भूत प्रेत, जादू टोना, तंत्र मंत्र, परालौकिक शक्तियां कुछ ऐसे विषय हैं जिनके लिए अक्सर लोगों के मन में उत्सुकता बनी रहती है। एक ऐसी अज्ञात दुनियां का रहस्य जो भय और लालच की नींव पर खड़ी है। इसकी वास्तविकता कितनी सही है इस पर हमेशा से ही संशय रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि इस प्रकार की काली शक्तियां होती है जो इंसान को अपने वश में कर लेती है और उनसे तरह-तरह के बुरे काम करवाती हैं, उन्हें व उनके परिवार को अनेकों प्रकार के कष्ट देती हैं। इस प्रकार की बातों को बढ़ावा देने में मीडिया भी कहीं पीछे नहीं है। अनेकों फिल्में और नाटक इस प्रकार की परालौकिक शक्तियों के बारे में बनते रहे हैं। होते तो यह मात्र मनोरंजन के लिए ही हैं और इनका सत्य से कोई लेना देना नहीं होता। लेकिन इस प्रकार के धारावाहिक और सिनेमा से अंधविश्वासी और मूर्ख प्रवृत्ति के लोग इन्हें सत्य समझने लगते हैं। जिसका सबसे अधिक लाभ तंत्र-मंत्र, झाड़फूंक, तांत्रिक, ओझाओं और पाखंडी गुरूओं को हो जाता है। उनका तो मुफ्त में ही प्रचार हो जाता है और फिर शुरू होता है इनका शातिर खेल जो लोगों का तन-मन-धन सबकुछ लूटने को तैयार बैठे रहते हैं। – अब यदि इस विषय पर विचार किया जाये कि वास्तव में भूत-पे्रत होते हैं कि नहीं इस विषय पर हिन्दू मतानुसार यह धारणा है कि जब किसी व्यक्ति की उसके समय से पूर्व मृत्यु हो जाती है अर्थात हत्या, आत्महत्या, एक्सीडेन्ट आदि तब वह भूत प्रेत बनकर अपनी अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति करते हैं। अकालमृत्यु से पूर्व अतृप्त इच्छाओं का रह जाना उक्त व्यक्ति का प्रेत योनि में जाने का कारण बनता है। इस प्रकार से बने भूत प्रेतों में अनेकों प्रकार की करामाती शक्तियां भी होती हैं जो अलग-अलग प्रकार के भूतों में अलग-अलग हो सकती हैं। जिन्हें कोई तांत्रिक-ओझा अपने वश में करके उनसे अपने मनमाफिक काम करवा सकता है। यह सब तामसिक शक्तियां जिनके अंतर्गत यह सब काली शक्तियां निहित होती हैं महादेव शंकर को माना जाता है। जिनकी उपासना करके तांत्रिक-ओझा उनसे कुछ शक्तियां प्राप्त करके शक्तिशाली भूत-प्रेतों पर नियंत्रण कर सकते हैं। महादेव के बाद तांत्रिक शक्तियों का भगवान माँ काली को भी माना जाता है जिनकी उपासना में पशु बलि से लेकर मानव बलि तक भी दी जाती है। जिससे असीम शक्ति की प्राप्ति होती है ऐसा इनके उपासकों का मानना है। – हिन्दू मत के अलावा कुछ अन्य मतों में भी भूत-प्रेत और काली शक्तियों की मान्यता पायी जाती है जिनमें कुछ स्थानों में भिन्नतायें देखने को मिलती हैं जैसे ईसाई धर्म में तांत्रिक ओझाओं का कार्य पादरी कर देते हैं, इस्लाम में मौलवी कर देते हैं। बस रूप बदल जाते हैं, कार्यप्रणाली अक्सर वही दिखती है। किसी के अन्दर भूत घुस जाने पर अक्सर वह व्यक्ति किसी विक्षिप्त मनोरोगी की भांति व्यवहार करने लगता है। चिल्लाना, बेहोश हो जाना, आक्रामक हो जाना, खुद को तथा और व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाने लगता है। फिर जिसे ठीक करने के लिए पादरी बाईबल पढ़कर जीसस की ओर से बाहर निकल जाने के आदेश देते हैं जिसे एक्जोजिसम भी कहते हैं। इसे करने के लिए पूरा टीम वर्क होता है। जिससे कुछ तो ठीक हो जाते हैं परन्तु कुछ की हालत पहले से भी बदतर हो जाती है। आखिर यह सब मात्र दिमाग का ही खेल है। जो बीमारी जो कभी थी ही नहीं किसी कारण से हो जाती है अर्थात भूत-प्रेत बाधा, फिर एकाएक किसी तंत्र-मंत्र, ओझा की झाड़फूक या पादरी, मौलवी के मंत्रों द्वारा अपने आप ठीक भी हो जाती है। परन्तु जब उनसे यह भूत नहीं भागते तब हमेशा डाॅक्टरों द्वारा इनके भूतों का सफल इलाज संभव हो पाता है। – जहां तक मेरा मत है किसी भी प्रकार के भूत-प्रेत और तंत्र-मंत्र का अस्तिव विद्यमान नहीं होता। जिनमें भूत या देवता आदि आने के लक्षण दिखते हैं और उनकी उछलकूद मात्र उनके मानसिक विकार और उनकी अतृप्त इच्छाओं का ही नतीजा होता है क्योंकि मानव मस्तिष्क असीम शक्तियों का स्त्रोत है। उसमें ऐसी असीम संभावनाएं भरी हुई हैं जिनका ज्ञान अभी तक माॅडर्न साइंस नहीं लगा सकी। आग पर चलना, किसी के बारे में जान लेना, बिना सांस लिये लम्बे समय तक जीवित रहना और इस प्रकार के अनेकों करतब जो अक्सर भूत और देवता आने का दावा करने वाले कर देते हैं। वह कोई चमत्कार न होकर कोई करतब मात्र है। जो कोई भी व्यक्ति अपने शरीर और मस्तिष्क को ट्रेनिंग देकर कर सकता है। – संसार की समस्त घटनाएं ईश्वर की इच्छा पर निहित हैं। इस बात पर सभी धर्म एकमत हैं। तो फिर कैसे कोई व्यक्ति अकाल मृत्यु प्राप्त कर सकता है। बिना ईश्वर की इच्छा के कैसे कुछ संभव है…? कैसे ईश्वर की इच्छा के विरूद्व कोई व्यक्ति ऐसी शक्तियों को प्राप्त कर सकता है जिससे वह स्वयं ईश्वर हो जाये…? ऐसा कभी संभव नहीं। ईश्वर मात्र एक है, सर्वशक्तिमान और सम्पूर्ण है। उसके तुल्य कोई नहीं। वह स्वयं निर्मित और कालसमय से मुक्त है। ऐसे ईश्वर के समक्ष यह सब बातें निराधार और निरर्थक हैं।