की में झांक कर.......!
🌹दुबे जी खाना बना रहे थे
सब्जी रोटी चावल दाल अरे वह
तो सभी कुछ पका रहे थे...!
🌹 यहां तक के दाल में
तड़का भी वही लगा रहे थे,
फिर सजा के थाली वही ले जा रहे थे
🌹हद हो गई थी उस वक़्त
जब वह खाना भी अपने हाथों से
बेगम को खिला रहे थे.......!
🌹झल्ला के मैंने खिड़की
उसी व़क्त बंद कर दी
आकर बोली इनसे.......!
🌹सामने वाले घर में मेलजोल
बढ़ाइए.... ट्रेनिंग लेकर उनसे
फिर वापस आइए........!
🌹किस तरह उठाए जाते हैं नखरें
बेगम के सीखिए , ज़ुल्म हम पर आप
इस तरह ना ढ़ाइए........!
🌹 जी हज़ूरी करके आपकी
तंग आ गए हैं हम..... ख़ां साहब ने
मुस्कुरा कर हमसे यह कहा.......।
🌹तो शौहर के रूप में आपको को भी
ग़ुलाम चाहिए जवाब में हमने भी
उनसे हंसकर कह दिया........!
🌹ज़िन्दगी में थोड़ा तो हमें भी
आराम चाहिए आप ही बनें चाहें
पर हमें ग़ुलाम चाहिए............!
🌹हमें गुलाम चाहिए,
गुलाम चाहिए, हां जल्दी ही बस एक
अदद जोरु का ग़ुलाम चाहिए🙈🙈........।
स्वरचित रचना सय्यदा----✍️
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