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देखन आयो जगत तमासा – गुरु नानक जयंती

7 नवम्बर 2022

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गुरू नानक साहिब के जीवन को आज हम दूसरी दृष्टि से देखेंगे, जिस पर अक्सर लोगों ने ध्यान नहीं दिया है। भारत में अनेकों महापुरूष हुए हैं जिन्होंने अलग-अलग समयकाल में उस समय की परिस्थितियों के अनुसार अनेकों बड़े और महान कार्य किये हैं। उनमें से गुरू नानक साहिब जी भी एक थे, जिनका जन्म ऐसे समय काल में हुआ, जब भारत पर विदेशी आक्रान्ताओं का कहर चरम सीमा पर था। मुगल साम्राज्य की स्थापना काल का समय भी यही था, जब बाबर ने भारत पर अपना साम्राज्य स्थापित किया। इस बड़े कत्लेआम और इस्लाम का इन राजाओं द्वारा भारतीयों के ऊपर थोपा जाना, उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित करना यह सब आम हो चुका था। जहां एक ओर विदेशी आक्रांताओं का कहर जारी था वहीं दूसरी और हिंदू धर्म में अंधविश्वास, पाखण्ड, मूर्तिपूजा, अशिक्षा, जातिपाति एवं वर्णभेद के कारण आमजन अत्यन्त ही बुरी स्थिति में थे। एक और आम जनता पर राजा की मार थी और वहीं दूसरी ओर पंडित-पुजारियों द्वारा धर्म के नाम पर लोगों से लूट-खसूट अपनी चरम सीमा पर थी। एक ऐसे युग की कल्पना करना भी कितना भयानक होगा, जब लोग अपने छोटे-छोटे स्वार्थों के लिए किसी की जान लेने से भी न चूकते थे क्योंकि राजाओं के समय में राजाओं के चाटूकारों के लिए कोई नियम कानून न थे। राजा के द्वारा बोला गया प्रत्येक शब्द ही कानून और धर्म था। चारो और भय, अराजकता और धार्मिक अंधविश्वास का माहौल व्याप्त था। आम जन इन सभी प्रताड़नाओं को झेलते-झेलते इतने कायर हो चुके थे कि उनका जीवन मात्र पशुवत ही था। ऐसी स्थितियों में बाबा नानक का जन्म हुआ। जिन्होंने अपने जीवन में इन परिस्थितियों से लोगों को बाहर निकलना सिखाया।
धार्मिंक जगत में आज यह सबसे बड़ा दुखांत है कि हमने अपने महापुरूषों के जीवन से कुछ सीखने के बजाय उन्हें इतना बड़ा बना दिया है कि हम उनकी ही पूजा अर्चना करने लग गये। जिसका नतीजा यह हुआ कि उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को हमने एक ओर रखकर अपने मन मुताबिक वही सब कार्य करने लग गये, जिनकी अक्सर उन्हीं संत महात्माओं ने अपने जीवन भर विरोधता की। यदि हमें वास्तव में गुरू नानक साहिब के जीवन और आदर्शों को समझना है तो हमें गुरू नानक से लेकर गुरू गोबिन्द सिंह जी तक के सभी गुरूओं के जीवन और उनके मूल्यों को आधार मानकर एक पूर्ण आदर्शों को समझना होगा क्योंकि गुरू नानक साहिब जी ने अपने जीवनकाल में जो उपदेश दिये और जो उनके विचार थे, वह सब एक जीवन में पूर्ण कर पाना संभव नहीं था। उनके बाद में आये बाकी के नौ गुरूओं ने अपने जीवनकाल में जो भी कार्य और उपदेश दिये, उन सबकों हम गुरू नानक के ही उपदेश और कार्य मान सकते हैं क्योंकि बाकी के नौ गुरूओं ने जो भी कार्य किये वह सब गुरू नानक साहिब के आदर्शों से अलग न थे। यहां हम दस गुरूओं के कार्य का वर्गीकरण कर रहे हैं कि किस प्रकार उन्होंने अपने जीवनकाल में गुरू नानक साहिब के आदर्षों को आगे बढ़ाया।

  1. गुरु नानक (1469-1539)
    सिख गुरु, गुरु नानक साहिब जी सिख धर्म के संस्थापक थे और मानव सिख गुरुओं में से पहले थे। उनका जन्म 1469 में एक ऐसे स्थान पर हुआ था जिसे अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब कहा जाता है।
    उन्होंने हिंदू या मुस्लिम होने का दावा नहीं किया, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो ईश्वर और सत्य में विश्वास करता था। उन्होंने लोगों को यह भी उपदेश दिया कि हिंदू, मुसलमान और ईश्वर को मानने वाले सभी लोग समान हैं।
    गुरु नानक ने धार्मिक अनुष्ठानों, तीर्थयात्राओं और जाति व्यवस्था के खिलाफ बोलते हुए पूरे भारत और मध्य पूर्व की यात्रा की। जाति व्यवस्था यह थी कि कैसे समाज को धन के आधार पर विभिन्न समूहों में विभाजित किया गया या लोगों ने नौकरी के रूप में क्या किया। उन्होंने कई अलग-अलग लोगों से बात की, मुसलमानों और हिंदुओं से लेकर बौद्धों और जैनियों तक। जब उसने लोगों से बात की, तो उसने उन्हें कभी भी उसका अनुसरण करने के लिए नहीं कहा, इसके बजाय, उसने उनसे कहा कि वे अपने विश्वासों के प्रति सच्चे रहें और अपने परमेश्वर में विश्वास करते रहें।
  2. गुरु अंगद (1504-1552)
    गुरु अंगद सिख गुरुओं में दूसरे थे और उनका जन्म 1504 में हुआ था। उन्होंने गुरुमुखी का निर्माण किया, जो पंजाबी भाषा का लिखित रूप है और जीवन भर कई सिखों को यह सिखाया। जल्द ही, यह लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध हो गया।
    शिक्षा में दृढ़ विश्वास रखने वाले, सिख गुरु अंगद ने बच्चों के लिए कई स्कूलों की स्थापना की और लोगों की पढ़ने और लिखने की क्षमता में सुधार करने में मदद की। उन्होंने मल्ल अखाड़े की परंपरा भी शुरू की – जो शारीरिक और आध्यात्मिक व्यायाम का एक रूप था।
  3. गुरु अमर दास (1479-1574)
    सिख गुरु, गुरु अमर दास का जन्म 1479 में हुआ था और उन्होंने जातिगत पूर्वाग्रह के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। वह चाहते थे कि समाज में हर कोई समान हो और यह नहीं सोचता कि कोई अमीर या गरीब है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
    उन्होंने गुरु नानक के मुफ्त रसोई के विचार पर भी निर्माण किया, जो एक ऐसा विचार था जिसमें कहा गया था कि सभी अनुयायियों को एक ही स्थान पर एक साथ भोजन करना चाहिए, चाहे वे कितने भी अमीर या गरीब हों या वे कहाँ से आए हों। गुरु अमर दास इसमें काफी सफल रहे और लोगों के लिए और अधिक समानता पैदा करने में कामयाब रहे।
    उन्होंने आनंद कारज का भी परिचय दिया – जो एक विशेष प्रकार का विवाह समारोह था और कुछ नए रीति-रिवाजों का निर्माण किया, जिसका अर्थ था कि महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता और समानता थी।
  4. गुरु राम दास (1534-1581)
    गुरु राम दास सिख गुरुओं में चौथे थे और उनका जन्म 1534 में हुआ था। उन्होंने उत्तर पश्चिम भारत में अमृतसर शहर की स्थापना की, जो अब सिखों के लिए पवित्र शहर है और स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी शुरू किया। यह सिखों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। यह किसी के भी आने-जाने के लिए खुला है – साल का हर दिन। यह कोरोना वायरस महामारी में भी खुला रहा।
  5. गुरु अर्जन (1563-1606)
    गुरु अर्जन का जन्म 1563 में हुआ था। एक महान विद्वान, गुरु अर्जन ने सिखों के ग्रंथों को संकलित किया, जिन्हें आदि ग्रंथ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को शास्त्र सिखाने की कोशिश की, इसलिए इसे मुस्लिम संतों के बारे में भी भजनों में शामिल किया।
    उन्होंने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का निर्माण भी पूरा किया जिसे गुरु राम दास ने शुरू किया था। उन्होंने चार विपरीत दिशाओं में चार दरवाजों के साथ इसका निर्माण किया, यह दिखाने के लिए कि उन्होंने मंदिर में कहीं से भी और किसी भी पृष्ठभूमि से लोगों का स्वागत किया।
    गुरु अर्जन को सम्राट द्वारा निष्पादित करने का आदेश दिया गया था। ऐसा इसलिए था क्योंकि सम्राट मुस्लिम थे, और उनका मानना था कि गुरु अर्जन को सिख पवित्र पुस्तक में इस्लामी संदर्भ शामिल नहीं करना चाहिए।
  6. गुरु हरगोबिंद (1595-1644)
    गुरु हरगोबिंद का जन्म 1595 में हुआ था और वह गुरु अर्जन के पुत्र थे। “संत सिपाही” के रूप में जाने जाने वाले, गुरु हरगोबिंद सिख गुरुओं में से पहले थे जिन्होंने लोगों को सिखाया कि कभी-कभी विश्वास की रक्षा के लिए हथियार उठाना और युद्ध में जाना आवश्यक था। ऐसा इसलिए था क्योंकि उनका मानना था कि कोई भी हिंसा वास्तव में अन्य बुराइयों को आने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर सकती है। उनका यह भी मानना था कि यह एक ऐसा तरीका है जिससे लोग कमजोर और जरूरतमंदों की रक्षा कर सकते हैं, इसलिए उन्होंने एक छोटी सेना का आयोजन किया।
  7. गुरु हर राय (1630-1661)
    गुरु हर राय का जन्म 1630 ई. में हुआ था और वे बहुत ही शांत स्वभाव के थे। उन्होंने गुरु नानक की शिक्षाओं को फैलाने और मिशनरी कार्य करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया। इसका मतलब है कि उन्होंने अन्य सिख गुरुओं और सिख धर्म के संदेशों को फैलाने के लिए यात्रा की। उन्होंने बहुत ध्यान भी किया और लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
    हालाँकि यह एक बहुत ही शांत व्यक्ति थे, उन्होंने अपने दादा – गुरु हरगोबिंद – द्वारा बनाई गई सेना को समाप्त नहीं किया। इसके बजाय, इन्होंने खुद को इससे शारीरिक रूप से दूर कर लिया और साम्राज्य के साथ संघर्षों को हल करने के लिए कभी भी इसका इस्तेमाल नहीं किया।
  8. गुरु हर कृष्ण (1656-1664)
    गुरु हर कृष्ण का जन्म 1656 में हुआ था और पांच साल बाद ही गुरु के रूप में स्थापित हुए। वह सभी सिख गुरुओं में सबसे छोटे थे।
    गुरु हर कृष्ण एक मानवतावादी थे, जिसका अर्थ था कि उनका मुख्य उद्देश्य लोगों की मदद करना था। अपने छोटे से जीवन के दौरान, उन्होंने मुख्य रूप से दिल्ली में उन लोगों को ठीक करने में मदद की जो चेचक की महामारी से पीड़ित थे। उसने बहुत से लोगों की मदद की, चाहे वे कहीं से भी आए हों या उनका धर्म कोई भी हो।
    दुख की बात है कि गुरु हर कृष्ण ने उन्हें लोगों की मदद करने के लिए जीवन दिया, क्योंकि उन्होंने जल्द ही चेचक के रोग के कारण आठ साल की उम्र से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।
  9. गुरु तेग बहादुर (1621-1675)
    गुरु तेग बहादुर का जन्म 1621 में हुआ था। उनका दृढ़ विश्वास था कि लोगों को अनुमति दी जानी चाहिए और उन्हें जो भी धर्म चाहिए, उसकी पूजा करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। इस कारण से, उन्होंने हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर करने से बचाने के लिए हिंदू धर्म का बचाव किया। उन्होंने इस्लाम में परिवर्तित होने से भी इनकार कर दिया और परिणामस्वरूप उन्हें शहीद कर दिया गया।
  10. गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708)
    10 वें सिख गुरु का नाम गुरु गोबिंद सिंह मानव सिख गुरुओं में से अंतिम थे। उनका जन्म 1666 में हुआ था और वह गुरु तेग बहादुर के पुत्र थे।
    उन्होंने खालसा का परिचय दिया। 1708 में अपनी मृत्यु से ठीक पहले, उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब – सिख ग्रंथ – को भविष्य के गुरु के रूप में घोषित किया।
    यही कारण है कि गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म के लोगों के लिए बहुत मायने रखता है। वे इसे एक पवित्र पुस्तक से अधिक देखते हैं, लेकिन एक अन्य मार्गदर्शक के रूप में जिसका वे उसी तरह सम्मान करते हैं, और एक शिक्षक उन्हें दिखाते हैं कि कैसे अपने जीवन को पूरी तरह से जीना है। गुरु ग्रंथ साहिब को अक्सर 11 वें सिख गुरु के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

सिख धर्म के सभी गुरू हिन्दू धर्म से सम्बन्ध रखते थे किन्तु सिख धर्म की विचारधारा कुछ तो इस्लामिक विचारों से मेल खाती थी और कुछ हिन्दू मतानुसार समान थी अर्थात यूं कहें हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के विचारों का इस धर्म में समावेष था। जहां इस्लाम से एकेष्वरवाद, मूर्ति पूजा का खंडन, ऊंच-नीच का ना होना, स्त्रियों के विषेषाधिकार और समाजिक एकता की समानता थी तो वहीं दूसरी ओर हिन्दू धर्म से पुर्नजन्म का सिद्धान्त, कर्मवाद और देवी-देवताओं के अस्तित्व की स्वीकृति भी इस धर्म में देखने को मिलती है। इस प्रकार यदि ध्यानपूर्वक समझा जाये तो इसे वास्तव में एक नवीन धर्म न कहकर दो धर्मों का मिश्रण अवष्य कहा जा सकता है। जिसे आप वर्तमान में स्वयं ही देखकर अपने अनुभवों से जान सकते हैं क्योंकि जीवन का वास्तविक ज्ञान पुस्तकों में नहीं अपितु स्वअनुभवों में अधिक होता है।
गुरू नानक साहिब द्वारा कथित एकेष्वरवाद की इस धारणा के अनुसार अनेकों देवी-देवताओं, किसी व्यक्ति विषेष (अवतारवाद) या किसी संत-महात्मा की अराधना करना वर्जित है।

इस विषय पर दसम गुरू, गुरू गोबिन्द सिंह जी ने अपनी बाणी “बचितर नाटक” में कहा है –
जो हम को परमेसर उचरिहैं।। ते सभ नरक कुँड महि परिहैं।।
मो कौ दास तवन का जानो।। या मै भेद न रंच पछानो।।३२।।
मै हो परम पुरख को दासा।। देखन आयो जगत तमासा।।
जो प्रभ जगति कहा सो कहिहों।। मृत लोक ते मोन न रहिहों ।।३३।।
अर्थात् यदि कोई भी व्यक्ति हमें परमेष्वर जानकर हमारी आराधना करता है, तो वह सभी नर्क कुण्ड में पड़ने योग्य हैं। मुझे तो उस परम पिता परमेष्वर का दास समझो। जो इस जगत का तमाषा देख भर को आया है।

अंत में सभी को गुरूपर्व की लख-लख बधाई।

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रचनाएँ
अमर सिंह की दैनिक डायरी
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इस पुस्तक में शब्द-इन द्वारा दिए गए दैनिक लेखन प्रतियोगिता के टैग से सम्बंधित लेख लिखे गए है.
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मेरा पहला कार्य दिवस - स्व: अनुभव

17 अक्टूबर 2022
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कार्य करते हुए इतने वर्ष व्यतीत हो गये कि अब तो ऐसा लगता है मानों हम इन सब चीजों के आदी हो गये हैं। किस कार्य को करने में कितना समय लगेगा, क्या समस्यायें आयेंगी, ऐसी अनेकों बातें जो अक्सर पूर्वनियोजित

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“सबका साथ, सबका विकास”

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जहाँ  शॉपिंग ऑनलाईन की जाये या ऑफलाईन दोनों की अपने-अपने स्थान पर लाभ और हानियां हैं। आज के तकनीकी युग में हर एक व्यक्ति के पास स्मार्ट फोन, इंटरनेट, लैपटॉप और हाईस्पीड इंटरनेट की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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त्यौहारों का मजा

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त्यौहार ही तो हैं जो बेरंग जिन्दगी को रंगों से सराबोर कर देते हैं। यन्त्रवत् कार्य करते-करते मनुश्य के मस्तिश्क को ताजगी और ऊर्जा भर देने के लिए त्यौहार ही हैं। फिर चाहे वो कोई भी त्यौहार हो, सबका उद्

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दूरस्थ शिक्षा का महत्व

22 अक्टूबर 2022
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जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए शिक्षा का अत्यन्त ही महत्व है। पुरातन काल से लेकर वर्तमान समय तक जो सफलताएं शिक्षित व्यक्ति ने प्राप्त की हैं उतनी शायद ही किसी अषिक्षित ने की हों और यही क्रम सदैव च

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कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना

28 अक्टूबर 2022
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जब तक व्यक्ति के अंदर कुछ नया करने का जज्बा नहीं उठता, उसकी बाहरी और आंतरिक उन्नति संभव नहीं है। कुछ नया करना अर्थात् वह कार्य करना जो आपका मन कहता है, उसके बारे में लोग क्या कहते हैं, उससे उसे कोई अं

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भ्रामक खबरें : झूठ का मनोविज्ञान

29 अक्टूबर 2022
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जिस प्रकार आज समाज का वैष्वीकरण हो रहा है और समाज में सूचनाओं का आदान-प्रदान अब पहले की भांति नहीं रह गया है, जहां खबरें मात्र समाचार पत्रों और टेलीविजन के माध्यम से प्रसारित हुआ करती थी। इंटरनेट के इ

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5जी तकनीक : लाभ और प्रभाव

3 नवम्बर 2022
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5 जी टैक्नॉलोजी आने वाले समय के लिए कम्प्यूटर जगत के लिए एक क्रान्ति होगी। जो सूचनाएं आकार में बड़ी होने कारण इंटरनेट की स्पीड कम होने के कारण सरलता से नहीं भेजी जा सकती। 5जी आने के बाद यह समस्या का नि

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देखन आयो जगत तमासा – गुरु नानक जयंती

7 नवम्बर 2022
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गुरू नानक साहिब के जीवन को आज हम दूसरी दृष्टि से देखेंगे, जिस पर अक्सर लोगों ने ध्यान नहीं दिया है। भारत में अनेकों महापुरूष हुए हैं जिन्होंने अलग-अलग समयकाल में उस समय की परिस्थितियों के अनुसार अनेको

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जातिवाद और धार्मिक भेदभाव - प्रार्दुभाव

10 नवम्बर 2022
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हमें अति प्राचीन पूर्वजों से बहुत कुछ सीखना होगा। एक समय ऐसा भी था जब मानव गुफाओं में बैठा पत्थरों से छोटे-मोटे औजारों का निर्माण करके ही खुष था। कोई अजनबी सा दिखने वाला चमकीला पत्थर भी उसे उत्साहित

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जनसंख्या वृद्वि - उपाय और समाधान

15 नवम्बर 2022
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वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्वि विष्व के लिए सबसे बड़ी समस्या है। यह समस्या तब और भी अधिक विकराल बन जाती है, जब किसी देष की अर्थव्यवस्था विकासषीलता की स्थिति में होती है। संसाधन कम एवं उपभोक्ता की अधिक

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जादुई दुनिया

17 नवम्बर 2022
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बचपन में सभी ने अनेकों जादुई कहानियां पढ़ी होंगी लेकिन क्या वास्तविकता के धरातल पर ऐसी कोई जादुई दुनियां का अस्तित्व संभव है? अगर मैं कहूं कि यह संभव है, तो षायद आप मुझे पागल समझेंगे। भविश्य का विज्ञान

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किस्मत बदलती देखी मैं

18 नवम्बर 2022
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एक बार एक राजा के दरबार में एक खुबसूरत नाचने वाली नाच रही थी। जिसे अपनी खूबसूरती पर बहुत घमण्ड था वो बार-बार राजा की बदसूरती को देखकर मुस्कुराती है। राजा यह देखकर समझ जाता है कि वह क्यों मुस्कुराई। जि

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आखिरी इच्छा की सचाई

18 नवम्बर 2022
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मानव जीवन में इच्छाएं कभी न खत्म होने वाला एक सिलसिला है। जिसे व्यक्ति जितना चाहे खत्म करने की कोशिश कर ले, लेकिन इसे पूरी तरह से खत्म कर पाना लगभग नामुमकिन है। कभी न खत्म होने वाली इच्छाओं के कारण अक

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बड़े मियां तो बड़े मियां

19 नवम्बर 2022
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यूं तो वरदान की परिभाषा सबके लिए अलग-अलग है। जिसकी जैसी चाहत, उसको वैसी राहत। आज हम कुछ ऐसे वरदानों की बात करेंगे जो अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन अगर यदि वो उनको मिल जाये, तो उनके ल

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आखिरी मुलाकात

21 नवम्बर 2022
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इंसान के जीवन में कभी-कभी ऐसे पल आते हैं जब वह कुछ बातों को सोचने को मजबूर हो जाता है। ऐसा ही कुछ उस्मान के साथ हुआ जिसके बाद वह अपने अतीत के पन्नों को पलटकर पीछे देखने लगा कि मुस्लिम परिवार में जन्म

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पाश्चात्य संस्कृति अभिशाप या वरदान

5 दिसम्बर 2022
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मनुष्य के जीवन का परम लक्ष्य उन्नति के पथ पर अग्रसर होना है। जिस पर मानव सभ्यता अपने उद्भव के साथ ही चली आ रही है। भारत की संस्कृति अति प्राचीन होने के कारण अपने उच्च मूल्यों और उत्कृष्ट सामाजिक व्यवस

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लालच बुरी बला

12 जनवरी 2023
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लालच एक ऐसी मनोस्थिति है जिसमें व्यक्ति किसी प्रकार की धन-सम्पदा, पद-प्रतिश्ठा को अधिक से अधिक किसी भी प्रकार से प्राप्त करना चाहता है। उसके लिए वह अनेकों बार गलत रास्तों का चुनाव करता है। जो नैतिक और

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भारत में अंडरवॉटर रेल

15 अप्रैल 2023
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भारत में अंडरवॉटर रेल प्रोजेक्ट एक अत्यंत रोचक और उन्नत प्रोजेक्ट है। यह प्रोजेक्ट भारत की सबसे लंबी अंडरवॉटर रेल बनाने का लक्ष्य रखता है। यह रेल लाइन गुजरात के मुंबई और महाराष्ट्र के अहमदनगर के बीच ब

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गुप्त समाज

16 अप्रैल 2023
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एक रहस्यमय समाज था, जो लोगों के बीच अज्ञात रहता था। इस समाज में केवल चुनिंदा लोग ही शामिल हो सकते थे, जो अपनी बुद्धि और विवेक से ज्ञानी और विचारशील थे। ये लोग एक-दूसरे से मिलते थे और विभिन्न विषयों पर

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एक था ड्रैगन

21 अप्रैल 2023
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एक था ड्रैगन, बहुत बड़ा, बहुत ही ताकतवर। जमीन पर चलता था, हवा में उड़ता था, मुंह से आग उगलता था। ऐसा बताया था, एक बुजुर्ग ने। जिसकी हर बात थी, पत्थर की लकीर। पहले भी खोल चुका था, वो कई राज। आ

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विश्व नृत्य दिवस

1 मई 2023
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विश्व नृत्य दिवस वर्ष 1982 से हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन के महत्व को समझते हुए विभिन्न संस्थानों और समूहों में नृत्य कला के माध्यम से इस दिन को ध्यान में रखा जाता है। यह दिन नृत्य कला क

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एक मजदूर की कहानी

1 मई 2023
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एक गरीब मजदूर था जो अपनी दिनचर्या के लिए रोज़ाना शहर के बाहर चला जाता था। उसे रोज़ कुछ न कुछ काम मिलता था जिससे उसका पेट भरता और घर के लिए कुछ पैसे भी बचते थे। वह अपने कठिन जीवन में भी सबसे खुश था। ए

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क्रूर अंग्रेजी शिक्षिका

25 मई 2023
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एक बार की बात है, एक बहुत ही क्रूर अंग्रेजी शिक्षिका थी जो कि हमारे कक्षा में पढ़ाती थी। वह हमेशा सख्त और अन्यायपूर्ण नियमों के साथ प्रतिष्ठित रहती थी। उसकी कक्षा में पढ़ने का तरीका अनोखा था। वह हमेश

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दो जंगली फूल

23 जून 2023
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एक बहुत ही घना जंगल था। जो हजारों मीलों तक फैला हुआ था। इस जंगल में अनेकों प्रकार के जंगली जानवर और जहरीले प्राणी थे। अत्यन्त ही भयानक परिस्थतियों के कारण उस जंगल में कोई भी मानव अंदर नहीं जाना चाहता

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कुछ ख्यालात

5 सितम्बर 2023
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कुछ ख्यालात ऐसे होते हैं जो जाने-अनजाने आते जाते रहते हैं। मानों किसी नदी के किसी बहाव की तरह धीमे-धीमे ठण्डी हवा के साथ कलरव करती हुई एक मीठी सी मुस्कान के साथ। तो कभी तेज तूफानी, रेगिस्तानी गर्म हवा

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हिंदी दिवस

13 सितम्बर 2023
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प्रस्तावना: हिंदी, भारत की आधिकारिक भाषा है, जिसका महत्व और मान्यता हमारे देश में अत्यधिक है। हिंदी दिवस का आयोजन 14 सितंबर को हर साल भारत में किया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्व को याद करने और

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गांधीजी और हम

2 अक्टूबर 2023
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भारत की आजादी में महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जिस प्रकार गांधी जी ने देष के एक बहुत बड़े वर्ग को एक सूत्र में पिरोये रखा और उनके समर्थन में भारत की आबादी की एक बहुत बड़ा हिस्सा उनके साथ

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कश्मकश - गधा

30 अक्टूबर 2023
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आदमी और गधे में मात्र एक ही अंतर होता है और वो यह कि आदमी तो गधा हो सकता है लेकिन गधा कभी आदमी नहीं हो सकता। मगर इस बात का ज्ञान भी मात्र इंसान को ही है, गधे को नहीं। इसलिए तो वो गधा का गधा ही रह गया।

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प्यार के रंग हजार

19 अप्रैल 2024
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जी हां दोस्तो आज हम बात करने वाले है एक ऐसे अहसास की जिसे हम प्यार के नाम से जानते है। लेकिन इसको अनेकों रंग है जिन्हे हम अक्सर प्यार का नाम दे देते है। उन सब में भी प्यार की कुछ न कुछ मात्रा होती है

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जिंदगी के सफर

2 मई 2024
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जिंदगी के सफर से गुज़र जाते है जो मकाम, वो फिर नही आते, वो फिर नही आते। क्या बात लिखी है लिखने वाले ने, और बहुत ही खूबसूरत आवाज दी गायक ने, जो दिल को छू जाती है। लेकिन इस गीत में एक दर्द है, जो अक्स

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