क़दम क़दम पर जाल बिछाए बैठे हैं शिकारी
क़ुवते परवाज़ को उसकी कुचलने के लिए
और वो है के उड़े जा रहा है बेख़ैफ
किसी नादान परिंदे की तरहां
स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
-------------🌹🌹------------
2 नवम्बर 2021
क़दम क़दम पर जाल बिछाए बैठे हैं शिकारी
क़ुवते परवाज़ को उसकी कुचलने के लिए
और वो है के उड़े जा रहा है बेख़ैफ
किसी नादान परिंदे की तरहां
स्वरचित रचना सय्यदा----✒️
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हृदय अंकुरित भावों का शब्द रूप है काव्य, लेखक होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य.........जी हां मुझे गर्व का अनुभव होता है जब मैं कोशिश करती हूं एक लेखक और कवि बनने की.... मेरे प्रयास की झलक आपको मेरे धारावाहिक लेख और कविताओं में देखने को मिलेगी,,,, मेरे द्वारा लिखी रेसिपी में एक गृहिणी और मेरे आर्टिकल में आप एक अध्यापिका के रूप में मुझे समझ पाएंगे। आप लोगों का प्रोत्साहन मेरे लेखन को निखारने में मदद करेगा और निरंतर प्रयास करते रहने के लिए आपकी समीक्षाएं मुझे प्रोत्साहित करती रहेंगी । 🌹🌹🌹 D
😊 😊 😊
1 जनवरी 2022
सुन्दर शायरी
9 दिसम्बर 2021
9 दिसम्बर 2021
बहुत धन्यवाद वणिका जी 😊🌹🌹
2 नवम्बर 2021
बहुत-बहुत धन्यवाद विमला मैम व काव्या जी 😊🌹🌷
2 नवम्बर 2021
Awesome di lajwab 👌👏🌸❤️❤️💕💐
2 नवम्बर 2021
Nice
2 नवम्बर 2021
बहुत ही सुंदर लेख बहन
2 नवम्बर 2021
आज के परिवेश को ध्यान में रखते हुए लिखी गई बेहतरीन कविता है👌👌
2 नवम्बर 2021