अंतरिक्ष का नाम सुनते ही एक ऐसी जगह का प्रतिबिम्ब मस्तिश्क में उभरता है जहां गहन अंधकार और मौन के मध्य भार रहित होकर उड़ते अनेकों ग्रह, उपग्रह और विभिन्न तारामण्डल का समूह जो अनवरत बनता और बिगड़ता रहता है। रात को कभी आकाष की ओर देखने पर जब अनेकों चमकते तारे दिखाई देते हैं और उनके मध्य चन्द्रमा की चमक और उसमें बनने वाली छवियों से ऐसा प्रतीत होता है मानों वो यही पास ही है और कुछ ही पलों में उड़कर उस तक पहुंचा जा सकता है। आकाष में चमकने वाले कुछ तारे जो अन्य तारों की अपेक्षा कुछ अलग रंग और चमक के कारण सदैव ध्यान को आकर्शित करते रहते हैं कि क्यों वह अन्य तारों से अपेक्षाकृत भिन्न हैं। पृथ्वी के गुरूत्वाकर्शक केन्द्र में आने के कारण जलता हुआ उल्कापिण्ड का दिखना जो किसी टूटते हुए तारे सा प्रतीत होता है। ऐसे न जाने कितने रहस्यों से भरी है यह अंतरिक्ष की दुनियां....!
अक्सर हम सोचते होंगे कि अंतरिक्ष अंधकारमय क्यों होता है? अंतरिक्ष में अंधेरा इसलिए रहता है क्योंकि अंतरिक्ष में प्रकाश के भ्रमण के हेतु निश्चित वायु या अन्य गैसों का मार्ग नहीं होता और इसके लिए वहां पर आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन भी नहीं होती और इसी के कारण तारों की रोशनी में दूसरे ग्रह और तत्व प्रकाश ग्रहण करते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि यदि अंतरिक्ष में ऑक्सीजन नहीं होता, तो सूर्य का जो प्रकाश है जो कि अग्नि की वजह से होता है, तो अग्नि कैसे चल रही है? तो इसका जवाब भी है है कि सूर्य पर प्रचुर मात्रा में हाइड्रोजन मौजूद है, और वहां पर हर समय तकरीबन 20 से ज्यादा परमाणु विस्फोट होते हैं और इसी के लिए सूर्य पर हर समय अग्नि मौजूद रहती है। और वह परमाणु विस्फोट के द्वारा निकली गई गर्मी पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों पर प्राप्त करी जाती है।
वहीं दूसरी ओर अंतरिक्ष में जीवन की खोज के ऊपर मानव ने अपना काफी योगदान दिया है। पिछले 300 वर्षों से तथा इस से भी पिछले कई वर्षों में मानव ने अंतरिक्ष में अपनी पहुंच बढ़ाने का काम किया है। खगोल विज्ञानी गैलीलियो के समय से अंतरिक्ष में ग्रहों को देखा जा रहा है, तथा उपग्रहों की चाल को समझा जा रहा है, और इसी आधुनिक युग के शुरुआत में टेलिस्कोप का निर्माण हुआ था। टेलिस्कोप के निर्माण के बाद में मानव ने कई बार अंतरिक्ष में प्रवेश किया है, तथा अपने महान उपकरणों से अंतरिक्ष के कई ग्रहों का पूर्ण अध्ययन भी किया है।
कई वैज्ञानिकों का ऐसा भी मानना है कि ब्रह्मांड में और भी कई जगह पर जीवन उपस्थित है तथा वे सभी एक दूसरे को खोजने में लगे हुए हैं, जिस प्रकार हम दूसरे ग्रहों पर जीवन को खोजने में लगे हैं। उसी प्रकार अन्य ग्रहों पर भी जीवन को खोजा जा रहा है, और इसीलिए मानव अंतरिक्ष में जीवन की खोज के लिए प्रयासरत है। पिछले कुछ वर्शों में कई लोगों ने उड़नतष्तरियां देखने का दावा किया है और खेतों में कई जगह क्राॅप सर्किल देखे गये हैं जिन सर्किल का अर्थ कुछ लोग यह निकाल रहे हैं कि वह एलियनस ने किसी संकेत स्वरूप बनायें होंगे लेकिन इन बातों से यह पक्का सुबूत नहीं मिलता कि यह सब एलियन का काम है क्योंकि पब्लिसिटी के लिए यह मानव द्वारा निर्मित भी हो सकते हैं।
परग्रही या एलियन हैं कि नहीं इस बात पर अनेक लोगों के अनेक मत हैं लेकिन अधिकतर मात्र कल्पना पर ही आधारित हैं जिनका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। अन्य ग्रहों पर मानव से भी उच्च तकनीकी और बुद्धि वाली संस्कृति को अंतरिक्ष वैज्ञानिक ढूंढ रहे हैं लेकिन कुछ वैज्ञानिकों की थ्योरी के अनुसार एलियन्स के होने और उनके मिलने की संभावना अत्यन्त ही कम है और इसके अनेकों कारण हैं। सबसे पहला कारण यह है कि हमारे सौर मण्डल में एलियन्स की उपस्थिति कहीं नहीं हैं क्योंकि वैज्ञानिकों ने अधिकतर सौरमण्डल के सभी ग्रहों की जांच कर यही पाया है कि वहां का वायुमण्डल और परिस्थितियां जीवन के लिए अनुकूल नहीं है। मात्र मंगल ग्रह ही अब तक ऐसा पाया गया है जहां कुछ हद तक जीवन उत्पन्न होने की संभावना हो सकती है। यदि कुछ कारक वहां पर और मिला दिये जायें जिससे वहां का वायुमण्डल पृथ्वी के समान हो सके तो षायद वहां भी जीवन की संभावना हो सकती है। इन सबके बावजूद एलियन की उपस्थित के बारे में निराषा ही लगी है।
वहीं दूसरी ओर अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड बाहर की तरह फैल रहा है। जिसकी गति बहुत तीव्र है। इस प्रकार यदि किसी अन्य गैलेक्सी में परग्रही होते भी हैं और यदि उनकी किसी उपकरण के द्वारा उनकी सही स्थिति पता भी लगा ली जाती है। तो जितने समय को पार करते हुए वह सूचना हम तक पहुंचेगी, तब तक उक्त परग्रहीयों का ग्रह ब्रह्मांड के फैलाव के कारण पृथ्वी से और अधिक दूरी में होंगे। इस कारण से परग्रहियों तक पहुंचना अभी के समय तक वैज्ञानिकों के लिए मात्र एक स्वप्न ही होगा क्योंकि अभी तक न तो कोई ऐसा अंतरिक्षयान बन पाया है जो प्रकाष की गति से भी अधिक रफ्तार से चल सके। इसके साथ ही साथ अभी विज्ञान को और अधिक उन्नति करनी होगी। तभी षायद हो सकता है कि वैज्ञानिक अंतरिक्ष में छिपे इन राज़ों से पर्दा हटा सकें क्योंकि अंतरिक्ष की की रहस्मयी दुनियां को सुलझाने में अनेकों ऐसे खतरे भी हैं जिनका हल अभी तक वर्तमान समय के वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है। भविश्य में क्या होता है यह तो कोई भी नहीं जानता......!