जमाने से बहुत मिलेंगे तुझ को धोखे,
मगर तुम फिर भी प्यार करना….
तोड़ देंगे कई बार दिल वो तेरा,
मगर तुम न कभी आह करना….
जख्मी दिल से रिसता लहू देख अपने,
तुम न कभी परवाह करना….
देखते रहना घावों को अपने,
संगीत वो तब भी कही होगा….
धरा, गगन, वायु और अग्नि-जल,
सब कुछ जब कही साफ़-साफ़ होगा….
वीणा की मधुर झंकार के संग,
अनंत अनंत विसमाद होगा….
दर्द होगा – लहू होगा – होंगे आह के स्वर,
आनंद के पार के वो क्षण,
प्रेम होगा, मौन होगा और होंगे
अनंत भावो के पार बहुत असीम शून्य….