🙇🙇 बहुत दिनों बाद फुर्सत के चंद लम्हे किस्मत से मिले थे मुझे ! या यूं समझो आज छुट्टी का दिन था जिसे मैं अपनी मर्जी के मुताबिक बिताना चाहती थी। चाय की चुस्की लेते हुए एक नजर उन पेड़ पौधों पर डाली जो शायद बड़ी शिद्दत से मेरी एक नजर के लिए तरस रहे थे ,मानो शिकायत कर रहें हों , मुझे न देख पाने की।
हंसते खिल- खिलाते मासूम बच्चे की तरह गले लग जाना चाहते थे मुझसे! मैं भी बहुत खुश होकर उनको निहार रही थी एक-एक के पास जाकर छू- छू कर देख रही थी हर एक पौधे को जैसे उनसे मिल रही हूं मुद्दतों बाद। हर पौधे के साथ एक कहानी जो जुड़ी थी यह गुलाब का पौधा मुझे मेरे भाई ने दिया था मेरे शौक को देखते हुए ।
कितना खूबसूरत है यह। कितने प्यारे फूल खिले है इसमेंं। अरे यह गेंदे के पौधे यह चमेली का फूल यह रात की रानी वाह यह तो बहुत खूबसूरत लग रहे हैं सबके सब ।इन सब की भी अपनी अपनी कहानी है अभी मैं यह सोच रही थी कि अचानक फोन की घंटी बजी सामने वाली आंटी का फोन था थोड़ी औपचारिकता के बाद बताया कि आज लक्ष्मी काम पर नहीं आएगी ओह-- सारे का सारा मज़ा किरकिरा कर दिया।
एक लंबी सांस लेते हुए मैं घर के अंदर दाखिल हुई ।उनके दो शब्दों से यादों का तारतम्य बिखर कर चकना चूर हो गया। अभी यादों की बारात ठीक से चढ़ भी ना पाई थी के बीच में है अपना बोरिया बिस्तर लपेट के उसे उल्टे पांव लौट जाना पड़ा। और मैं बिचारी जो अपना दिन अपनी मर्जी़ से बिताना चाह रही थी वह मेरी महारानी लक्ष्मी की भेंट चढ़ गया।
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