आज हम एक ऐसे विषय पर बात करेंगे जिस पर लोग बहुत कम बात करना उचित समझते हैं लेकिन फिर भी उनका हमारे समाज का एक हिस्सा होने के कारण उनके विषय पर ध्यान देना अति आवष्यक है। वह कोई और नहीं बल्कि थर्ड जेंडर, हीजड़ा समुदाय से सम्बन्धित है। जिस प्रकार की समाजिक व्यवस्था भारत में हीजड़ा समुदाय के लिए है, वह इस समुदाय के लिए किसी अन्याय और अपमान से कम नहीं! क्योंकि जब कोई बच्चा किसी के घर में पैदा होता है, वह या तो लड़का होता है या फिर लड़की लेकिन कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि वह न तो लड़का होता है और न ही लड़की, वरन एक तीसरे ही लिंग का एक प्राणी। जिसमें दोनों के गुण विद्यमान होते हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि यह तीसरे लिंग के लोग शारीरिक शक्ति या फिर दिमागी शक्ति में किसी सामान्य मनुष्य से भिन्न होते हैं। बस यह मात्र सन्तान उत्पत्ति ही तो नहीं कर सकते। लेकिन क्या इसका मात्र इतना अर्थ निकाल लेना चाहिए कि जो संतान उत्पत्ति नहीं कर सकते। या जो किसी प्रकार से भिन्न दिखाई पड़ते हैं, मात्र इस बुनियाद पर उन्हें अपने परिवार से अलग कर दिया जाये और उन्हें घर-घर जाकर नाचने को मजबूर किया जाये। जो किसी भी सभ्य इंसान के लिए किसी अपमान से कम नहीं है। क्योंकि लोग चाहे उनके सामने कितना भी सम्मान दिखाएं वास्तव में वह सम्मान नहीं। मात्र किसी को देखकर एक हँसी के पात्र या घृणा के पात्र भर हैं। लोग इन्हें आष्चर्य और भय से देखते हैं। भय किस बात का? मात्र इस बात का कि इनके द्वारा यदि धन मांगा जाये और मना करने पर बदले में यह उक्त व्यक्ति से अपषब्दों का प्रयोग करते हैं। कई बार बात अधिक बढ़ जाने पर शब्दों से शारीरिक हिंसा तक बात पहुंच जाती है। जोकि हम सभी के लिए बड़ी ही शर्म की बात है।
अब यदि बात करें तो इस समस्या का क्या उपाय हो सकता है। यदि समस्या है तो उपाय भी अवष्य हो सकता है। यह मात्र किसी लिंग विषेष की बात नहीं अपितु भारत के एक नागरिक के मूल अधिकारों की भी बात है। यह लोग भी भारत के ही नागरिक हैं, तो फिर क्या इन्हें किसी किसी सामान्य नागरिकों की भांति षिक्षा का अधिकार नहीं हैं? किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता नहीं है? अपने भरण-पोषण हेतु रोजगार करने का अधिकार नहीं है? यदि है तो फिर आज तक हमने किसी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान में नौकरी करते हुए किसी थर्ड जेंडर वाले व्यक्ति को क्यों नहीं देखा! या फिर कोई ऐसा व्यक्ति दुकान चलाता हुआ व्यापारी के रूप में, किसी विद्यालय में अध्यापक या प्रधानाध्यापक के रूप में, अस्पताल में डॉक्टर और नर्स के रूप में, बस के ड्राईवर या कंडक्टर के रूप में, हवाई जहाज में पायलट या एयर होस्टेस के रूप में और न जाने ऐसे कितने ही क्षेत्र हैं, जिन सब पर यह लोग काम कर सकते हैं। जिसके लिए मात्र शरीर और बुद्धि चाहिए, किसी खास जेंडर की नहीं।
अंत में मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि इन लोगों को भी किसी सामान्य लोगों की भांति उनके परिवारों में ही रहने देना चाहिए। सरकार को इन लोगों को विषेष रूप से षिक्षा और रोजगार में आरक्षण देना चाहिए क्योंकि वास्तव में इस प्रकार के लोगों के साथ भेदभाव करना न तो नैतिक रूप से उचित है और न ही सामाजिक रूप से। जब इन्हें भी अन्य लोगों के भांति समाज में समान अवसर मिलेंगे तब निष्चित रूप से यह वर्ग बहुत ही कम समय में अपना नया रूप दिखा सकता है। मात्र आवष्यकता है सरकार को इनके लिए विषेष रूप से कुछ नियम बनाने की, जिसकी सहायता से यह भी समाज के लिए कुछ उत्पादक हो सकें। इस विषय में आपकी क्या राय है, कमेंट बॉक्स में कमेन्ट करें, और लाईक और अधिक से अधिक शेयर करें।